Monday, January 30, 2023

Martyr's Day (30 January 2023)

                                  शहीद दिवस


30 जनवरी भारतीय इतिहास का अहम दिन है। 1948 में इसी दिन नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी पुण्यतिथि को हर साल शहीद दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। वैसे आपको बता दें कि 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है क्योंकि उसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। इस दिन महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए देशभर में कई सभाएं आयोजित की जाती है। साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित देश के कई गणमान्य नागरिक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए भी जाते हैं।


अक्सर लोगों के मन में ये विचार आ रहा है कि आखिर 23 मार्च को भी तो शहीद दिवस मनाया जाता है और वह 30 जनवरी से आखिर कैसे अलग हैं। तो आपको बता कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, वहीं 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी, इसलिए इन अमर शहीदों की याद में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी, 1948 की शाम में बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी। नाथूराम गोडसे से गांधीजी की हत्या करने से पहले उनके पैर भी छुए थे। जब गांधीजी की हत्या की गई थी, तब उनकी उम्र 78 साल थी। नाथूराम गोडसे भारत के विभाजन को लेकर गांधीजी के विचार से सहमत नहीं था।

महात्मा गांधी के बारे में 

* महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात से हासिल की और बॉम्बे यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।

* गांधीजी वकालत की पढ़ाई करने 4 सितंबर, 1888 को लंदन गए।

* 1893 में गांधीजी एक साल के अग्रीमेंट पर दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्होंने देखा कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ बहुत ही अपमानजनक व्यवहार किया जाता था। वह भी भेदभाव का शिकार हुए।

* गांधीजी 1916 में भारत लौटे और अपना पूरा जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया।

* स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण आंदोलन उनकी पहली उपलब्धि थी जिसे 1918 में शुरू किया गया था।

* उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन भी चलाया था। लेकिन आंदोलन के दौरान हिंसा की कुछ घटना सामने आने के बाद इसको असफल माना गया।

* उसके बाद 1930 में गांधीजी ने सिविल अवज्ञा आंदोलन चलाया जिसे दांडी यात्रा के नाम से जाना गया।

* 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया और जिसे उनके जीवन का सबसे सफल और सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है।


Thursday, January 12, 2023

National Youth Day (12 January 2023)

राष्ट्रीय युवा दिवस


हर साल भारत में 12 जनवरी के दिन को युवाओं के लिए समर्पित किया गया है और इस दिन ही स्वामी विवेकानंद का जन्म भी हुआ था. इस साल में भी इस दिन को पूरे भारत में युवा दिवस के साथ-साथ विवेकानंद जी की 160 वीं जन्म जयंती के रूप में मनाया जायेगा.


भारत देश की अधिकतर आबादी युवाओं की है और किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है. नई प्रतिभा के आने से देश को ना सिर्फ तरक्की मिलती है, बल्कि देश का विकास भी सही तरह से होता है. वहीं देश के युवाओं के सही मार्ग दर्शन के लिए हर साल भारत में युवा दिवस मनाया जाता है. 

भारत में युवा दिवस मनाने की शुरुआत साल 1985 से शुरू हुई थी. वहीं इस दिन को युवा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान साल 1984 में की गया था. युवा दिवस मनाने के लिए सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को चुना गया था और तब से अब तक हर साल इस दिन युवा दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद अपने विचारों और अपने आदर्शों के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. उन्होंने काफी कम उम्र के अंदर ही दुनिया में अपने विचारों के चलते अपनी एक अलग ही पहचान बनाई थी. उनके विचारों से युवाओं को सही दिशा मिल सके, इस मकसद से ही उनके जन्म दिवस को इस दिन के लिए चुना गया था.

हर साल भारत में 12 जनवरी के दिन को युवाओं के लिए समर्पित किया गया है और इस दिन ही स्वामी विवेकानंद का जन्म भी हुआ था. इस साल में भी इस दिन को पूरे भारत में युवा दिवस के साथ-साथ विवेकानंद जी की 159 वीं जन्म जयंती के रूप में मनाया जायेगा.

यहां जानें स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ीं कुछ खास बातें

1. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।

2. स्वामी विवेकानंद बचपन से ही पढ़ाई और अध्ययन में रुचि थी। 1871 में 8 साल की उम्र में स्कूल जाने के बाद 1879 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया।

3. स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रेरित होकर सिर्फ 25 साल की युवावस्था में सबकुछ छोड़कर नरेंद्रनाथ दत्त सन्यासी बन गए थे और इसी के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा।

4. विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस 1881 में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में पहली बार मिले।

5. रामकृष्ण परमहंस से मिलने पर स्वामी विवेकानंद ने उनसे सवाल किया कि क्या आपने भगवान को देखा है? तब परमहंस ने जवाब दिया कि, हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं। फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं।

6. 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण 'अमेरिका के भाईयों और बहनों' के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली।

7. स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।

8. स्वामी विवेकानंद ने शिकागो भाषण के पहले और बाद में भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का विस्तार पूरी दुनिया में किया।

9. स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्होंने 39 साल की बेहद कम उम्र में ही दम तोड़ दिया। लेकिन उन्होंने साबित कर दिया था कि युवावस्था कितनी महत्वपूर्ण होती है और इसमें क्या-क्या किया जा सकता है।

10. स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।


Tuesday, December 20, 2022

Celebration of Grand Parents Day on 19 Dec 2022

दादा-दादीनाना-नानी दिवस मनाया गया 


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 19 दिसम्बर 2022 को ग्रैंड पेरेंट्स डे मनाया गयाइस कार्यक्रम दादा-दादी, नाना-नानी, विधालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर, उप प्राचार्य बी. एस. राठौर, प्रधानाध्यापिका श्रीमती मधु रितु, शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थीयो ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में प्राथमिक विभाग के विद्यार्थीयो के द्वारा विभिन्न  सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई ।  इस कार्यक्रम मे दादा दादी, नाना - नानीयो के लिये भी कुछ प्रतियोगिताये का आयोजन किया गया जिसमे उन्होने जोश के साथ भाग लिया  




Friday, December 2, 2022

Celebration of Annual Sports Day in KV 2 Jaipur on 02 Dec 2022

वार्षिक खेलकूद दिवस मनाया गया


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 02 दिसम्बर 2022 को वार्षिक खेलकूद दिवस मनाया गया,  इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कर्नल आर. के. श्योराण, नामित चेयरमैन (वी.एम.सी.) तथा श्रीमती सुनिता श्योराण रहे तथा इस कार्यक्रम में विधालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर, उप प्राचार्य बी. एस. राठौर,  शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थीयो ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में विद्यार्थीयो के द्वारा विभिन्न  सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई तथा खेलकूद मे विद्यार्थीयो के बीच खेलकूद  प्रतियोगिताओ का आयोजन किया गया, जिसमे विद्यार्थीयो जोश के साथ भाग लिया ।  कुछ खेलकूद प्रतियोगिताये शिक्षक-शिक्षिकाओ के  लिये भी आयोजित की गई । मुख्य अतिथि महोदय ने सभी को सम्बोधित किया और विद्यार्थीयो के  जीवन मे खेलकूद का महत्व  बताया । श्रीमती सुनिता श्योराण जो कि इस विद्यालय की पूर्व छात्रा रह चुकी है उन्होने भी विद्यार्थीयो के साथ अपने अनुभव साझा किये । अंत में श्रीमती आरती भंडारी, पीजीटी (हिंदी) ने कार्यक्रम को पर पधारे मुख्य अतिथि महोदय का धन्यवाद ज्ञापन किया और प्रोग्राम को सुचारु रुप से करवानी वाली टीम को भी धन्यवाद दिया इसी के साथ यह कार्यक्रम समाप्त हुआ ।
















Saturday, November 26, 2022

Celebration of Constitution Day on 26 Nov 2022

                       संविधान दिवस

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 26 नवंबर 2022 को  संविधान दिवस मनाया गया,  इस कार्यक्रम मे विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर,  शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थीयो ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थीयो के लिए प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया, माननीय प्राचार्य महोदय श्री प्रदीप कुमार टेलर जी ने बच्चों को संविधान दिवस के बारे में बहुत सारी जानकारी दी तथा प्रोग्राम को सुचारु रुप से करवानी वाली टीम को भी धन्यवाद दिया इसी के साथ यह कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

Quiz on Constitution on 26 Nov 2022






Tuesday, November 22, 2022

Constitution Day in India (26 November 2022)

भारत में संविधान दिवस


भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है।



भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है।

भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था। भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था।

जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय ले लिया गया।

हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है

भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है।

संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। जिसमें लोगो को यह समझाया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉ अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे, जिन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके। भारत की संविधान सभा ने 26 जनवरी 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और इसके प्रभावीकरण की शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई।

भारत में संविधान दिवस कैसे मनाया जाता है

संविधान दिवस वह दिन है, जब हमें अपने संविधान के विषय में और भी ज्यादे जानने का अवसर प्राप्त होता है। इस दिन सरकारी तथा नीजी संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। संविधान दिवस के दिन जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है वह है लोगो को “भारत के संविधान के प्रस्तावना” की जानकारी देना, जिसके विषय में देशभर के विद्यालयों, कालेजों और कार्यलयों में समूहों द्वारा लोगो काफी आसान भाषा में समझाया जाता है।

इसके साथ ही विद्यालयों में कई तरह के प्रश्नोत्तर प्रतियोगिताएं, भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जो भारत के संविधान और डॉ भीमराव अंबेडकर के उपर केंद्रित होती हैं। इसके साथ ही इस दिन कई सारे व्याख्यानों और सेमिनारों का भी आयोजन किया जाता है, जिनमें हमारे संविधान के महत्वपूर्ण विषयों के बारे में समझाया जाता है। इसी तरह कई सारे विद्यालयों में छात्रों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्रों द्वारा कई सारे विषयों पर चर्चा की जाती है।

हमारे विद्यलया पुस्तकालय द्वारा आज शाम (26.11.2020) चार बजे ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जायेगा अतः आप इसमे जरुर भाग ले । सभी भाग लेने वाले प्रतिभागियों को विद्यलया द्वारा डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा । 

धन्यवाद 

Quiz No 56 on Constitution Day

 

Saturday, November 19, 2022

Celebration of Sadbhavana Week 19 Nov. 2022

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज दिनांक 19 नवंबर 2022 को सदभावना सप्ताह (19 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक मनाया जाएगा) मनाने की शुरुवात की गई,  इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री चंद्र प्रकाश मीणा, आईआरएस ने मुख्य अथिति के रूप भाग लिया तथा इस कार्यक्रम में विधालय के  शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थीयो ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में विद्यार्थीयो के द्वारा विभिन्न  सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई । इस समारोह में श्री चंद्र प्रकाश मीणा जी ने बच्चों को भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के लिए कुछ टिप्स दिये  तथा अपने जीवन में किस तरह आगे बढ़ना चाहिए और किस तरह समाज देश के अंदर सांप्रदायिक सदभावना को बनाए रखना चाहिए तथा माननीय प्राचार्य महोदय श्री प्रदीप कुमार टेलर जी ने भी बच्चों को सांप्रदायिक सदभावना के बारे में बहुत सारी बातें बताई । अंत में श्रीमती आरती भंडारी, पीजीटी (हिंदी) ने कार्यक्रम को पर पधारे मुख्य अतिथि महोदय का धन्यवाद ज्ञापन किया और प्रोग्राम को सुचारु रुप से करवानी वाली टीम को भी धन्यवाद दिया इसी के साथ यह कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

Monday, November 14, 2022

Children's Day (14 November 2022)

  बाल दिवस (14 नवम्बर)


हर वर्ष 14 नवम्बर को हम बाल दिवस के रूप में मानते हैं। 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन मनाया जाता है जिसे बाल दिवस या Children’s Day के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार और लगाव था। बच्चे भी उन्हें उतना ही प्यार करते थे। वे हर वर्ष अपने जन्मदिन पर अनेक बच्चों से मिलते थे और उनके साथ ही अपना समय बिताते थे। इसी वजह से ही हर वर्ष 14 नवम्बर को पूरे देश में उत्साह के साथ बाल दिवस मनाया जाता है। वे बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थे। 



देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बच्चों के प्रति प्रेम को देखते हुए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूम में मनाया जाता है। हमारे देश में हर वर्ष 14 नवम्बर के दिन बाल दिवस का कार्यक्रम मनाया जाता है। इस दिन पंडित नेहरू के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। देश के प्रति समर्पण तथा अंतराष्ट्रीय राजनीति में उपलब्धियों को याद किया जाता है। बच्चे अपने स्कूलों के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्यार से सभी बच्चे चाचा नेहरू के नाम से सम्बोधित करते थे।

भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए भी पंडित नेहरू बच्चों से बहुत लगाव रखते थे। बच्चों के साथ समय बिताना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए वर्ष 1956 से ही उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। पंडित नेहरू के अनुसार आज के बच्चे ही देश के भविष्य हैं इसलिए उन्हें प्यार और देखभाल की जरुरत होती है ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सके। उनका मन बहुत ही साफ़ होता है और कोई भी चीज़ बच्चों के मन में असर डालती है। इसलिए उनका विशेष ध्यान रखना जरुरी होता है।

देश का भविष्य बच्चे ही हैं। सभी बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। बच्चों के रहन – सहन का स्तर उठाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए। बाल दिवस पर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा बच्चों के भविष्य के लिए कई तरह की योजनाओं की घोषणा की जाती है। देश के भावी निर्माताओं के लिए उनके विद्यालयों में भी कई तरह कके कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। नए कपडे, भोजन , किताबे इत्यादि प्रदान की जाती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक किया जाता है।

देश के हर छोटे बड़े स्कूलों में बाल दिवस मनाया जाता है। बच्चे अलग अलग तरह के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। गीत-संगीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला के प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में सजे कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाते हैं। बच्चों में पुरस्कार और मिठाईयां बाँटी जाती है। लेकिन अब कोरोना के कराण हम सब घर पर रह्कर यह सब काम करेंगे। इस दिन विशेष रूप से गरीब बच्चों को जरुरी सुविधाएँ पहुंचाने ,बाल श्रम और बाल शोषण जैसे गंभीर मुद्दों के बारे में अवश्य सोचना चाहिए। बच्चों के समग्र विकास को ध्यान में रखना चाहिए। तभी हम पंडित जवाहरलाल नेहरू को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

देश के प्रगति के हम है आधार, हम करेंगे चाचा नेहरु के सपने को साकार |

Friday, November 11, 2022

PIE OLYMPIC AT SMS STADIUM JAIPUR

पाई ओलंपिक खेल


राजस्थान पत्रिका द्वारा आयोजित पाई ओलंपिक खेलो का आयोजन  दिनांक 07 नवंबर 2022 से शुरू होकर 12 नवंबर 2022 तक सवाई मान सिंह स्डेडियम, जयपुर मे किया गया ।  जिसमे केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर की वालीबाल टीम (U-18, Boys) ने भाग लिया, जिनका  फाइनल मुकाबला दिनांक १० नवंबर 2022 को सेंट सोल्जर पब्लिक स्कूल, जयपुर  के बीच  खेला गया जिसमें केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2, जयपुर  की टीम  विजयी रही । पुरुस्कार वितरण समारोह दिनांक १२ नवंबर 2022 को सवाई मान सिंह स्डेडियम, जयपुर मे किया जायेगा ।


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2, जयपुर की वालीबाल टीम 






Saturday, October 29, 2022

Demonstration on Disaster Management by SDRF, Gadota Jaipur on 29.10.2022

आपदा प्रबंधन 


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर मे दिनांक 29 अक्टूबर 2022 को एसडीआरएफ, गाडोता, जयपुर के कमांडेंट श्री राजकुमार गुप्ता (IPS) के निर्देशानुसार एच कम्पनी जयपुर के श्री रमेश चंद, प्लाटून कमांडर के नेतृत्व मे गठित टीम मे श्री राम  कुंवार, हैड कांस्टेबल  की अगुवाई मे प्राकृतिक आपदाओं तथा प्राथमिक उपचार के मैंनेजमेंट के बारे मे विद्यालय मे विस्तार से बताया  तथा अपनी टीम के द्वारा प्रदर्शन करके भी दिखाया गया जिसमे प्राकृतिक आपदाओं बाढ, भूकंप, अग्निकांड, गैस सिलेंडर मे लगी आग को रोकना, जहरीली गैसों के रिसाव, बडी सड़क दुर्घटनाओं , रेल हादसों , हवाई दुर्घटनाओं, बडी बिल्डिंगें, पुलों के ढहने, चक्रवात, सूखा, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीट हमला, पाला और शीत लहरो के बारे मे बताया। राज्य सरकार ने वर्ष 2012 के बजट में एसडीआरएफ बनाने की घोषणा की थी।  रावतभाटा में न्यूक्लियर रिसाव होने पर बचाव राहत कार्य के लिए प्रदेश में एसडीआरएफ का गठन किया गया था।

एसडीआरएफ टीम के द्वारा एक प्रर्दशनी का भी आयोजन किया गया जिसमे आपदा के दोरान बचाव एव राहत कार्य मे आने  वाले समस्त उपकरणो के बारे मे भी विद्यालय के सभी छात्र-छात्राओ तथा शिक्षक-शिक्षिकाओ को जानकारी दी ।  विद्यालय के उप प्राचार्य  श्री बी. एस. राठौड़ तथा अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओ एवं विद्यालय के छात्र-छात्राओ ने भाग लिया । इस प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिये उप प्राचार्य ने एच कम्पनी, एसडीआरएफ, गाडोताजयपुर के द्वारा प्रस्तुत किये गये जन जागरुकता अभियान के इस कार्यक्रम के लिये आभार व्यक्त किया । जिसकी कुछ तस्वीरे नीचे दी जा रही है ।

Thursday, October 27, 2022

National Unity Day (31 October 2022)

                                               राष्ट्रीय एकता दिवस


राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी धर्मों को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।


एकता का महत्त्व 
एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।

एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका 

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘रियासतों को तीन विषयों – सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।’ धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।

‘रन फॉर यूनिटी’ 

2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें। इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दिल्ली के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है। ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है।

राष्ट्रीय एकता में बल है अपार, चलो हाथ मिलाये बाटे प्यार।

सच्चे मायनों में तभी होगी देशभक्ति, जब एक होकर हम दिखायें एकता की शक्ति ।

हमारी एकता हमारी पहचान है, तभी तो हमारा देश महान है । 

Saturday, October 22, 2022

Inter House Dance Competition (22.10.2022)

इंटर हाउस समूह नृत्य प्रतियोगिता 


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर मे दिनांक 22 सितंबर  2022 को इंटर हाउस समूह नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे सदन के सभी प्रतिभागियो ने जोश के साथ भाग लिया। जिसमे प्रथम स्थान पर टैगोर हाउस, दूसरे स्थान पर रमन तथा तीसरे स्थान पर अशोका सदन रहे। कार्यक्रम मे विधालय के  प्राचार्य  श्री   प्रदीप कुमार  टेलर, शिक्षक-शिक्षिकाए  तथा विद्यालय छात्र-छात्राए उपस्थित रहे ।  प्राचार्य  ने बच्चो तथा स्टाफ के सदस्यो  को दीपावली की शुभकामनाए दी 

Tuesday, October 18, 2022

Annual Supervision of KV No 2 Jaipur (18.10.2022)

केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर मे दिनांक 18 अक्टूबर 2022 को माननीय सहायुक्त आयुक्त श्री डी.आर. मीना, जयपुर सम्भाग की अध्यक्षता मे वार्षिक शैक्षिक निरीक्षण किया गया जिसमे अन्य स्कूलो से आये प्राचार्यो, उप प्राचार्यो तथा प्रधानाचार्यो ने विद्यालय का  निरीक्षण किया । प्राचार्य  श्री   प्रदीप कुमार टेलर ने सभी का जोरदार स्वागत किया। श्री डी. आर. मीना, सहायुक्त आयुक्त, जयपुर सम्भाग ने प्राथना सभा मे सभी को सम्बोधित किया ।  







Release of Library e-Magazine


DEAR (Drop Everything and Read) Prog. in PM shri KV No. 2 Jaipur

DEAR (Drop Everything and Read)  पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज दिनांक 10 सितंबर 2025 को विद्यालय में DEAR (Drop Everyth...