Monday, February 19, 2024

Celebration of Grand Parents Day on 17 Feb 2024.

दादा-दादीनाना-नानी दिवस मनाया गया


पीम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक जयपुर में दिनांक 17  दिसम्बर 2024 को ग्रैंड पेरेंट्स डे मनाया गया,  इस कार्यक्रम दादा-दादीनाना-नानीविधालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलरउप प्राचार्य बी. एस. राठौरप्रधानाध्यापक श्री महेश कुमार बुनकरशिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थीयो ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में प्राथमिक विभाग के विद्यार्थीयो के द्वारा विभिन्न  सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई ।  इस कार्यक्रम मे दादा दादीनाना - नानीयो के लिये भी कुछ प्रतियोगिताये का आयोजन किया गया जिसमे उन्होने जोश के साथ भाग लिया  















Pottery Making Show on 19 Feb 2024.

मिट्ट्टी के  बर्तन बनाने की कार्यशाला 


पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज दिनांक 19 फरवरी 2024 को बच्चों में कौशल विकास के लिए एक  प्रदर्शनी  का  आयोजन किया गया  जिसमें  बच्चों  को  मिट्ट्ट्वी के  बर्तन बनाने, खिलौने बनाना,दीपक, सुराही गुलदस्ता, गुल्लक आदि बनाने के लिए बच्चों को सिखाया गया | बच्चों तथा अध्यापकों ने खुद भी अपने हाथों से  यह सब बनाने का भरपूर आनंद उठाया ।

मृत्तिका तथा अन्य सिरैमिक पदार्थों का उपयोग करके 'बर्तन एवं अन्य वस्तुए बनाना कुंभकारी कहलाता है। इन बर्तनों को कठोर और टिकाऊ बनाने के लिए उच्च ताप पर पकाया जाता है। कुंभकारी एक व्यापक शब्द है और इसके अन्तर्गत मिट्टी के बर्तन, पत्थर के बर्तन तथा चीनी मिट्टी के बर्तन एवं वस्तुएँ बनाने का कार्य सभी आ जाते हैं। इन वस्तुओं को 'मृद्भाण्ड' (शाब्दिक अर्थ - मिट्टी के बर्तन) कहते हैं। इस कार्य को करने वाले को कुम्हार कहा जाता है और जिस स्थान पर इन्हें बनाया जाता है उसे चाक (पॉटर) कहते हैं। 









Tuesday, January 23, 2024

Netaji Subash Chandra Bose Jayanti (23 Jan 2024)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती 

राष्‍ट्रीय आंदोलन के पराक्रमी नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी 2024 को 127वीं जयंती है | इस खास दिन को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाया जाता है. देश की आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेता जी का जन्‍म साल 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था | नेताजी की जिंदगी और देश के लिए उनका त्‍याग आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है | 


सुभाषचंद्र जी का जन्म कटक, उड़ीसा के बंगाली परिवार में हुआ था , उनके 7 भाई और 6 बहनें थी. अपनी माता पिता की वे 9 वीं संतान थे, नेता जी अपने भाई शरदचन्द्र के बहुत करीब थे. उनके पिता जानकीनाथ कटक के महशूर और सफल वकील थे, जिन्हें राय बहादुर नाम की उपाधि दी गई थी | नेता जी को बचपन से ही पढाई में बहुत रूचि थी, वे बहुत मेहनती और अपने टीचर के प्रिय थे. लेकिन नेता जी को खेल कूद में कभी रूचि नहीं रही. नेता जी ने स्कूल की पढाई कटक से ही पूरी की थी. इसके बाद आगे की पढाई के लिए वे कलकत्ता चले गए, वहां प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिलोसोफी में BA किया. इसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतियों को सताए जाने पर नेता जी बहुत विरोध करते थे, उस समय जातिवाद का मुद्दा बहुत उठाया गया था. ये पहली बार था जब नेता की के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू हुई थी ।

नेता जी सिविल सर्विस करना चाहते थे । अंग्रेजों के शासन के चलते उस समय भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल था, तब उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया. इस परीक्षा में नेता जी चोथे स्थान में आये, जिसमें इंग्लिश में उन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिले । नेता जी स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे, वे उनकी द्वारा कही गई बातों का बहुत अनुसरण करते थे । नेता जी के मन में देश के प्रति प्रेम बहुत था वे उसकी आजादी के लिए चिंतित थे, जिसके चलते 1921 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी ठुकरा दी और भारत लौट आये ।

नेता सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में रोचक तथ्य

वर्ष 1942 में नेता सुभाष चंद्र बोस जी हिटलर के पास गए और भारत को आजाद करने का प्रस्ताव उसके सामने रखा, परंतु भारत को आजाद करने के लिए हिटलर का कोई दिलचस्पी नहीं था और उसने नेताजी को कोई भी स्पष्ट वचन नहीं दिया था।

सुभाष चंद्र बोस जी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जी को बचाना चाहते थे और उन्होंने गांधी जी से अंग्रेजों को किया हुआ वादा तोड़ने के लिए भी कहा था, परंतु वे अपने उद्देश्य में नाकाम रहे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने भारतीय सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, परंतु उन्होंने देश की आजादी को देखते हुए अपने इस आरामदायक नौकरी को भी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया।

नेताजी को जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिल दहला देने वाले दृश्य ने काफी ज्यादा विचलित कर दिया और फ़िर भारत की आजादी संग्राम में खुद को जोड़ने से रोक ना सके।

वर्ष 1943 में बर्लिन में नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंट्रल से सकुशल स्थापना की।

वर्ष 1943 में ही आजाद हिंद बैंक ने 10 रुपए के सिक्के से लेकर 1 लाख रुपए के नोट जारी किए थे और एक लाख रुपए की नोट में नेता सुभाष चंद्र जी की तस्वीर भी छापी गई थी।

नेता जी ने ही महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था।

सुभाष चंद्र बोस जी को 1921 से लेकर 1941 के बीच में 11 बार देश के अलग-अलग कैदखाना में कैद किया गया था।

नेता सुभाष चंद्र बोस जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में दो बार अध्यक्ष के लिए चुना गया था।

नेता सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु आज तक रहस्यमई बनी है और इस पर से आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठ सका है और यहां तक कि भारत सरकार भी इस विषय पर कोई भी चर्चा नहीं करना चाहती है।


Friday, January 19, 2024

Two days work shop for Office Staff (19-20 Jan 2024)

कार्यालय कर्मियों हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला


पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में विद्यालयों में कार्यरत कार्यालय कर्मियों हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया,  जिसका शुभारंभ दिनांक 19 जनवरी 2024 को सुबह 10:00 बजे किया गया जिसमें केंद्रीय विद्यालय संगठन जयपुर संभाग के उपायुक्त माननीय श्री बी. एल. मरोडिया,  सहायक आयुक्त श्रीमान डी. आर. मीना,  वित्त अधिकारी, श्री संजय कुलश्रेष्ठ तथा विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर और जयपुर संभाग के सभी विद्यालयों से पधारे कार्यालय कर्मी शामिल रहे । इसमें माननीय उपायुक्त महोदय ने सभी प्रतिभागियों को बताया कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं और अपने विद्यालयों में रोजमर्रा के कार्यों में इसका लाभ लें । सहायक आयुक्त श्री डी. आर. मीना ने  पीएम श्री पोर्टल के बारे में सभी प्रतिभागियों को विस्तार से बताया ।



















Monday, January 15, 2024

Celebration of National Youth Day on 15 Jan 2024

राष्ट्रीय युवा दिवस 


पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया जिसमें विद्यालय के प्राचार्य श्री पी.के. टेलर ने  राष्ट्रीय युवा दिवस के बारे में विस्तार से बताया तथा श्री राकेश कुमार स्नातकोत्तर शिक्षक (रसायन विज्ञान) ने मकर संक्रांति के बारे में विस्तार से बताया तथा साथ ही में मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है इसके बारे में वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारियां बच्चों को उपलब्ध कराई ।





Army Day 15 January 2024

    सेना दिवस                        


15 जनवरी का दिन भारत के लिए अहम दिन होता है। आज के दिन को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 15 जनवरी भारत के गौरव को बढ़ाने और सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों के सम्मान का दिन होता है। इस साल भारत का 76 वां सेना दिवस मनाया जा रहा है। 15 जनवरी को नई दिल्ली और सभी सेना मुख्यालयों पर सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस मौके पर देश थल सेना की वीरता, उनके शौर्य और कुर्बानियों को याद करता है। लेकिन सवाल ये हैं कि 15 जनवरी को ही भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है? ये दिन भारतीय सेना और भारत के इतिहास के लिए खास कैसे है? दरअसल भारतीय सेना दिवस फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं कि कौन हैं फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और सेना में उनके योगदान के बारे में, साथ ही क्यों 15 जनवरी को ही सेना दिवस मनाया जाता है?



करिअप्पा के सम्मान में हर साल मनाया जाता है सेना दिवस

15 जनवरी को आर्मी डे मनाने के पीछे दो बड़ी वजह है। पहला यह कि 15 जनवरी 1949 के दिन से ही भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हुई थी। दूसरी इसी दिन जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था। इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। केएम करियप्पा ‘किप्पर’ नाम से काफी मशहूर थे। दरअसल 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद ब्रिटिश इंडियन आर्मी दो हिस्से में बंट गई थी। एक पाकिस्तान आर्मी और दूसरा हिस्सा इंडियन आर्मी बनी थी।

28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे करिअप्पा फील्ड मार्शल के पद पर पहुंचने वाले इकलौते भारतीय हैं। फील्ड मार्शल सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया था।

करिअप्पा ने 1947 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अदम्य साहस और दमदार नेतृत्व का परिचय दिया था। पाकिस्तान के युद्ध के समय उन्हें पश्चिमी कमान का जीओसी-इन-सी बनाया गया था। उनके नेतृत्व में भारत ने जोजीला, द्रास और करगिल पर पाकिस्तानी सेना को हराया था।

15 जनवरी को ही क्यों होता है सेना दिवस

दरअसल फील्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख 15 जनवरी 1949 को बने थे। ये भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसलिए 15 जनवरी को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जब करियप्पा सेना प्रमुख बने तो उस समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। करियप्पा साल 1953 में रिटायर हो गए थे और 94 साल की उम्र में साल 1993 में उनका निधन हुआ था।करियप्पा की उपलब्धियां

करियप्पा ने भारत पाकिस्तान युद्ध 1947 का नेतृत्व किया था। रिटायरमेंट के बाद में उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया। इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का सम्मान भी मिला था।

Friday, December 8, 2023

पुस्तक समीक्षा, 08 दिसंबर 2023

पुस्तक समीक्षा


पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 8 दिसंबर 2023 को  प्रार्थना सभा मे कक्षा नवी डी की छात्रा तितिक्षा शर्मा और कक्षा नवी ए की छात्रा पराजित शर्मा द्वारा एक पुस्तक समीक्षा प्रस्तुत की गई, जिस पुस्तक का नाम "मलाला, एक बहादुर लड़की की कहानी" है जिसकी लेखिका संचित सिंह है और इस पुस्तक की पुस्तक समीक्षा की  प्रस्तुति  बहुत ही बेहतर ढंग विद्यालय की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत की गई । 



Thursday, December 7, 2023

भाषा उत्सव मनाया गया (07.12.2023)

भाषा उत्सव


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 7 दिसंबर 2023 को भाषा उत्सव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें पठन और अभिव्यक्ति के बारे में कक्षा 11 ई की छात्रा प्राजंलि शुक्ला ने विस्तार से बताया गया ।






Monday, October 30, 2023

31st National Children Science Congress on 30-31 October 2023 in PM Shree KV No 2 Jaipur

इकत्तीसवां राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस


पी एम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज दिनांक 30 अक्टूबर 2023 को विद्यालय मे दो दिवसीय इकत्तीसवां राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस समारोह की शुरुवात हुई जिसमे जयपुर संभाग के 250 विद्यार्थी  तथा 75  शिक्षक-शिक्षिकाओ ने भाग लिया ।   इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  श्री बी. एल. मोरोडिया,  उपायुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन जयपुर संभाग तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री डी. आर. मीणा, सहायक आयुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन जयपुर संभाग तथा जूरी के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर एवम प्राइवेट कॉलेजो के सहायक प्रोफेसर शामिल रहे ।विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर,  उप प्राचार्य बी. एस. राठौरप्रधानाध्यापक श्री महेश कुमार बुनकरशिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल रहे । कार्यक्रम मे  विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई । विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर  ने सभी का स्वागत किया तथा राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के महत्व के बारे में विस्तार से बताया ।   मुख्य अतिथि  श्री बी. एल. मोरोडिया,  उपायुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन जयपुर संभाग ने इसके महत्व के बारे में बताया और बच्चों को आशीर्वचन दिए । इस कार्यक्रम का समापन 31 अक्टूबर 2023 को होगा ।  








Thursday, September 21, 2023

World Peace Day (21 September 2023)

 विश्व शांति दिवस 


महासभा प्रत्येक वर्ष 21 सितम्बर को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस अथवा विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व के सभी देशों के लोगों के बीच शांति के आदर्शों को मजबूत बनाने के लिए इस दिन (21 सितम्बर) को शांति के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मानाने की घोषणा की थी।  "विश्व शांति दिवस" मुख्य रूप से पूरी पृथ्वी पर शांति और अहिंसा स्थापित करने के लिए मनाया जाता है। शांति सभी को प्यारी होती है। इसकी खोज में मनुष्य अपना अधिकांश जीवन न्यौछावर कर देता है। किंतु यह काफ़ी निराशाजनक है कि आज इंसान दिन-प्रतिदिन इस शांति से दूर होता जा रहा है। आज चारों तरफ़ फैले बाज़ारवाद ने शांति को व्यक्ति से और भी दूर कर दिया है।



Theme of this year peace day : "End racism, Build Peace".

विश्व शांति दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी देशों और देश के भीतर लोगों के बीच शांति के आदर्शों को मजबूत बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1981 में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की स्थापना की गई थी। पहली बार 21 सितम्बर 1982 को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाया गया था। जिसमे कई देशों, राजनीतिक समूहों , सैन्य समूहों, के लोग शामिल थे। शांति के पहले अंतरराष्ट्रीय दिवस का विषय था “Right to peace of people.”।

शांति का संदेश दुनिया के कोने-कोने में पहुँचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत और खेल जगत की विश्वविख्यात हस्तियों को शांतिदूत भी नियुक्त कर रखा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तीन दशक पहले यह दिन सभी देशों और उनके निवासियों में शांतिपूर्ण विचारों को सुदृढ़ बनाने के लिए समर्पित किया था।

वर्ष 1982 से 2001 तक सितम्बर महीने के तीसरे मंगलवार को "विश्व शांति दिवस" के लिए चुना गया था, लेकिन बाद में वर्ष 2002 में 21 सितम्बर "अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस" या "विश्व शांति दिवस" के रूप में घोषित कर दिया गया।

विश्व शांति दिवस का उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य विश्व के सभी देशो में शांति कायम करना है। अंतरराष्ट्रीय संघर्ष को रोकने और शांति की संस्कृति विकसित करने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ है। संघर्ष, आतंक और अशांति के इस दौर में अमन की अहमियत का प्रचार-प्रसार करना बेहद जरूरी और प्रासंगिक हो गया है। इसलिए संयुक्त राष्ट्रसंघ, और उसकी तमाम संस्थाएँ, गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसायटी और राष्ट्रीय सरकारें प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को "अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस" का आयोजन करती हैं। शांति का संदेश दुनिया के कोने-कोने में पहुँचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत और खेल जगत की विश्वविख्यात हस्तियों को शांतिदूत के रूप में भी नियुक्त कर रखा है।

Tuesday, August 29, 2023

Quiz No : 57, on National Sports Day 2023

 

National Sports Day (29 Aug 2023)

                                               राष्ट्रीय खेल दिवस 2023


29 अगस्त को हर साल भारत में 'राष्ट्रीय खेल दिवस' (National Sports Day) के रूप में मनाया जाता है. खेलों के जरिए तनाव को आसानी से दूर किया जा सकता है। दुनियाभर में अलग-अलग तारीख को खेल दिवस मनाया जाता है। भारत में हर साल 29 अगस्त को नेशनल स्पोर्ट्स डे (राष्ट्रीय खेल दिवस) मनाया जाता है।हमारे जीवन में खेलों का बड़ा महत्व होता है। मनुष्य के स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 


Theme of National Sports Day 2023 
"Sports are an enabler to an inclusive and fit society".


फिट और स्वस्थ रहने के लिए खेलों का बड़ा महत्व: 

पीएम मोदी ने भारत में खेलों को काफी बढ़ावा दिया है। पिछले कुछ सालों में देश ने बड़े-बड़े टूर्नामेंट में का काफी मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। नेशनल स्पोर्ट्स डे (राष्ट्रीय खेल दिवस) का ही नतीजा है कि देश में गांवों से निकलकर युवा देश के लिए गोल्ड मेडल जीत रहे हैं। इससे खिलाड़ी और युवा फिट और स्वस्थ होने के महत्व को समझते हैं। फिटनेस और स्वास्थ्य दोनों के लिए खेल अमृत के सामान है।

इस दिन के महत्त्व की बात की जाए, तो यह दिन मेजर ध्यानचंद के सम्मान में मनाया जाता है और विभिन्न खेलों में खिलाडियों के महत्वपूर्ण योगदान के लिए राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है.


खेलों के प्रति खिलाड़ियों का सम्मान, छिपी प्रतिभा को ढूंढना, एथलीटों की सफलता के लिए परिवारों, कोचों और सहयोगी स्टाफ के उत्कृष्ट समर्थन की सराहना करने के लिए हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा ये दिवस अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधि और खेल के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हाॅकी के दिग्गज मेजर ध्यानचंद की जयंती के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 29 अगस्त को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस 2022’ के रूप में मनाया जाता है। 


राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाया जाता है


सन 1979 में, भारतीय डाक विभाग ने मेजर ध्यानचंद को उनकी मृत्यु के बाद श्रद्धांजलि दी और दिल्ली के राष्ट्रीय स्टेडियम का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, दिल्ली कर दिया. 2012 में, यह घोषणा की गई थी कि खेल की भावना के बारे में जागरूकता फैलाने और विभिन्न खेलों के संदेश का प्रचार करने के उद्देश्य से एक दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए और इसके लिए फिर से मेजर ध्यानचंद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई और 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई.


मेजर ध्यानचंद कौन थे?


29 अगस्त 2012 को पहली बार राष्ट्रीय खेल दिवस मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) के अवसर पर मनाया गया था. Major Dhyan Chand के सम्मान में इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था और वह अपने समय के महान हॉकी खिलाड़ी थे. उन्हें हॉकी खिलाड़ी के स्टार या "हॉकी का जादूगर" के रूप में जाना जाता था, क्योंकि उनकी अवधि के दौरान, उनकी टीम ने वर्ष 1928, 1932 और 1936 के दौरान ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किए थे. उन्होंने 1926 से 1949 तक 23 वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेली. उन्होंने अपने करियर में कुल 185 मैच खेले और 570 गोल किए. वह हॉकी के प्रति इतने समर्पित थे कि वह चांदनी रात में खेल के लिए अभ्यास किया करते थे, जिससे उसका नाम ध्यानचंद पड़ गया. 1956 में, ध्यानचंद को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया, वह यह सम्मान पाने वाले तीसरे नागरिक थे.

Wednesday, August 2, 2023

52nd Regional Sports Meet in KV No 2 Jaipur

52 वां संभागीय स्तर खेलकूद प्रतियोगिता आरम्भ


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 01/08/2023 से 03/08/2023 तक तीन दिवसीय संभागीय स्तर खेलकूद प्रतियोगिताओं का शुभारंभ हुआ |  प्रतियोगिता में U-14 एवं U-17 वर्ग में बास्केटबॉल एवं कबड्डी खेलों का आयोजन होगा | प्रतियोगिता में जयपुर संभाग की विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों की 35 टीमों की 336 खिलाडी प्रतिभाग कर रही है | कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में प्राचार्य श्री पी. के. टेलर ने खिलाड़ियों से खेल को खेल की भावना से खेलने के लिए प्रेरित किया एवं साथ ही कहा कि खेल का महत्व आज के समय में इसलिए और भी ज्यादा बढ़ जाता है कि खेल हमें हार को स्वीकार करना सिखाते है l



For Sports Meet photographs, click here 

Thursday, July 13, 2023

Annual Panel Inspection of KV No. 2 Jaipur on 13 July 2023.

ANNUAL PANEL INSPECTION 2023


केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज दिनांक 13 जुलाई 2023 को विद्यालय का वार्षिक निरीक्षण किया जा रहा है जिसकी अगुवाई श्री बी. एल. मोरोडिया,  उपायुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन जयपुर संभाग तथा निरीक्षण दल के मुखिया श्री डी. आर. मीणा, सहायाक आयुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन जयपुर संभाग तथा उनके साथ दल मे  अन्य स्कूलो से पधारे हुए प्राचार्य/ प्राचार्या, उप  प्राचार्य तथा मुख्य अध्यापक शामिल रहे । विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर,  उप प्राचार्य बी. एस. राठौरप्रधानाध्यापिका श्रीमती मधु रितुशिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थी शामिल रहे ।  इस कार्यक्रम की शुरुआत स्काउट एवंम क्लब के विद्यार्थियों ने बहुत सारी गतिविधियों का प्रदर्शन निरीक्षण दल के सामने किया,  उसके बाद प्रार्थना सभा मे दल के सभी सदस्यों का स्वागत किया गया, उसके बाद विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी और  बाद मे निरीक्षण दल ने निरीक्षण की कार्रवाई शुरू की, जिसमें कक्षाओं का निरीक्षण शुरू किया गया ।
























Monday, July 3, 2023

International Plastic Bag Free Day 03 July 2023)

 अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस

 

पॉलीथिन के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से हर वर्ष (03 July) तीन जुलाई को इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्री डे मनाया जाता है। इसके बाद भी लोग प्रतिबंधित पॉलीथिन के इस्तेमाल कर रहे हैं।आज प्लास्टिक का उपयोग काफी बढ़ गया है। यह हमारे लिए हानिकारक है, इसके बावजूद बैग से लेकर चाय के कप तक, हर चीज में प्लास्टिक का प्रयोग किया जा रहा है। प्लास्टिक से होने वाले नुक्सान, इसके बढ़ते उपयोग को रोकने और लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए 3 जुलाई, 2009 से पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री-डे मनाने की शुरुआत हुई। 


प्लास्टिक का नुकसान मासूम पशु-पक्षियों से लेकर पर्यावरण तक को हो रहा है। इसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढि़यों को भुगतना होगा। 

औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है और दुर्भाग्यवश एक प्लास्टिक को गलने में  कम से कम 1000 साल लगते हैं, साथ ही, दुनिया के महासागरों और पृथ्वी को प्रदूषित करने में सिर्फ चंद मिनट लगते हैं। अधिकांश लोग इस तथ्य से अनजान हैं कि हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है। आज अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस है। जागरूकता फैलाने के लिए ये दिवस तो घोषित कर दिया गया लेकिन आप बढ़ते प्रदुषण और आने वाली पीढ़ी के लिए लगातार बढ़ते खतरे को लेकर कितना सजग हुए हैं? 

बड़े-बड़े बाजारों से लेकर सब्जी मंडी में आज भी प्लास्टिक में खुलेआम सामान बेचा जा रहा है। आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदुषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह है जहां की जनसंख्या 260 मिलियन है। यह देश चीन के बाद सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला दुनिया का दूसरा देश है। जनवरी में जरनल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में ये बात कही गई है। यहां हर साल 3.2 मिलियन टन प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न होता है। जिसका निपटारा नहीं किया जाता। अध्ययन के मुताबिक इसमें से 1.29 मिलियन टन कचरा समुद्र में पहुंचता है।

1950 से 1970 तक प्लास्टिक का काफी कम उत्पादन किया जाता था इसलिए प्लास्टिक प्रदुषण का नियंत्रण करना आसान था। 1990 तक दो दशकों में प्लास्टिक के उत्पादन में तीन गुना बढ़ोतरी हुई। पिछले 40 वर्षों के मुकाबले वर्ष 2000 के दौरान प्लास्टिक का उत्पादन काफी ज्यादा हो गया। फलस्वरूप आज 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन रोजाना होता है जो करीब पूरी आबादी के वजन के बराबर है। 

प्लास्टिक के कम इस्तेमाल के लिए सरकार प्रयास कर रही है। यहां तक कि दुकानदारों से भी कहा जा रहा है कि लोगों को प्लाटिक के थौलों में सामान न दें और देशभर के स्कूलों में बच्चों को बताया जा रहा है कि इससे क्या समस्याएं हो सकती हैं। सरकार की ओर से सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वह 2025 तक प्लास्टिक के 70 फीसदी कम इस्तेमाल करने संबंधी अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सके। यह बड़ा उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब लोग ये समझें कि प्लास्टिक हमारा दुश्मन है। 

प्लास्टिक है जानलेवा, इसका उपयोग बंद करें।
प्लास्टिक को जड़ से मिटाना हैं, पर्यावरण को बचाना हैं।
प्लास्टिक की नहीं कोई शान, मिटा दो उसका नमो निशान।
आओ घर-घर अलख जगाएं, प्लास्टिक को घर-घर से भगाएं।
प्लास्टिक प्रदूषण को जड़ से उखाड़ना हैं, कपड़े और जूट बैग को अपनाना हैं।

DEAR (Drop Everything and Read) Prog. in PM shri KV No. 2 Jaipur

DEAR (Drop Everything and Read)  पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में आज दिनांक 10 सितंबर 2025 को विद्यालय में DEAR (Drop Everyth...