अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस
विश्व पशु कल्याण दिवस एक अन्तराष्ट्रीय दिवस है जोकि प्रतिवर्ष 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन असीसी के सेंट फ्रांसिस का जन्मदिवस भी है जोकि जानवरों के महान संरक्षक थे. इस दिवस का आयोजन 1931 ईस्वी परिस्थितिविज्ञानशास्रीयों के सम्मलेन में इटली के शहर फ्लोरेंस में शुरू हुआ था. इस दिवस का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधो को मजबूत करना था. साथ ही पशुओ के कल्याण के सन्दर्भ विश्व पशु कल्याण दिवस का आयोजन करना था.
World Animal Day Theme 2021 : "Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet"
विश्व पशु कल्याण दिवस का उद्देश्य
विश्व पशु कल्याण दिवस का मूल उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना, और व्यक्तियों,समूह, और संगठनों का समर्थन प्राप्त करना और जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करना ताकि उनका जीवन सक्षम और बेहतर हो सके. इस कारण से यह दिवस “पशु प्रेमी दिवस” के रूप में जाना जाता है. यद्यपि यह एक बेहतरीन दिवस विश्व भर के लोगो का जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करने का महत्वपूर्ण दिवस है, लेकिन इस दिवस के उजागर होने के पीछे भी कई कारण जिम्मेदार हैं. इन सभी तथ्यों में जानवरों के प्रति प्रकट किये जाने वाले घृणास्पद व्यवहार, आवारा कुत्तों और बिल्ल्लियों के प्रति व्यवहार, उनका अमानवीय व्यापार आदि भी प्रमुख कारण थे. इसके अलावा किसी प्राकृतिक आपदा के समय भी इन जानवरों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था और उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जाती थी.
विश्व पशु कल्याण दिवस समारोह
विश्व पशु कल्याण दिवस वास्तव में एक महत्वपूर्ण दिवस है. यह विविध माध्यमों से हमें कई चीजो को याद दिलाता है जिसमे जानवर हमारे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करते हैं. इस दिवस को ढेर सारे दिवसों का आयोजन किया जाता है. अर्थात जैसे विश्व पशु कल्याण अभियान, पशुओं के लिए बचाव आश्रयों का उद्घाटन, और फंड जुटाने से सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन इत्यादि. इसके अलावा स्कूल और कालेजों में भी वन्य जीवों से जुडी ढेर सारी जानकारियों को टीवी और कंप्यूटर के माध्यम से साझा किया जाता है. इसके अलावा कई संगठनों के द्वारा जानवरों के लिए आश्रय के निर्माण का कार्यक्रम भी को स्वयंसेवको के द्वारा प्रायोजित किया जाता है..
जानवर मनुष्यों के हमेशा से ही सबसे अच्छे दोस्त साबित होते रहे हैं. मनुष्य ने अपनी सभ्यता की शुरुआत से ही जानवरों के साथ बेहतरीन दोस्ती बनाकर रखी और उसी का नतीजा है कि आज जानवर हमारी कई जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बदले हमने जानवरों को क्या दिया है? उन्हें बेघर कर दिया, उन्हें ही अपना भोजन बना लिया और जो कभी हमारे परम मित्र हुआ करते थे उन्हें अपना परम शत्रु बना लिया है.
आज इंसान ने अपने भोजन और शौक के लिए कई ऐसे जानवरों को लुप्त होने के कगार तक ला खड़ा किया है जो कभी इस धरती पर बड़ी संख्या में थे. उदाहरण के लिए शार्क और व्हेल को खाने की प्लेट में रखने वाले तथाकथित शौकीनों की वजह से जल के इन प्राणियों की संख्या आज नगण्य हो चुकी है. कुछ ऐसा ही हाल नीलगायों का भी हुआ है.
किताबों व लोक कथाओं में मनुष्य और जानवरों की दोस्ती के कई किस्से मशहूर हैं. जानवर मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त भी माना गया है और इनकी दोस्ती की कई मिसालें दी जाती हैं. लेकिन कुछ वर्षों से जंगली जानवरों ने मानव बस्तियों पर हमला कर मनुष्य को ही शिकार बनाना शुरू कर दिया है. एक जमाने में दोनों अपने-अपने क्षेत्र का उपयोग कर शांतिपूर्वक रह रहे थे. विकास की बयार और आगे निकलने की होड़ में जब मानव ने जानवरों के क्षेत्र में अपना अधिकार जमाने के प्रयास किए तो मामला पेचीदा हुआ. मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और जंगलों का कटान कर बस्तियां बसाई. इसी जद्दोजहद में जब जंगली जानवरों के रहने के लिए घर नहीं रहा व भोजन तलाशने में दिक्कत हुई तो मजबूरन उन्हें मानवीय बस्तियों का रुख करना पड़ा. यही कारण है कि जानवर हिंसक हुए और बस्तियों पर इनके हमले बढ़े हैं.
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