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Saturday, October 23, 2021
United Nations Day 2021 (24 October 2021)
संयुक्त राष्ट्र दिवस
दूसरे वर्ल्ड वार के दौरान कई देश आपस में बुरी तरह से उलझे हुए थे. भीषण उन्माद के उस दौर में जरूरत महसूस की गई ऐसे संगठन की, जो देशों के बीच के विवादों का निपटारा कर सके. साथ ही मानवता से जुड़ी उन मुद्दों पर फैसला ले सके जिनपर कोई देश अकेला फैसला लेने के हक में नहीं है. दुनियाभर में सुरक्षा-शांति, जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार आतंकवाद, लैंगिक समानता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस संगठन को बनाया गया था. इस दिशा में किए गए प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का विचार मूर्त रूप ले पाया।
UN कैसे बना एक संगठन ?
- फिलहाल, UN के सदस्य देशों की संख्या 193 है.
यूनाइटेड नेशंस के प्रमुख अंग (ORGANS)
- महासभा (General Assembly)
- सुरक्षा परिषद (Security Council)
- आर्थिक और सामाजिक परिषद् (Economic and Social Council)
- न्यास परिषद (Trusteeship Council)
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)
- सचिवालय (Secretariat)
तपूर्ण संस्था का संस्थापक दस्तावेज है जो वैश्विक शांति और समानता के लिए काम कर रहा है।
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के तुरंत बाद संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी। यह भविष्य में युद्धों को रोकने के उद्देश्य से स्थापित किया गया। यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी प्राथमिक भूमिका विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। पिछपरिषद (Security Council) और भारत
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी. रूजवेल्ट ने इस 'यूनाइटेड नेशंस' नाम का इस्तेमाल सबसे पहले 1 जनवरी 1942 को किया था. ये दौर था दूसरे वर्ल्ड वार का, इस दौरान 26 देशों के प्रतिनिधियों को शामिल कर यूनाइटेड नेशंस' के लिए एक घोषणापत्र तैयार किया गया था.
साल 1945 में यूनाइटेड नेशंस चार्टर तैयार करने के लिए अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को में एक आयोजन हुई जिसमें दुनिया के 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र को तैयार किया गया और इसे 24 अक्तूबर 1945 को लागू किया गया। इस तरह 24 अक्तूबर को प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ है। इस उपलब्धि को मनाने के लिए सदस्य देशों ने 21 सितंबर को एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था, जहां उन्होंने बहुपक्षवाद के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
24 अक्तूबर को एक ऐतिहासिक दिन के रूप में देखा जाता है, जब दुनिया के कुछ सबसे बड़े देशों द्वारा घोषणापत्र के अनुसमर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया। संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र इस महान गैर-पक्षपाले 75 सालों में दुनिया को तीसरे महायुद्ध से बचाकर इसने अपनी विश्वसनीयता साबित की है।
संयुक्त राष्ट्र दिवस 2021 की 'थीम' क्या है?
Recovering better for an equitable and sustainable world.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ के अपने संदेश में कहा कि कोविड-19 से लेकर आपात जलवायु स्थिति तक दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, जिससे वैश्विक एकजुटता और सहयोग से ही निपटा जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, हम बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वैश्विक एकजुटता और सहयोग से ही हम इन चुनौतियों से निपट सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की पहचान यही है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर सभी युद्ध रोके जाने की अपील की।
UN के सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी है, दुनियाभर में शांति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर फैसला लेना और शांति स्थापित रखना. सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्य होते हैं.
Saturday, October 16, 2021
WORLD FOOD DAY 2021 (16 OCT 2021)
विश्व खाद्य दिवस 2021
वर्ल्ड फूड डे या विश्व खाद्य दिवस दुनियाभर के 150 देशों के द्वारा मिलकर मनाया जाता है. 1981 से यह दिन हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है. हर साल यह दिवस एक थीम के तहत मनाया जाता है भोजन को हर व्यक्ति का मौलिक और बुनियादी अधिकार मानते हुए हर व्यक्ति को भूख से बचाने के लिए यह दिन मनाया जाता है. साल 1945 में इसी दिन रोम में 'खाद्य एवं कृषि संगठन' (Food and Agriculture Organization, FAO) की स्थापना की गई थी. यह संगठन बदलती टेक्नोलॉजी के साथ कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी देता है. ताकि पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सके और मालन्यूट्रिशन को रोका जा सके. साल 1979 में कांफ्रेंस ऑफ FAO ने वर्ल्ड फूड डे मनाने की घोषणा की थी.
वर्ल्ड फूड डे मनाने का उद्देश्य है भुखमरी से पीड़ित लोगों को जागरूक करना. यह काम खाद्य और कृषि संगठन के सदस्यों ने इस दिन शुरू किया था. संगठन के 20वें महासम्मेलन में इस दिन के बारे में प्रस्ताव रखा गया था. इसके बाद साल 1981 में हर साल इसे मनाया जाता है. इसके अलावा, कई और ऑर्गेनाइजेशन जैसे International Fund For Agricultural Development, World Food Program भी लोगों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करते हैं.
हमारे देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में कुपोषण (Malnutrition) के मामले बढ़ रहे हैं. इसलिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाना बहुत अहम है, लेकिन आज भी हजारों लोग कुपोषण की वजह से अपनी जान गवां रहे हैं. ऐसे में खाने को हर व्यक्ति का मौलिक और बुनियादी अधिकार माना जाता है. इसलिए करीब 150 देश मिलकर यह दिवस मनाते हैं.
विश्व खाद्य दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों का इसके प्रति जागरूक करना तथा विश्व में खराब हो रहे खाद्य पदार्थ को बचाना है। विश्व में किसी होटल, पार्टी या अन्य प्रोग्राम में बचे हुए खाना को किसी ऐसे एनजीओ (NGO) में दान करें जो भूखे लोगों का पेट भरते है। >
Thursday, October 14, 2021
Global Hand-washing Day 2021 (15 Oct 2021)
विश्व हस्त प्रक्षालन दिवस 2021
हर साल 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे (Global Hand-washing Day 2021) मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य सेहतमंद बने रहने के लिए दुनिया में हाथ धोने के महत्व को बताना है. हाथ धोना या हैंड हाइजीन काफी जरूरी है. क्योंकि जब आप हाथ धोते हैं, तो ना सिर्फ आपके हाथों से गंदगी, धूल-मिट्टी, तेल आदि साफ होते हैं, बल्कि बीमार करने वाले कई कीटाणुओं का भी नाश होता है. कोरोना के माहौल में हाथ धोना और भी जरूरी हो गया है.
हमारे जीवन में कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें करना हमारे लिए बेहद जरूरी होता है। नहीं तो हम कई बीमारियों की चपेट में तक आ सकते हैं। जैसे- हमारा हाथ धोना। कोरोना काल में तो ये और भी जरूरी हो गया था, ताकि हम वायरस के कहर से बचे रहें। हाथ धोना क्यों जरूरी है, और इसके फायदे और महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 15 अक्टूबर को विश्वभर में 'ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे' यानि विश्व हस्त प्रक्षालन दिवस मनाया जाता है। इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि हाथ के जरिए ही हम कई बीमारियों का शिकार होते हैं। कोरोना वायरस के अलावा भी कई ऐसी बीमारियां हैं, जो हमें हाथों के जरिए ही शिकार बना लेती है। ऐसे में हाथ धोना कितना जरूरी हो जाता है, ये समझना हमारे लिए जरूरी है। तो चलिए आपको इस बारे में बताते हैं।
Theme of Global Hand-washing Day 2021
“Our Future is at Hand – Let's Move Forward Together.”
इसलिए हाथ धोना जरूरी है
दरअसल, हाथ धोना बेहद जरूरी है। अगर हाथों को न धोया जाए या ठीक तरह से न धोया जाए, तो व्यक्ति किसी वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकता है। इसके कारण हम बीमार हो सकते हैं। इसलिए अगर हाथों को साफ करके धोया जाए, तो हम कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं।
हाथ धोने का ये है सही तरीका
हाथ धोना ही काफी नहीं है, बल्कि हाथो कों ठीक तरह से धोना जरूरी है। साबुन और पानी की मदद से हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक धोना चाहिए। इसके बाद एक साफ कपड़े से हाथों को पोंछ लें। ऐसा करने से हाथों के जरिए फैलने वाली बीमारियों का खतरा लगभग न के बराबर हो जाता है।
(a) सबसे पहले ठंडे या गुनगुने (ज्यादा गर्म नहीं) साफ पानी से हाथों को गीला कर लें.
(b) इसके बाद साबुन या लिक्विड सोप लेकर करीब 20 सेकेंड हाथों को रगड़ें और झाग बनाएं.
(c) साबुन को उंगलियों के बीच में, हाथ के पीछे, नाखूनों के पास, कलाई, अंगूठों, उंगलियों की टिप पर भी रब करना ना भूलें.
(d) इसके बाद हाथों को साफ चलते पानी से धोकर तौलिये की मदद से सुखा लें.
इन चीजों के बाद हाथ जरूर धोएं
ये जानना भी जरूरी है कि हाथों को कब धोना चाहिए। दरअसल, खाना खाने से पहले और बाद में, टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद, गमलों की सफाई करने के बाद, घर की सफाई करने के बाद, जानवरों को छूने के बाद हाथों को जरूर साफ करके धोना चाहिए।
हो सकती हैं ये बीमारियां
अगर हाथों को न धोया जाए, तो हम कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। इसमें कोरोना वायरस, पेट में कीड़े होना, हेपेटाइटिस ए, फूड प्वॉयजनिंग, हाथ, मुंह और पैरों से जुड़ी बीमरियां और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां शामिल है।
WORLD STUDENT DAY 2021 (15 OCT 2021)
विश्व विद्यार्थी दिवस 2021
सन् 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर के दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति अवुल पाकिर जैनअब्दुलीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम) के जन्म दिवस के दिन मनाने की घोषणा की, यह फैसला उनके द्वारा विज्ञान और तकनीक में गये योगदान को देखते हुए लिया गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक तथा राजनेता होने के साथ ही एक उम्दा शिक्षक भी थे। यहीं कारण था कि अपने भाषणों द्वारा उन्होंने लाखो छात्रों प्रभावित किया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे, तमिलानाडु के एक छोटे से गाँव से होते हुए भी वह अपने मेहनत और लगन के बलबूते पर देश के सबसे उंचे संवैधानिक पद पर पहुंचे। उनके इन्हीं उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई है।
विश्व विद्यार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है?
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कई तरह के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा अपने बचपन में वह अपने परिवार और खुद के भरण-पोषण के लिए, वह दरवाजे-दरवाजे जाकर अखबार भी बेचा करते थे।
लेकिन अपनी पढ़ाई के प्रति अपनी दृढ़-इच्छा शक्ति के कारण वह अपने जीवन में हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और अपने जीवन में हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक को प्राप्त किया। यह उनके जीवन की ऐसी कहानी है, जो उनके साथ-साथ भारत के आने वाले कई पीढ़ीयों को प्रेरित करने का कार्य करेगी।
अपने वैज्ञानिक और राजनैकित जीवन के दौरान भी डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना और छात्रों को संबोधित करना ही उनका सबसे प्रिय कार्य था। फिर चाहे वह किसी गांव के छात्र हों या फिर किसी बड़े कालेज या विश्वविद्यालय के छात्र हों। शिक्षण के प्रति उनका कुछ ऐसा रुझान था कि एक समय उन्होंने अपने जीवन में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के जैसा कैबिनेट श्रेणी का पद छोड़कर एक शिक्षक का पद चुन लिया।
अपने जीवन में डॉ कलाम ने छात्रों के कई सारे वैज्ञानिक, अकादमिक और आध्यात्मिक तरक्की पर ध्यान दिया। इस दौरान उन्होंने कई सारे भाषण दिये और किताबें लिखी तथा विश्व भर के छात्रों के तरक्की पर ध्यान दिया। उनके द्वारा वैज्ञानिक क्षेत्र और छात्रों के तरक्की के लिए किये गये इन्हीं अतुलनीय कार्यों देखते हुए उनके जन्म दिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया।
विश्व विद्यार्थी दिवस का महत्व
विश्व विद्यार्थी दिवस को मनाना हमारे लिए काफी महत्व की बात है क्योंकि इसके द्वारा हमें कई महत्वपूर्ण सीखें मिलती है। एक विद्यार्थी के लिए यह दिन और भी ज्यादे महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जीवन हमें इस बात की सीख देता है कि, जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों ना हो लेकिन शिक्षा द्वारा हम हर बाधाओं को पार करते हुए बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
इसमें कोई संदेह नही है कि अब्दुल पाकिर जैनुलाब्दीन कलाम सच्चे मायनों में एक महानायक थे। जिस तरह की कठिनाइयां उन्होंने अपने बचपन में झेली, किसी और व्यक्ति को वह काफी आसानी से अपने रास्ते से डिगा सकती थी। पर डॉ अब्दुल कलाम इन सब कठिनाइयों का सामना शिक्षा के अस्त्र से किया और भारत के राष्ट्रपति जैसे सम्मानित पद को प्राप्त किया।
डॉ अब्दुल कलाम के विषय में की गई कोई चर्चा तब तक नही पूरी होगी जबतक उनके धर्म निरपेक्ष चरित्र की बात ना की जाये, जिसका उन्होंने सदैव अपने जीवन में पालन किया। वह एक साधरण, धर्म निरपेक्ष, शांत व्यक्ति थे और उनका व्यवहार बिल्कुल सामान्य व्यक्तियों के तरह ही था। इसके साथ ही देश के विज्ञान तथा रक्षा क्षेत्र में उनका दिया गया योगदान हम सबके लिए सदैव ही एक प्रेरक विषय रहेगा।
हमारी सबसे बढ़ी कमज़ोरी है की हम छोड़ देते हैं सफलता का एक रास्ता है की एक बार और प्रयास किया जाये | Thomas Edison थॉमस एडिसन
हमेशा ध्यान में रखिये की आपका सफल होने का संकल्प किसी भी और संकल्प से महत्त्वपूर्ण है. Abraham Lincoln अब्राहमलिंकन
Wednesday, October 13, 2021
Visit of Commissioner KVS, Ms Nidhi Pandey at KV No 1 Jaipur
Ms Nidhi Pandey, Commissioner KVS visited to the the Kendriya Vidyalaya No 1 Jaipur on 12 October 2021 alongwith Dr. E. Prabhakar, Joint Commissioner (Admn). She inaugurated the Atal Tinkering lab and addressed to the staff and students of the Vidyalaya. She also planted a plant in the school garden.
Tuesday, October 5, 2021
World Mental Health Day 2021 (10 October 2021)
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021
हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मनाया जाता है. यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम एक मनोरोग चिकित्सक थे। उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति है- "बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है।" मानसिक तौर पर हमारी थकान हमें तनाव और चिंता की ओर धकेलती है और यही जब ज्यादा बढ़ जाए तो डिप्रेशन यानी अवसाद का रूप ले लेता है। शारीरिक परेशानियों की ओर तो हमारा ध्यान जाता है, लेकिन मानसिक परेशानियों को लेकर हमलोग बहुत जागरूक नहीं होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से ही हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
शारीरिक बीमारी के बारे में तो हम सारी चीजें जानते हैं और साथ ही उसका इलाज भी मिल जाता है लेकिन आज की इस जिंदगी में मानसिक बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आती है. दरअसल लोगों को मानसिक स्वास्थ्यके प्रति संवेदनशील और जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास
क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
स्वास्थ्य दिवस 2021 की थीम
हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के लिए हर साल अलग-अलग थीम रखी जाती है, इस साल 'Mental Health in an Unequal World' “एक असमान दुनिया मे मानसिक स्वास्थ्य” रखी गई है. इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
सकारात्मक सोच है, तो मानसिक बीमारी दूर है
और जो शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ है, वो सुखी जरूर है
Indian Air Force Day 2021 (08 October 2021)
भारतीय वायुसेना दिवस 2021
Indian Air Force Day 2021 : देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जाता है। आज भारतीय वायुसेना अपना 89 वां स्थापना दिवस मना रही है। वायुसेना दिवस के मौके पर शानदार परेड और भव्य एयर शो का आयोजन होता है। हर साल की तरह इस बार भी हिंडन बेस पर वायुसेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करेगी। वायुसेना के एक से एक विमान और जवान हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाते दिखेंगे। यहां जानें भारतीय वायुसेना दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में -
8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी इसीलिए हर साल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस मनाया जाता है। देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।
आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के तहत ही काम करती थी। एयर फोर्स को आर्मी से 'आजाद' करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।
गीता से लिया गया है आदर्श वाक्य
भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- 'नभ: स्पृशं दीप्तम'। यह गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है।
Present Air Chief Marshal of India is - Air Chief Marshal Vivek Ram Chaudhari, PVSM, AVSM, VM since 30 September 2021
Saturday, October 2, 2021
WORLD ANIMAL DAY 2021 (04 October 2021)
अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस
विश्व पशु कल्याण दिवस एक अन्तराष्ट्रीय दिवस है जोकि प्रतिवर्ष 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन असीसी के सेंट फ्रांसिस का जन्मदिवस भी है जोकि जानवरों के महान संरक्षक थे. इस दिवस का आयोजन 1931 ईस्वी परिस्थितिविज्ञानशास्रीयों के सम्मलेन में इटली के शहर फ्लोरेंस में शुरू हुआ था. इस दिवस का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधो को मजबूत करना था. साथ ही पशुओ के कल्याण के सन्दर्भ विश्व पशु कल्याण दिवस का आयोजन करना था.
World Animal Day Theme 2021 : "Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet"
विश्व पशु कल्याण दिवस का उद्देश्य
विश्व पशु कल्याण दिवस का मूल उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना, और व्यक्तियों,समूह, और संगठनों का समर्थन प्राप्त करना और जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करना ताकि उनका जीवन सक्षम और बेहतर हो सके. इस कारण से यह दिवस “पशु प्रेमी दिवस” के रूप में जाना जाता है. यद्यपि यह एक बेहतरीन दिवस विश्व भर के लोगो का जानवरों के प्रति प्यार प्रकट करने का महत्वपूर्ण दिवस है, लेकिन इस दिवस के उजागर होने के पीछे भी कई कारण जिम्मेदार हैं. इन सभी तथ्यों में जानवरों के प्रति प्रकट किये जाने वाले घृणास्पद व्यवहार, आवारा कुत्तों और बिल्ल्लियों के प्रति व्यवहार, उनका अमानवीय व्यापार आदि भी प्रमुख कारण थे. इसके अलावा किसी प्राकृतिक आपदा के समय भी इन जानवरों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था और उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जाती थी.
विश्व पशु कल्याण दिवस समारोह
विश्व पशु कल्याण दिवस वास्तव में एक महत्वपूर्ण दिवस है. यह विविध माध्यमों से हमें कई चीजो को याद दिलाता है जिसमे जानवर हमारे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करते हैं. इस दिवस को ढेर सारे दिवसों का आयोजन किया जाता है. अर्थात जैसे विश्व पशु कल्याण अभियान, पशुओं के लिए बचाव आश्रयों का उद्घाटन, और फंड जुटाने से सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन इत्यादि. इसके अलावा स्कूल और कालेजों में भी वन्य जीवों से जुडी ढेर सारी जानकारियों को टीवी और कंप्यूटर के माध्यम से साझा किया जाता है. इसके अलावा कई संगठनों के द्वारा जानवरों के लिए आश्रय के निर्माण का कार्यक्रम भी को स्वयंसेवको के द्वारा प्रायोजित किया जाता है..
जानवर मनुष्यों के हमेशा से ही सबसे अच्छे दोस्त साबित होते रहे हैं. मनुष्य ने अपनी सभ्यता की शुरुआत से ही जानवरों के साथ बेहतरीन दोस्ती बनाकर रखी और उसी का नतीजा है कि आज जानवर हमारी कई जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बदले हमने जानवरों को क्या दिया है? उन्हें बेघर कर दिया, उन्हें ही अपना भोजन बना लिया और जो कभी हमारे परम मित्र हुआ करते थे उन्हें अपना परम शत्रु बना लिया है.
आज इंसान ने अपने भोजन और शौक के लिए कई ऐसे जानवरों को लुप्त होने के कगार तक ला खड़ा किया है जो कभी इस धरती पर बड़ी संख्या में थे. उदाहरण के लिए शार्क और व्हेल को खाने की प्लेट में रखने वाले तथाकथित शौकीनों की वजह से जल के इन प्राणियों की संख्या आज नगण्य हो चुकी है. कुछ ऐसा ही हाल नीलगायों का भी हुआ है.
किताबों व लोक कथाओं में मनुष्य और जानवरों की दोस्ती के कई किस्से मशहूर हैं. जानवर मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त भी माना गया है और इनकी दोस्ती की कई मिसालें दी जाती हैं. लेकिन कुछ वर्षों से जंगली जानवरों ने मानव बस्तियों पर हमला कर मनुष्य को ही शिकार बनाना शुरू कर दिया है. एक जमाने में दोनों अपने-अपने क्षेत्र का उपयोग कर शांतिपूर्वक रह रहे थे. विकास की बयार और आगे निकलने की होड़ में जब मानव ने जानवरों के क्षेत्र में अपना अधिकार जमाने के प्रयास किए तो मामला पेचीदा हुआ. मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और जंगलों का कटान कर बस्तियां बसाई. इसी जद्दोजहद में जब जंगली जानवरों के रहने के लिए घर नहीं रहा व भोजन तलाशने में दिक्कत हुई तो मजबूरन उन्हें मानवीय बस्तियों का रुख करना पड़ा. यही कारण है कि जानवर हिंसक हुए और बस्तियों पर इनके हमले बढ़े हैं.
World Teachers Day 2021 (05 October 2021)
विश्व शिक्षक दिवस
यूनेस्को ने विश्व शिक्षक दिवस की शुरुआत साल 1994 में की थी. यह दिन तभी से संसार के सभी देशों में एकजुट होकर मनाया जाता है पुरे विश्वभर में 05 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस (World Teachers Day) मनाया जाता है. इसे अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस (International Teachers Day) के रूप में भी जाना जाता है. यह दिवस दुनिया में शिक्षकों की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के बीच वर्ष 1966 में हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया था.
विश्व शिक्षक दिवस न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि छात्रों के लिए भी एक विशेष दिन है. इस दिन, शिक्षकों और सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है. हरेक साल यूनिसेफ, यूएनडीपी, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और शिक्षा अंतरराष्ट्रीय द्वारा एक साथ मिलकर विश्व शिक्षक दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा साल 1966 में शिक्षकों के अधिकारों, जिम्मेदारियों, रोजगार और आगे की शिक्षा के साथ सभी गाइडलाइन बनाने की बात कही गई थी. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों को जानने तथा उससे जुड़ी समस्याओं को पहचानने हेतु साल 2030 का लक्ष्य रखा है.
विश्व शिक्षक दिवस का इतिहास
विश्व शिक्षक दिवस 05 अक्टूबर को प्रत्येक साल पूरी दुनिया में मनाये जाने लगा है. विश्व शिक्षक दिवस की शुरुआत साल 1994 में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र ने विश्व शिक्षक दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने हेतु साल 1994 में यूनेस्को की सिफारिश पर लगभग 100 देशों के समर्थन देने के बाद इस बिल को पारित किया था. विश्व शिक्षक दिवस इसके बाद 05 अक्टूबर को मनाये जाने की शुरुआत हो गई.
यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा (ईआई) विश्व शिक्षक दिवस मनाने हेतु प्रत्येक साल एक अभियान चलाता है जिससे की लोगों को शिक्षकों की बेहतर समझ तथा छात्रों और समाज के विकास में उनकी भूमिका निभाने में सहायता मिल सके.
Lal Bahadur Sastri Jayanti (02 October 2021)
लाल बहादुर शास्त्री
2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के अलावा देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी होती है। इस साल लाल बहादुर शास्त्री की 118वीं जयंती है। शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को मुंशी लाल बहादुर शास्त्री के रूप में हुआ था। उनकी माता का नाम राम दुलारी था और पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था। शास्त्री जी की पत्नी का नाम ललिता देवी था। शास्त्री जी एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे और सादगी भरी जीवन व्यतीत करते थे। सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक शांत चित्त व्यक्तित्व भी थे।
- लाल बहादुर शास्त्री ने 1921 के असहयोग आंदोलन से लेकर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया।
- लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने से पहले रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे। 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। उनके शासनकाल में 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। पाकिस्तान से युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपना तनख्वाह लेना बंद कर दिया। देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील की थी कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें।
- 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी। 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद (11 जनवरी) लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु हो गई।
Gandhi Jayanti (02 October 2021)
महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1867 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवां दिया गया था।
गाँधी जी का बचपन में पढ़ाई में मन नहीं लगता था पर बचपन से ही उन्हें उचित अनुचित में फर्क पता था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से संपंन हुई, हाईस्कूल की परिक्षा इन्होंने राजकोट से दिया। और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से संपन्न किया।महात्मा गाँधी का यह मानना था भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधिन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। गाँधी जी के आधारभूत शिक्षा सिद्धांत :-
- 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।
- शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।
- साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।
- शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया। वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।
गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।
भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।
National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...