Thursday, December 23, 2021

किसान दिवस 23 दिसंबर 2021

किसान दिवस


भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जहां कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा खेती-किसानी के काम में मशगूल रहता है। किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करते हैं तभी वह हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को किसान दिवस के तौर पर मनाया जाता है।



भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों को आज का दिन समर्पित है। आज ही भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन भी है। जो किसानों के हितैषी थे और उनके सम्मान में ही आज के दिन को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें किसानों के मसीहा के तौर पर भी जाना जाता है।

चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवे प्रधानमंत्री थे। हालांकि उनका कार्यकाल ज्यादा दिनों का नहीं था। वह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसानों की दशा सुधारने के लिए कई नीतियां बनाईं।

किसानों के प्रति उनका प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे। उनकी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी। लेखक के तौर पर उन्होंने एबॉलिशन ऑफ जमींदारी, इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्ज सॉल्यूशंस और लीजेंड प्रोपराइटरशिप जैसी किताबें लिखी हैं।

किसानों का महत्त्व

किसान हर देश की प्रगति में विशेष सहायक होते हैं। एक किसान ही है जिसके बल पर देश अपने खाद्यान्नों की खुशहाली को समृद्ध कर सकता है। देश में राष्ट्रपिता गांधी जी ने भी किसानों को ही देश का सरताज माना था। लेकिन देश की आज़ादी के बाद ऐसे नेता कम ही देखने में आए जिन्होंने किसानों के विकास के लिए निष्पक्ष रूप में काम किया। ऐसे नेताओं में सबसे अग्रणी थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए याद किया जाता है। चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व ग़रीबों को ऊपर उठाने की थी। उन्होंने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश व प्रदेश का विकास नहीं हो सकता। चौधरी चरण सिंह ने किसानों की खुशहाली के लिए खेती पर बल दिया था। किसानों को उपज का उचित दाम मिल सके इसके लिए भी वह गंभीर थे। उनका कहना था कि भारत का संपूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मज़दूर, ग़रीब सभी खुशहाल होंगे।

जय जवान, जय किसान

किसान की उन्नति है, देश की प्रगति

किसान है अन्नदाता, यही है देश के भाग्यविधाता

देश का विकास करेगा, किसान जब सम्पूर्ण बनेगा

आओ हम शुरुआत करे, किसानो का आभार करे

Wednesday, December 22, 2021

National Mathematics Day 2021 (22 Dec 21)

National Mathematics Day

National Mathematics Day 2021: India celebrates National Mathematics Day on December 22 every year. The day marks the birth anniversary of famous mathematician Srinivasa Ramanujan. In 2012, then Prime Minister Manmohan Singh Declared the date as National Mathematics Day to honor the great man.




Here is some information about Ramanujan’s life and work that students can use in their Mathematics day speech and essay:

Srinivasa Ramanujan was born on December 22, 1887 at Erode, Tamil Nadu in a Tamil Brahmin Iyengar family. Ramanujan studied at the Government College in Kumbakonam in 1903. In college, he failed exams due to his negligence for non-mathematical subjects.

In 1912, Ramanujan started working as a clerk in the Madras Port Trust. It is in this place his genius was recognized by a colleague who was also a mathematician. The colleague referred Ramanujan to Professor GH Hardy of Trinity College, Cambridge University. Ramanujan joined Trinity College a few months before World War I began. In 1916, he received a Bachelor of Science (BSc) degree. He was elected to the London Mathematical Society in 1917.

Next year, he was elected a Fellow of the prestigious Royal Society for his research on Elliptic Functions and theory of numbers. In the same year, in October, he became the first Indian to be elected a Fellow of Trinity College. Ramanujan returned to India in 1919. A year later, he breathed his last at the age of 32.

The 2015 movie 'The Man Who Knew Infinity' was released based on Srinivasa Ramanujan’s biography. It describes the mathematician's life and journey towards establishing the famed mathematical theories. Ramanujan’s mathematical genius was such that he discovered his own theorems and independently compiled 3900 results.

As mentioned in Ramanujan's biography 'The Man Who Knew Infinity' by Robert Knaigel, GH Hardy once went to visit Ramanujan at a hospital. Mr Hardy told him that he came in a taxi with the number '1729' which seemed to be an ordinary number. Ramanujan said that it was not. 1729, later termed the Hardy-Ramanujan Number, is the smallest number which can be expressed as the sum of two different cubes in two different ways, he said.

Tuesday, December 14, 2021

Vijay Diwas (16 December 2021)

विजय दिवस


1971 का भारत-पाक युद्ध उपमहाद्वीप के इतिहास में एक निर्णायक क्षण था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश बना. इसने सेना, वायु सेना और नौसेना सहित भारतीय सशस्त्र बलों की प्रगति की स्थापना की. युद्ध 3 दिसंबर 1971 को उस समय शुरू हुआ था, जब पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष चल रहा था. यह युद्ध 13 दिन बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हो गया. बांग्लादेश आजाद हुआ. तब से इस दिन को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस (Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है.


16 दिसंबर 1971, आधुनिक हथियारों और सैन्य साजोसामान से लैस पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता के आगे घुटने टेक दिए थे और इसी के साथ ही दुनिया के मानचित्र में बांग्लादेश नाम से एक नए देश का उदय हुआ।भारत की ओर से पाकिस्तान की इतनी भारी-भरकम फौज का आत्मसमर्पण कराना आसान काम नहीं था। पाकिस्तानी फौज के कमांडर जनरल नियाजी को मनाने की तैयारी भारतीय सेना के पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर मेजर जनरल जेएफआर जैकब को दी गई थी।

वह जैकब ही थे जिन्हें मानेकशॉ ने आत्मसमर्पण की व्यवस्था करने ढाका भेजा था। उन्होंने ही जनरल नियाजी से बात कर उन्हें हथियार डालने के लिए राजी किया था। जैकब भारतीय सेना के यहूदी योद्धा थे। जब अप्रैल 1071  में बांग्लादेश से भारत आने वाले शरणार्थियों की तादाद इतनी बढ़ गई कि सीमावर्ती राज्यों ने अपने हाथ खड़े कर दिए तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ को अपने ऑफिस बुलाया। 

बैठक के बाद मानेकशॉ ने अप्रैल के शुरू में पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर मेजर जनरल जेएफआर जैकब को फोन कर कहा कि बांग्लादेश में घुसने की तैयारी करिए क्योंकि सरकार चाहती है कि हम वहां तुरंत हस्तक्षेप करें। जेएफआर जैकब ने मानेकशॉ के बताने की कोशिश की कि हमारे पास पर्वतीय डिवीजन हैं, हमारे पास कोई पुल नहीं हैं और मानसून भी शुरू होने वाला है। हमारे पास बांग्लादेश में घुसने का सैन्य तंत्र और आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं।

जैकब ने कहा कि अगर हम वहां घुसते हैं तो यह पक्का है कि हम वहां फंस जाएंगे। इसलिए उन्होंने जनरल मानेकशॉ से कहा कि इसे 15 नवंबर तक स्थगित किया जाए तब तक शायद जमीन पूरी तरह से सूख जाए। जनरल मानेकशा ने तत्काल इसकी जानकारी इंदिरा गांधी को दी और कहा कि हम पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई को बरसात के बाद करेंगे। जिसके बाद भारतीय सेना को अपनी तैयारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल गया।  जैकब के नेतृत्व में भारतीय सेना ढाका की तरफ आगे बढ़ी। 13 दिसंबर को सेना प्रमुख जनरल मानेकशॉ के आदेश के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के सभी शहरों पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया।

16 दिसंबर को मानेकशॉ ने फोन कर जैकब से कहा कि ढाका जाकर पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तैयारी करवाइए। जिसके बाद जैकब ढाका पहुंचे तो उनकी कार पर मुक्तिवाहिनी के सैनिकों ने हमला बोल दिया क्योंकि वह पाकिस्तानी सेना के अधिकारी की कार में सवार थे लेकिन जब उन्होंने उतरकर अपना परिचय दिया तब वे चले गए।

ढाका में मौजूद पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाजी ने पहले तो आत्मसमर्पण करने से मना कर दिया। भारतीय सेना ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों और आपके परिवारों के साथ से अच्छा सुलूक किया जाए और आपके साथ भी एक सैनिक जैसा ही बर्ताव किया जाएगा। 

जब नियाजी फिर नहीं माने तब जैकब ने कहा, 'मैं आपको जवाब देने के लिए 30 मिनट देता हूं। अगर आप इसको नहीं मानते तो मैं लड़ाई फिर से शुरू करने और ढाका पर बमबारी करने का आदेश दे दूंगा।' यह कहकर वह बाहर चले गए।

जब जैकब अंदर आए तब नियाजी आत्मसमर्पण करने को तैयार हो गए थे। जनरल नियाजी ने खुले मैदान में पिस्टल निकाली और पूर्वी कमान के लेफ्टनेंट जनरल जगजीत सिंह पूर्वी कमान के लेफ्टनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोडा पूर्वी कमान के लेफ्टनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोडा को दे दी। भीड़ नियाजी को मार डालना चाहती थी, लेकिन भारतीय सेना उन्हें जीप पर बैठाया और सुरक्षित जगह पर ले गई।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य…

1.पश्चिम पाकिस्तान के लोगों के साथ दुर्व्यवहार और पूर्वी पाकिस्तान में चुनाव परिणामों को कम करके बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम द्वारा संघर्ष छिड़ गया था. पूर्वी पाकिस्तान द्वारा आधिकारिक तौर पर अलगाव के लिए 26 मार्च 1971 को कदम आगे गया था. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अगले दिन अपने स्वतंत्रता संग्राम के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया.

2. मीडिया ने पाकिस्तानी सेना के हाथों बंगालियों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ व्यापक नरसंहार की सूचना दी थी, जिसने लगभग 10 मिलियन लोगों को पड़ोसी भारत में पलायन करने के लिए मजबूर किया था. भारत ने बंगाली शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएँ खोल दीं.

3. भारत-पाक युद्ध प्रभावी रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत के हवाई क्षेत्रों में पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) द्वारा पूर्वव्यापी हवाई हमलों के बाद शुरू हुआ, जिसमें आगरा अपने ऑपरेशन चंगेज़ खान के हिस्से के रूप में शामिल था. ताजमहल  को दुश्मन के विमान से छुपाने के लिए टहनियों और पत्तियों का उपयोग कर ढका गया था.

4. जवाब में भारतीय वायु सेना ने पश्चिमी मोर्चे में लगभग 4000 सामरिक उड़ानें की और पूर्व में दो हजार के करीब उड़ानें भरीं. जबकि, पाकिस्तान एयरफोर्स दोनों मोर्चों पर लगभग 2800 और 30 सामरिक उड़ानें ही कर सका था. IAF ने युद्ध के अंत तक पाकिस्तान में आगे के हवाई ठिकानों पर छापे मारना जारी रखा.

5. भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान ने 4-5 दिसंबर की रात कोडनाम ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर एक आश्चर्यजनक हमला किया.

6. पाकिस्तान ने भी पश्चिमी मोर्चे पर अपने सैनिक जुटा लिए थे. भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की और कई हजार किलोमीटर पाकिस्तानी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

7. पाकिस्तान ने लगभग 8000 मृतकों और 25,000 अधिकतम घायलों के साथ हताहत का सामना किया, जबकि, भारत ने 3000 सैनिकों को खो दिया और 12,000 घायल हो गए.

8. पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति बाहिनी गुरिल्लाओं ने पूर्व में पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ने के लिए भारतीय बलों के साथ हाथ मिलाया. उन्होंने भारतीय सेना से हथियार और प्रशिक्षण प्राप्त किया.

9. सोवियत संघ ने अपने मुक्ति आंदोलन और युद्ध में भारत के साथ पूर्वी पाकिस्तानियों का पक्ष लिया. दूसरी ओर, रिचर्ड निक्सन की अध्यक्षता में संयुक्त राज्य अमेरिका ने आर्थिक और भौतिक रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया. अमेरिका युद्ध की समाप्ति की दिशा में समर्थन के प्रदर्शन के रूप में बंगाल की खाड़ी में एक विमान को तैनात करने के लिए गया था.

10. युद्ध के अंत में, जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाज़ी के नेतृत्व में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने मित्र देशों की सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें 1972 के शिमला समझौते के हिस्से के रूप में लौटाया गया था.

11. पाकिस्तान अपनी आधी से ज्यादा आबादी छीन चुका था, क्योंकि बांग्लादेश पश्चिम पाकिस्तान की तुलना में अधिक आबादी वाला था. इसकी सेना का लगभग एक तिहाई हिस्सा कब्जा कर लिया गया था. भारत का सैन्य प्रभुत्व बता रहा था, कि इसने जीत के लिए अपनी प्रतिक्रिया में संयम बनाए रखा.


National Energy Conservation Day (14 December 2021)

                  राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस


पूरे भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों द्वारा हर साल 14 दिसम्बर को मनाया जाता है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा निष्पादित (स्थापित) किया गया। ऊर्जा दक्षता ब्यूरों एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के अंतर्गत आता है और ऊर्जा का उपयोग कम करने के लिए नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है।

भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य पेशेवर, योग्य और ऊर्जावान प्रबंधकों के साथ ही लेखा परीक्षकों को नियुक्त करना है जो ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को लागू करने और ऊर्जा, परियोजनाओं, नीति विश्लेषण, वित्त प्रबंधन में विशेषज्ञ हों।


The theme for this year is ‘Azadi ka Amrit Mahotsav: Energy Efficient India” and ‘Azadi ka Amrit Mahotsav: Cleaner Planet’.

ऊर्जा संरक्षण क्या है?

भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा के महत्व के साथ ही साथ बचत, और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना है। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए इसे बचाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की योजना की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इंसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण के क्या उपाय हैं?

  • थर्मल पर्दें, स्मार्ट खिड़कियों के अलावा खिड़कियाँ ऊर्जा का संरक्षण करने में सबसे बड़ा कारक है।
  • ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा को प्राकृतिक रोशनी और कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप या सीएफएल से (15W और अन्य साधनों के द्वारा ऊर्जा खपत का केवल 1/4वां भाग की खपत), फ्लोरोसेंट बल्ब, रैखिक फ्लोरोसेंट, सौर स्मार्ट टॉर्च, स्काई लाइट, खिड़कियों से प्रकाश व्यवस्था और सौर लाइट का प्रयोग करके बचाया जा सकता है।
  • जल संरक्षण भी बेहतर ऊर्जा संरक्षण का नेतृत्व करता है। लोगों के द्वारा हर साल लगभग हजारों गैलन पानी बर्बाद किया जाता है जिसकी विभिन्न संरक्षण के साधनों जैसे: 6 जीपीएम या कम से कम प्रवाह वाले फव्वारों, बहुत कम फ्लश वाले शौचालय, नल जलवाहक, खाद शौचालयों का प्रयोग करके बचत की जा सकती है।
  • पृथक्करण सर्दी के मौसम में थर्मल को कम करने के साथ ही गर्मियों में थर्मल प्राप्त करके भी ऊर्जा के संरक्षण में बहुत अहम भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिये, प्राकृतिक ऊन पृथक्करण, घर पृथक्करण, कपास पृथक्करण, रेशा पृथक्करण, थर्मल पृथक्करण आदि।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल एक विशेष विषय के साथ कुछ लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लोगों के बीच अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये मनाया जाता है।

  • यह लोगों के बीच जीवन के हर क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण के महत्व का संदेश भेजने के लिए मनाया जाता है।
  • ऊर्जा संरक्षण की प्रक्रिया को बढावा देने के लिये पूरे देश में बहुत से कार्यक्रमों जैसे: विचार विमर्श, सम्मेलनों, वाद-विवाद, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं का आयोजन करना।
  • अत्यधिक और फालतू ऊर्जा के उपयोग के स्थान पर कम ऊर्जा के प्रयोग के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना।
  • ऊर्जा की खपत में कमी और कुशलता पूर्वक उपयोग करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना।

ऊर्जा सुरक्षा में भारतीय नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक कुशलतापूर्वक ऊर्जा के उपयोग और भविष्य के लिये ऊर्जा की बचत के बहुत से तरीकों के बारे में जानते हैं। वो सभी नियमों, विनियमों और ऊर्जा दक्षता का समर्थन करने के लिये भारत सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों का पालन करते हैं। भारत के नागरिक 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान ऊर्जा के उपयोग को कम करने के अभियान में प्रत्यक्ष अंशदान का भुगतान कर रहे हैं। देश में सकारात्मक बदलाव लाने और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये बच्चे बहुत बड़ी उम्मीद हैं।


"Earth provides enough to satisfy every man's needs, but not every man's greed." 

by Mahatma Gandhi

Friday, December 10, 2021

Human Right Day 2021 (10 December 21)

                  मानवाधिकार दिवस


हर साल दिसंबर महीने की 10 तारीख को दुनियाभर में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। लोगों का ध्यान मानवाधिकारों की तरफ आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में घोषित किया था।  तब से लेकर आज भी पीछले 70 सालो से यह दिन 10 दिसंबर को मनाया जाता है  इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना है। 1948 में यूएन ने मानव अधिकारों की सर्वभौमिक घोषणा की जो 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं।


The theme of Human Rights Day 2021 

"Equality, Reducing inequalities, advancing human rights."

इस साल मानवाधिकार दिवस का विषय 'असमानताओं को कम करना, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना'' है। यह विषय कोरोना महामारी के मद्देनजर रखा गया है। इस मौके पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने एक वीडियो संदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रयासों, लैंगिक समानता, जनभागीदारी, जलवायु न्याय और टिकाऊ विकास में- मानवाधिकारों को केंद्रीय महत्व देने की आवश्यकता है।

ये है मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य (Purpose of Human Rights Day)

मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य दुनिया का ध्यान मानवों के अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित कराना है. इस दिन विश्वभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना और इसके पालन के प्रति सजग रहने का संदेश दिया जाता है. इस उद्देश्य है संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 10 दिसंबर, 1950 में इस दिन की घोषणा की थी. इतना ही नहीं तब मानव अधिकारों की जो घोषणा की गई थी, वो 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है. मानवाधिकार दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमें एकजुट कोशिश करनी होगी, लैंगिक समानता, जनभागीदारी की जरूरत होगी. इसके साथ ही जलवायु, और लम्बे समय तक चलने वाला टिकाई विकास करना होगा, जिसमें मानवाधिकार का महत्व भी हो.

मानवाधिकार मानदंडों का एक सेट माना जाता है जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों को चित्रित करते हैं। मानवाधिकार मूल रूप से उन अधिकारों के अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के पास इंसान होने के कारण होते हैं। यह कहा जाता है कि ये हर जगह और हर समय लागू होते हैं। ये नगरपालिका से अंतरराष्ट्रीय कानून तक के कानूनी अधिकारों के रूप में संरक्षित हैं। मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं।

Friday, November 19, 2021

Constitution Day of India (26 November 2021)

                                                  भारत में संविधान दिवस


भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है।



भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है।

भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था। भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था।

जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय ले लिया गया।

हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है

भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है।

संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। जिसमें लोगो को यह समझाया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉ अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे, जिन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके। भारत की संविधान सभा ने 26 जनवरी 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और इसके प्रभावीकरण की शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई।

भारत में संविधान दिवस कैसे मनाया जाता है

संविधान दिवस वह दिन है, जब हमें अपने संविधान के विषय में और भी ज्यादे जानने का अवसर प्राप्त होता है। इस दिन सरकारी तथा नीजी संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। संविधान दिवस के दिन जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है वह है लोगो को “भारत के संविधान के प्रस्तावना” की जानकारी देना, जिसके विषय में देशभर के विद्यालयों, कालेजों और कार्यलयों में समूहों द्वारा लोगो काफी आसान भाषा में समझाया जाता है।

इसके साथ ही विद्यालयों में कई तरह के प्रश्नोत्तर प्रतियोगिताएं, भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जो भारत के संविधान और डॉ भीमराव अंबेडकर के उपर केंद्रित होती हैं। इसके साथ ही इस दिन कई सारे व्याख्यानों और सेमिनारों का भी आयोजन किया जाता है, जिनमें हमारे संविधान के महत्वपूर्ण विषयों के बारे में समझाया जाता है। इसी तरह कई सारे विद्यालयों में छात्रों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्रों द्वारा कई सारे विषयों पर चर्चा की जाती है।

हमारे विद्यलया पुस्तकालय द्वारा आज शाम (26.11.2020) चार बजे ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जायेगा अतः आप इसमे जरुर भाग ले । सभी भाग लेने वाले प्रतिभागियों को विद्यलया द्वारा डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा । 

धन्यवाद 

Sunday, November 14, 2021

NATIONAL LIBRARY WEEK CELEBRATION (14-20 NOV 2021)

NATIONAL LIBRARY WEEK CELEBRATION

(14 Nov 2021  to 20 Nov 2021)

The ILA (Indian Library Association) declared 14-20 November has been celebrated as National Library Week all over India Since 1968 and various programmes are organized to let the public know about the libraries.

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 से 20 नवंबर तक राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह मनाया जाता है। पुस्तकालय केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर कैंट विधार्थिओ के लिये कुछ कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिनका विवरण निचे दिया जा रहा है  विधार्थी उनकों पूरा करके 22 नवंबर 2021 तक पुस्तकालय की ईमेल पर भेज सकते है !

Note : Last date of submission of Activity is 22 November 2020

The Theme for National Library Week 2021 is as follows

"Welcome to Your Library" promotes the idea that libraries extend far beyond for four walls of a building and that everyone is welcome to use their services.

School Library Association-India celebrates National Library Week in November 2021 and announces a national level online competition Ignite, Imagine, Inspire for school students . The contest aims at developing imagination, creativity, and scientific temper through reading selected stories and completing the given tasks.





KENDRIYA VIDYALAYA NO-2, JAIPUR CANTT (RAJ)

LIBRARY WEEK (14 Nov - 20 Nov 2021)

ACTIVITIES

Date

Programme

Classes

Instructions

14.11.2021

Book Mark Design Contest

Class III to V

1. Make a Bookmark, take a pic or design digital bookmark and upload.

2.  Students are requested to rename the file name with your name class & section before uploading.

15.11.2021

Book Jacket Design Contest

Class VI to VIII

1. Draw the Jacket cover page of a story Book, Take a photograph and upload

2. Students are requested to rename the file name with your name class & section before uploading.

3. Take a selfie with your activities.

16.11.2021

Essay Writing

Topic –Role of  Libraries in School Education

Class IX to XII

1.  Essay for Secondary (IX- X) and        Sr. Secondary (XI – XII).

2.   World limit is 400 words.

3.   Can write in Hindi or English.

4.   Student should write their name and Class on essay.

5.  Submit your essay on this link  https://forms.gle/jthas9XHMoXkVjZ2A

17.11.2021

Reading selfie  contest

Class VI to XII

Do you love Reading Books?

If yes, show it to world.

Take a reading selfie.

18.11.2021

Audio Story Contest

Class IV to VIII

1.   Select a story on public domain.

2.   Perform and record audio/video.

19.11.2021

Poster Making regarding Library Activities

Class VI to XII

1. Draw a colourful poster on the given and upload.

2.  Take a selfie with your activities.

3. Students are requested to rename the file name with class & section before uploading.

20.11.2021

Literary Quiz

Staff and Students

Play the quiz on 20 November 2021 at 11.00 a.m.  and get a digital certificate b y Library KV No 2 Jaipur Cantt.

1.    You can send your activity on library email – librarykv2jaipur@gmail.com in the form of pdf, jpeg and png form.

2.    Before sending the file, rename your file as your name, class with section.

3.    Essay can write directly through this link =  https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfPGCu5LW5ptNOKnbFFWZUGR5iNAlgk3xxPcJKaiz6RhKdgBw/viewform?usp=pp_url

4.   The top three entries from every competition will be awarded e-certificate and will be given Prize after reopening of the school.

 

Friday, November 12, 2021

Children's Day (14 November 2021)

 बाल दिवस (14 नवम्बर)


हर वर्ष 14 नवम्बर को हम बाल दिवस के रूप में मानते हैं। 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन मनाया जाता है जिसे बाल दिवस या Children’s Day के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार और लगाव था। बच्चे भी उन्हें उतना ही प्यार करते थे। वे हर वर्ष अपने जन्मदिन पर अनेक बच्चों से मिलते थे और उनके साथ ही अपना समय बिताते थे। इसी वजह से ही हर वर्ष 14 नवम्बर को पूरे देश में उत्साह के साथ बाल दिवस मनाया जाता है। वे बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थे। 



देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बच्चों के प्रति प्रेम को देखते हुए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूम में मनाया जाता है। हमारे देश में हर वर्ष 14 नवम्बर के दिन बाल दिवस का कार्यक्रम मनाया जाता है। इस दिन पंडित नेहरू के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। देश के प्रति समर्पण तथा अंतराष्ट्रीय राजनीति में उपलब्धियों को याद किया जाता है। बच्चे अपने स्कूलों के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्यार से सभी बच्चे चाचा नेहरू के नाम से सम्बोधित करते थे।

भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए भी पंडित नेहरू बच्चों से बहुत लगाव रखते थे। बच्चों के साथ समय बिताना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए वर्ष 1956 से ही उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। पंडित नेहरू के अनुसार आज के बच्चे ही देश के भविष्य हैं इसलिए उन्हें प्यार और देखभाल की जरुरत होती है ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सके। उनका मन बहुत ही साफ़ होता है और कोई भी चीज़ बच्चों के मन में असर डालती है। इसलिए उनका विशेष ध्यान रखना जरुरी होता है।

देश का भविष्य बच्चे ही हैं। सभी बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। बच्चों के रहन – सहन का स्तर उठाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए। बाल दिवस पर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा बच्चों के भविष्य के लिए कई तरह की योजनाओं की घोषणा की जाती है। देश के भावी निर्माताओं के लिए उनके विद्यालयों में भी कई तरह कके कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। नए कपडे, भोजन , किताबे इत्यादि प्रदान की जाती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक किया जाता है।

देश के हर छोटे बड़े स्कूलों में बाल दिवस मनाया जाता है। बच्चे अलग अलग तरह के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। गीत-संगीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला के प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में सजे कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाते हैं। बच्चों में पुरस्कार और मिठाईयां बाँटी जाती है। लेकिन अब कोरोना के कराण हम सब घर पर रह्कर यह सब काम करेंगे। इस दिन विशेष रूप से गरीब बच्चों को जरुरी सुविधाएँ पहुंचाने ,बाल श्रम और बाल शोषण जैसे गंभीर मुद्दों के बारे में अवश्य सोचना चाहिए। बच्चों के समग्र विकास को ध्यान में रखना चाहिए। तभी हम पंडित जवाहरलाल नेहरू को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

देश के प्रगति के हम है आधार, हम करेंगे चाचा नेहरु के सपने को साकार,

National Education Day Celebrated in KV No 2 Jaipur on 11 Nov 2021

National Education day was celebrated on 11 November 2021 in Kendriya Vidyalaya No 2 Jaipur Cantt. Mr. Baboo Singh Rathore, Vice Principal, Teachers and students of the Vidyalaya were participated in this Prog. Some clips of the prog. as under:-

  

Thursday, November 11, 2021

National Education Day 2021 (11 Nov 2021)

 राष्ट्रीय शिक्षा दिवस


प्रतिवर्ष भारत में 11 नवम्बर को नेशनल एजुकेशन डे अर्थात राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता हैं. देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता हैं. वर्ष 2008 से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी. हर वर्ष 11 नवम्बर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. इस दिन मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी का जन्म दिन भी है. वर्ष 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अबुल कलाम जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की परम्परा की शुरुआत हुई.


मौलाना अबुल कलाम आजाद महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् थे. आजादी के बाद इन्हें स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री भी बनाए गये थे. मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को सऊदी अरब के मक्का शहर में हुआ था. 
भारत में शिक्षा के प्रचार-प्रचार और शिथिल पड़ी शिक्षा व्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मौलाना आजाद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे 1947 से 1958 तक लगातार शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए अपने अनुभवो और कार्यकुशलता से हमारी शिक्षा व्यवस्था को सुद्रढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

एक राष्ट्रीय नेता होने के साथ साथ आजाद उच्च कोटि के प्रतिभावान कवि और पत्रकार भी थे. जिन्हें 1992 में देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया गया. हालांकि इनकी मृत्यु 1958 में ही हो गई थी. सादा जीवन और उच्च विचार की शैली को अपनाने वाले मौलाना आजाद गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित भारत के सच्चे हितेषी थे. वे हमेशा से भारत पाकिस्तान विभाजन के विरोधी रहे थे.

भारत की शिक्षा प्रणाली को सुद्रढ़ करने में राजा राममोहनराय, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, अरविन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे राष्ट्र नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा था.

मौलाना अबुल कलाम आजाद की जीवनी

मौलाना आजाद के वंशज अफगान थे उनकी माँ अरबी तथा इनके पिता बाबर के भारत पर आक्रमण के समय आकर बंगाल में बस गये थे. कुछ वर्षो बाद खेरिद्दीन के विद्रोह के चलते इन्होने भारत को छोड़कर मक्का को अपनी शरण स्थली बनाया,

यही पर 1888 में मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था. इनका वास्तविक नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था. कलाम के पिताजी पेशे से शिक्षक थे उन्ही से इन्होने फारसी तथा दर्शनशास्त्र, रेखागणित, गणित और बीजगणित का ज्ञान प्राप्त किया. ये कई वर्षो तक ईराक और तुर्की के क्रांतिकारी नेताओं के साथ रहे. जब वे भारत लौटे तो उनकी मुलाकात अरविन्द घोष श्याम शुन्दर चक्रवर्ती से हुई, इन्ही के आग्रह पर कलाम भारत के स्वाधीनता संग्राम में शामिल हो गये.

अबुल कलाम आजाद कुछ ही वर्षो में कांग्रेस के विरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर व्यापक स्वतंत्रता प्राप्ति संग्राम की योजना पर कार्य करने लगे. इस दौरान उन्होंने मुस्लिम युवकों और धार्मिक संगठनो को भी भारत की स्वतंत्रता के इस संग्राम से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.

इन्होने जीवन पर्यन्त हिन्दू मुस्लिम एकता की भावना को सुद्रढ़ करने का कार्य किया. आजाद ने अल हिलाल उर्दू पत्र के जरिये मुस्लिम सम्प्रदाय में देशभक्ति की भावना को प्रबल करने का कार्य किया. अंग्रेज सरकार इस तरह के क्रियाकलापों से खुश नही थी.

वो नही चाहते थे कि हिन्दू मुस्लिम कभी एक हो और उनमे एक राष्ट्र की मांग को मजबूती मिले. इसी बात को मद्देजनर रखते हुए अल हिलाल को प्रतिबंधित करने के साथ ही मौलाना अबुल कलाम को भी नजर बंद कर दिया गया. इन्हें 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी का साथ देने के कारण पुनः जेल में बंद कर दिया गया.

शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आज़ाद का योगदान

खुद उर्दू और फारसी के ज्ञाता होने के बावजूद शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए इन्होने उर्दू की जगह अंग्रेजी को प्रचलन में लाने पर जोर दिया. साथ ही आजादी के बाद अपनाई गई नई शिक्षा प्रणाली में इन्होने शिक्षा और संस्क्रति के मेल पर जोर दिया.

इन्ही के प्रयासों की बदौलत संगीत नाटक और ललित कला अकादमी का गठन किया गया. भारत में शिक्षा का अधिकार अब लागू किया गया, मगर मौलाना आजाद उस समय भारत में बिना भेदभाव के सभी वर्गो के बालक बालिकाओं को 14 वर्ष की आयु तक अनिवार्य बाल शिक्षा दिलवाने के हिमायती थे.

आजादी के आरम्भिक वर्षो में ही तकनिकी और महिला शिक्षा पर जोर देने वाले अबुल कलाम के ही कार्यकाल में 1956 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की स्थापना की गई थी.

शिक्षा को केंद्र तथा राज्य दोनों स्तरों से फलीभूत करने के लिए इन्होने केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी का गठन इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य था.

The Theme of National Education day 2021

“Education of women”, “Compulsory universal primary education”, “the importance of vocational education”, “free and fair education for all children till the age of 14” and “making technical education affordable to the masses”.

Saturday, October 23, 2021

Quiz No : 50 on Current GK for October 2021

 

United Nations Day 2021 (24 October 2021)

संयुक्त राष्ट्र दिवस


दूसरे वर्ल्ड वार के दौरान कई देश आपस में बुरी तरह से उलझे हुए थे. भीषण उन्माद के उस दौर में जरूरत महसूस की गई ऐसे संगठन की, जो देशों के बीच के विवादों का निपटारा कर सके. साथ ही मानवता से जुड़ी उन मुद्दों पर फैसला ले सके जिनपर कोई देश अकेला फैसला लेने के हक में नहीं है. दुनियाभर में सुरक्षा-शांति, जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार आतंकवाद, लैंगिक समानता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस संगठन को बनाया गया था.  इस दिशा में किए गए प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का विचार मूर्त रूप ले पाया। 


















UN कैसे बना एक संगठन ?


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी. रूजवेल्ट ने इस 'यूनाइटेड नेशंस' नाम का इस्तेमाल सबसे पहले 1 जनवरी 1942 को किया था. ये दौर था दूसरे वर्ल्ड वार का, इस दौरान 26 देशों के प्रतिनिधियों को शामिल कर यूनाइटेड नेशंस' के लिए एक घोषणापत्र तैयार किया गया था. साल 1945 में यूनाइटेड नेशंस चार्टर तैयार करने के लिए अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को में एक आयोजन हुई जिसमें दुनिया के 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस चार्टर पर 26 जून 1945 को दुनिया के 50 देशों ने हस्ताक्षर किया. पोलैंड इसका हिस्सा नहीं था लेकिन बाद में इस देश ने भी चार्टर पर हस्ताक्षर किया और संगठन के 51 शुरुआती सदस्यों में शामिल हुआ. 24 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर संगठन की स्थापना हुई. ऐसे में हर साल 24 अक्टूबर को 'यूनाइटेड नेशंस डे' के तौर पर मनाया जाता है. भारत इस संगठन की स्थापना के महज 6 दिन बाद यानी 30 अक्टूबर 1945 को इसका हिस्सा बना. पाकिस्तान ने करीब 2 साल बाद 30 सितंबर 1947 को UN की सदस्यता हासिल की.
  • फिलहाल, UN के सदस्य देशों की संख्या 193 है.

यूनाइटेड नेशंस के प्रमुख अंग (ORGANS)

  • महासभा (General Assembly)
  • सुरक्षा परिषद (Security Council)
  • आर्थिक और सामाजिक परिषद् (Economic and Social Council)
  • न्यास परिषद (Trusteeship Council)
  • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)
  • सचिवालय (Secretariat)

तपूर्ण संस्था का संस्थापक दस्तावेज है जो वैश्विक शांति और समानता के लिए काम कर रहा है। 

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के तुरंत बाद संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी। यह भविष्य में युद्धों को रोकने के उद्देश्य से स्थापित किया गया। यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी प्राथमिक भूमिका विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। पिछपरिषद (Security Council) और भारत

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी. रूजवेल्ट ने इस 'यूनाइटेड नेशंस' नाम का इस्तेमाल सबसे पहले 1 जनवरी 1942 को किया था. ये दौर था दूसरे वर्ल्ड वार का, इस दौरान 26 देशों के प्रतिनिधियों को शामिल कर यूनाइटेड नेशंस' के लिए एक घोषणापत्र तैयार किया गया था. 

साल 1945 में यूनाइटेड नेशंस चार्टर तैयार करने के लिए अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को में एक आयोजन हुई जिसमें दुनिया के 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र को तैयार किया गया और इसे 24 अक्तूबर 1945 को लागू किया गया। इस तरह 24 अक्तूबर को प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ है। इस उपलब्धि को मनाने के लिए सदस्य देशों ने 21 सितंबर को एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था, जहां उन्होंने बहुपक्षवाद के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। 

24 अक्तूबर को एक ऐतिहासिक दिन के रूप में देखा जाता है, जब दुनिया के कुछ सबसे बड़े देशों द्वारा घोषणापत्र के अनुसमर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया। संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र इस महान गैर-पक्षपाले 75 सालों में दुनिया को तीसरे महायुद्ध से बचाकर इसने अपनी विश्वसनीयता साबित की है। 

संयुक्त राष्ट्र दिवस 2021 की 'थीम' क्या है?

Recovering better for an equitable and sustainable world

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ के अपने संदेश में कहा कि कोविड-19 से लेकर आपात जलवायु स्थिति तक दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, जिससे वैश्विक एकजुटता और सहयोग से ही निपटा जा सकता है। 

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, हम बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वैश्विक एकजुटता और सहयोग से ही हम इन चुनौतियों से निपट सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की पहचान यही है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर सभी युद्ध रोके जाने की अपील की।  

UN के सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी है, दुनियाभर में शांति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर फैसला लेना और शांति स्थापित रखना. सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्य होते हैं.

Saturday, October 16, 2021

WORLD FOOD DAY 2021 (16 OCT 2021)

विश्व खाद्य दिवस 2021

वर्ल्ड फूड डे या विश्व खाद्य दिवस दुनियाभर के 150 देशों के द्वारा मिलकर मनाया जाता है. 1981 से यह दिन हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है. हर साल यह दिवस एक थीम के तहत मनाया जाता है भोजन को हर व्यक्ति का मौलिक और बुनियादी अधिकार मानते हुए हर व्यक्ति को भूख से बचाने के लिए यह दिन मनाया जाता है. साल 1945 में इसी दिन रोम में 'खाद्य एवं कृषि संगठन' (Food and Agriculture Organization, FAO) की स्थापना की गई थी. यह संगठन बदलती टेक्नोलॉजी के साथ कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी देता है. ताकि पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सके और मालन्यूट्रिशन को रोका जा सके. साल 1979 में कांफ्रेंस ऑफ FAO ने वर्ल्ड फूड डे मनाने की घोषणा की थी. 



वर्ल्ड फूड डे मनाने का उद्देश्य है भुखमरी से पीड़ित लोगों को जागरूक करना. यह काम खाद्य और कृषि संगठन के सदस्यों ने इस दिन शुरू किया था. संगठन के 20वें महासम्मेलन में इस दिन के बारे में प्रस्ताव रखा गया था. इसके बाद साल 1981 में हर साल इसे मनाया जाता है. इसके अलावा, कई और ऑर्गेनाइजेशन जैसे International Fund For Agricultural Development, World Food Program भी लोगों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करते हैं. 

हमारे देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में कुपोषण (Malnutrition) के मामले बढ़ रहे हैं. इसलिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर खाना बहुत अहम है, लेकिन आज भी हजारों लोग कुपोषण की वजह से अपनी जान गवां रहे हैं. ऐसे में खाने को हर व्यक्ति का  मौलिक और बुनियादी अधिकार माना जाता है. इसलिए करीब 150 देश मिलकर यह दिवस मनाते हैं. 


हर साल हम अलग-अलग थीम पर विश्व खाद्य दिवस मनाते हैं. बता दें, इस साल इस दिवस की थीम है "हमारे कार्य हमारा भविष्य हैं- बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन" (Our actions are our future- Better production, better nutrition, a better environment and a better life).

इस दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर फैल रही भूखमरी को जड़ से खत्म करना है. इस दिवस को हर साल नई-नई थीम के साथ मनाए जाने का प्रावधान है. खाद्य और कृषि संगठन अन्य खाद्य संगठनों की मदद से कई योजनाओं भी चलाई जा रही है.

विश्व खाद्य दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों का इसके प्रति जागरूक करना तथा विश्व में खराब हो रहे खाद्य पदार्थ को बचाना है। विश्व में किसी होटल, पार्टी या अन्य प्रोग्राम में बचे हुए खाना को किसी ऐसे एनजीओ (NGO) में दान करें जो भूखे लोगों का पेट भरते है। >

National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...