राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
प्रतिवर्ष भारत में 11 नवम्बर को नेशनल एजुकेशन डे अर्थात राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता हैं. देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता हैं. वर्ष 2008 से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी. हर वर्ष 11 नवम्बर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. इस दिन मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी का जन्म दिन भी है. वर्ष 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अबुल कलाम जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की परम्परा की शुरुआत हुई.
एक राष्ट्रीय नेता होने के साथ साथ आजाद उच्च कोटि के प्रतिभावान कवि और पत्रकार भी थे. जिन्हें 1992 में देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया गया. हालांकि इनकी मृत्यु 1958 में ही हो गई थी. सादा जीवन और उच्च विचार की शैली को अपनाने वाले मौलाना आजाद गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित भारत के सच्चे हितेषी थे. वे हमेशा से भारत पाकिस्तान विभाजन के विरोधी रहे थे.
भारत की शिक्षा प्रणाली को सुद्रढ़ करने में राजा राममोहनराय, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, अरविन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे राष्ट्र नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा था.
मौलाना अबुल कलाम आजाद की जीवनी
मौलाना आजाद के वंशज अफगान थे उनकी माँ अरबी तथा इनके पिता बाबर के भारत पर आक्रमण के समय आकर बंगाल में बस गये थे. कुछ वर्षो बाद खेरिद्दीन के विद्रोह के चलते इन्होने भारत को छोड़कर मक्का को अपनी शरण स्थली बनाया,
यही पर 1888 में मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था. इनका वास्तविक नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था. कलाम के पिताजी पेशे से शिक्षक थे उन्ही से इन्होने फारसी तथा दर्शनशास्त्र, रेखागणित, गणित और बीजगणित का ज्ञान प्राप्त किया. ये कई वर्षो तक ईराक और तुर्की के क्रांतिकारी नेताओं के साथ रहे. जब वे भारत लौटे तो उनकी मुलाकात अरविन्द घोष श्याम शुन्दर चक्रवर्ती से हुई, इन्ही के आग्रह पर कलाम भारत के स्वाधीनता संग्राम में शामिल हो गये.
अबुल कलाम आजाद कुछ ही वर्षो में कांग्रेस के विरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर व्यापक स्वतंत्रता प्राप्ति संग्राम की योजना पर कार्य करने लगे. इस दौरान उन्होंने मुस्लिम युवकों और धार्मिक संगठनो को भी भारत की स्वतंत्रता के इस संग्राम से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.
इन्होने जीवन पर्यन्त हिन्दू मुस्लिम एकता की भावना को सुद्रढ़ करने का कार्य किया. आजाद ने अल हिलाल उर्दू पत्र के जरिये मुस्लिम सम्प्रदाय में देशभक्ति की भावना को प्रबल करने का कार्य किया. अंग्रेज सरकार इस तरह के क्रियाकलापों से खुश नही थी.
वो नही चाहते थे कि हिन्दू मुस्लिम कभी एक हो और उनमे एक राष्ट्र की मांग को मजबूती मिले. इसी बात को मद्देजनर रखते हुए अल हिलाल को प्रतिबंधित करने के साथ ही मौलाना अबुल कलाम को भी नजर बंद कर दिया गया. इन्हें 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान गांधीजी का साथ देने के कारण पुनः जेल में बंद कर दिया गया.
शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आज़ाद का योगदान
खुद उर्दू और फारसी के ज्ञाता होने के बावजूद शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए इन्होने उर्दू की जगह अंग्रेजी को प्रचलन में लाने पर जोर दिया. साथ ही आजादी के बाद अपनाई गई नई शिक्षा प्रणाली में इन्होने शिक्षा और संस्क्रति के मेल पर जोर दिया.
इन्ही के प्रयासों की बदौलत संगीत नाटक और ललित कला अकादमी का गठन किया गया. भारत में शिक्षा का अधिकार अब लागू किया गया, मगर मौलाना आजाद उस समय भारत में बिना भेदभाव के सभी वर्गो के बालक बालिकाओं को 14 वर्ष की आयु तक अनिवार्य बाल शिक्षा दिलवाने के हिमायती थे.
आजादी के आरम्भिक वर्षो में ही तकनिकी और महिला शिक्षा पर जोर देने वाले अबुल कलाम के ही कार्यकाल में 1956 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की स्थापना की गई थी.
शिक्षा को केंद्र तथा राज्य दोनों स्तरों से फलीभूत करने के लिए इन्होने केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी का गठन इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य था.
The Theme of National Education day 2021
“Education of women”, “Compulsory universal primary education”, “the importance of vocational education”, “free and fair education for all children till the age of 14” and “making technical education affordable to the masses”.
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