सशस्त्र सेना झंडा दिवस
आमतौर पर देशभर के लोग सेना के जांबाज सैनिकों के लिए हमेशा ही साफ्ट कार्नर रखते हैं, उनके मन में सेना के जवानों और उनके परिवार को लेकर हमेशा ही श्रद्धा का भाव रहता है। सरकार की ओर से देश की सशस्त्र सेनाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए एक दिन रखा गया है, इसे हर साल सशस्त्र सेना झंडा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन उन जांबाज सैनिकों के प्रति सभी लोग एकजुटता दिखाते हैं जिन्होंने देश के दुश्मनों से मुकाबला करते हुए अपनी जान हंसते हुए न्यौछावर कर दी। इन शहीदों और इनके परिवार को इस दिन नमन किया जाता है।
इस दिन सशस्त्र सेना के शहीद जवानों के परिवार की मदद के लिए धनाराशि भी एकत्र की जाती है। यह धनराशि लोगों को गहरे लाल व नीले रंग के झंडे का स्टीकर देकर एकत्रित की जाती है। लोग रुपये देकर इस स्टीकर को खरीदते हैं। यह राशि झंडा दिवस कोष में जमा कराई जाती है। इस कोष से युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या घायल सैनिकों के कल्याण व पुनर्वास में सहायता की जाती है। सैनिक कल्याण बोर्ड इस राशि को खर्च करता है।
7 दिसंबर 1949 से झंडा दिवस की शुरूआत
सशस्त्र सेना झंडा दिवस हर साल 7 दिसंबर को मनाया जाता है। 23 अगस्त 1947 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिवार के कल्याण के लिए झंडा दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके बाद 7 दिसंबर 1949 से झंडा दिवस की शुरूआत हुई। बाद में वर्ष 1993 से इसे सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
देश के हर कोने में मनाया जा रहा झंडा दिवस
सशस्त्र सेना झंडा दिवस देश के हर कोने में मनाया जाता है। इसमें सभी सरकारी कर्मचारी व अधिकारी देश के आम नागरिक भी झंडा खरीदकर अंशदान करते हैं। निजी कंपनियों, स्कूलों व कॉलेजों समेत कई गैर सरकारी व निजी संस्थाओं में भी सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। इस दिन कुछ जगहों पर कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
आन देश की शान देश की, देश की हम संतान हैं
तीन रंगों से रंगा तिरंगा अपनी ये पहचान है
Very nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteGoodmorning all teacher's
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