Tuesday, October 29, 2024

Celebration of Annual sports Day 2024 on 29 Oct 2024 in KV 2 Jaipur

वार्षिक खेलकूद दिवस मनाया गया


पी एम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 29 अक्टूबर 2024  को वार्षिक खेलकूद दिवस मनाया गया,  इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार टेलर रहे तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमान कालूराम जाटवरिष्ठ सचिवालय सहायक, केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर, उप प्राचार्य बी. एस. राठौर, शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा विद्यार्थीयो ने भाग लिया । इस कार्यक्रम में विद्यार्थीयो के द्वारा विभिन्न  सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई तथा विद्यार्थीयो के बीच खेलकूद  प्रतियोगिताओ का आयोजन किया गया, जिसमे विद्यार्थीयो जोश ने के साथ भाग लिया ।मुख्य अतिथि महोदय ने सभी को सम्बोधित किया और विद्यार्थीयो के  जीवन मे खेलकूद का महत्व  बताया । श्रीमान कालूराम जाट जो कि 31 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय विद्यालय संगठन से सेवानिवृत हो रहे हैं, उन्होने भी विद्यार्थीयो  को खेलकूद का महत्व बताया तथा अपना आशीर्वाद दिया ।

 













Monday, October 21, 2024

10 Days Workshop for Ex servicemen by AWPO, Jaipur

10 Days Workshop for Ex servicemen by AWPO


पी एम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर में दिनांक 19 अक्टूबर 2024 को AWPO आर्मी वेलफेयर प्लेसमेंट आर्र्नाइजेशन की तरफ से एक्स् सर्विसमैंन  तथा उनके परिवार के लिए AWPO की तरफ से 10 दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें 30 प्रतिभागियो को कंप्यूटर के बारे मे विस्तार से सिखाया गया । वर्कशॉप के समापन समारोह मे AWPO के डायरेक्टर कर्नल राजेश भूकर,  199 मीडियम रेजिमेंट CO कर्नल रजत,  विद्यालय के प्राचार्य श्री पी के टेलर, उप प्राचार्य श्री बी एस राठौर तथा सभी  प्रतिभागी उपस्थित रहे ।  AWPO के डायरेक्टर कर्नल राजेश भूकर ने सभी प्रतिभागियो को प्लेसमेंट के बारे मे विस्तार से बताया तथा आशवासन दिया की उनको रोजगार दिलाने मे पूरी सहायता की जायेगी । कार्यक्रम के अंत मे सभी प्रतिभागियो को प्रणाम पत्र देकर सम्मानित किया गया ।











Tuesday, October 1, 2024

Gandhi Jayanti (02 Oct 2024)

  महात्मा गाँधी 


महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1867 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवां दिया गया था।



गाँधी जी का बचपन में पढ़ाई में मन नहीं लगता था पर बचपन से ही उन्हें उचित अनुचित में फर्क पता था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से संपंन हुई, हाईस्कूल की परिक्षा इन्होंने राजकोट से दिया। और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से संपन्न किया।महात्मा गाँधी का यह मानना था भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधिन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। गाँधी जी के आधारभूत शिक्षा सिद्धांत :-

  • 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।
  • शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।
  • साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।
  • शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया। वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...