Saturday, January 29, 2022

Martyr's Day (30 January 2022)

 शहीद दिवस

30 जनवरी भारतीय इतिहास का अहम दिन है। 1948 में इसी दिन नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी पुण्यतिथि को हर साल शहीद दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। वैसे आपको बता दें कि 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है क्योंकि उसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। इस दिन महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए देशभर में कई सभाएं आयोजित की जाती है। साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित देश के कई गणमान्य नागरिक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए भी जाते हैं।


अक्सर लोगों के मन में ये विचार आ रहा है कि आखिर 23 मार्च को भी तो शहीद दिवस मनाया जाता है और वह 30 जनवरी से आखिर कैसे अलग हैं। तो आपको बता कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, वहीं 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी, इसलिए इन अमर शहीदों की याद में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी, 1948 की शाम में बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी। नाथूराम गोडसे से गांधीजी की हत्या करने से पहले उनके पैर भी छुए थे। जब गांधीजी की हत्या की गई थी, तब उनकी उम्र 78 साल थी। नाथूराम गोडसे भारत के विभाजन को लेकर गांधीजी के विचार से सहमत नहीं था।

महात्मा गांधी के बारे में 

* महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात से हासिल की और बॉम्बे यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।

* गांधीजी वकालत की पढ़ाई करने 4 सितंबर, 1888 को लंदन गए।

* 1893 में गांधीजी एक साल के अग्रीमेंट पर दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्होंने देखा कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ बहुत ही अपमानजनक व्यवहार किया जाता था। वह भी भेदभाव का शिकार हुए।


* गांधीजी 1916 में भारत लौटे और अपना पूरा जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया।

* स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण आंदोलन उनकी पहली उपलब्धि थी जिसे 1918 में शुरू किया गया था।

* उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन भी चलाया था। लेकिन आंदोलन के दौरान हिंसा की कुछ घटना सामने आने के बाद इसको असफल माना गया।

* उसके बाद 1930 में गांधीजी ने सिविल अवज्ञा आंदोलन चलाया जिसे दांडी यात्रा के नाम से जाना गया।

* 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया और जिसे उनके जीवन का सबसे सफल और सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है।



Tuesday, January 25, 2022

National Voter Day (25 January 2022)

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 


हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग इस साल पूरे देश में 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाएगा। 25 जनवरी 2011 में तात्कालिक राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' का शुभारंभ किया था। राष्ट्रीय मतदाता दिवस को 25 जनवरी के ही दिन इस लिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1950 में चुनाव आयोग की स्थापना हुई थी। चुनाव आयोग के 61 वें स्थापना दिवस के दिन मतदाता दिवस की शुरुआत की गई।


राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य

इस दिन मतदाताओं को जागरुक किया जाता है कि हर एक वोट देश की तरक्की के लिए जरूरी होता है। मतदाता दिवस मनाने का उद्देश्य पात्र मतदाताओं की पहचान कर उन्हें मत देने के लिए प्रोत्साहित करना है। लोकतांत्रिक देश के नागरिकों को उनके कर्तव्य को याद दिलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

 मतदाता दिवस को कैसे मनाया जाता है?

मतदाता दिवस के दिन देश भर के सभी मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में पात्र मतदाताओं की पहचान की जाती है। पात्र मतदाताओं में 18 साल की उम्र के हो चुके युवा शामिल किए जाते हैं। इन मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में दर्ज करके उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंपे जाते हैं। हर साल मतदाता दिवस के दिन वोटरों को मतदान करने की शपथ भी दिलाई जाती है ताकि वह एक नागरिक के तौर पर लोकतंत्र की रक्षा के लिए जागरूक रहें।

इस दिन चुनाव आयोग हर साल वोटरों को वोट के प्रति जागरूक बनाने के लिए 18 साल के हो चुके युवाओं की पहचान कर पहचान पत्र सौंप कर वोट (vote) देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हर साल वोटर डे पर एक थीम रखी जाती है. इस साल की थीम (voter day Theme) है. ‘चुनावों को समावेशी, सुलभ और सहभागी बनाना’. भारत निर्वाचन आयोग इस साल पूरे देश में 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाएगा.

National Tourism Day (25 January 2022)

 राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 


भारत विविधताओं का देश है। यहां पर्यटन स्थलों की भरमार है। दुनियाभर के पर्यटकों की नजर भारत के पर्यटन स्थलों पर रहती है। भारत के पर्यटन स्थलों के प्रचार प्रसार के लिए हर साल 25 दिसंबर को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए पर्यटन दिवस मनाने का फैसला लिया। भारतीय पर्यटन से करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है तो वहीं देश की जीडीपी में भी बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा पर्यटन दिवस के जरिए देश विदेश तक भारत की ऐतिहासिकता, खूबसूरती, प्राकृतिक सुंदरता, संस्कृति का प्रचार प्रसार होता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कई पर्यटन स्थल हैं जो यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर्यटन दिवस इन्हीं आकर्षण को दुनिया के सामने लाने का एक जरिया है।


पर्यटन दिवस मनाने की कब से हुई शुरुआत

वैसे तो पूरी दुनिया में विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मनाया जाता है लेकिन भारत का पर्यटन दिवस 25 जनवरी को होता है। इस दिन की शुरुआत 1948 में ही हो गई थी, जब देश आजाद होने के बाद भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक पर्यटन यातायात समिति का गठन किया गया। इसके तीन साल बाद यानी 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों में बढ़ोतरी की गई। दिल्ली, मुंबई के अलावा कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन कार्यालय बनाए गए। साल 1998 में पर्यटन और संचार मंत्री के अंतर्गत पर्यटन से एक विभाग जोड़ा गया।\

पर्यटन दिवस मनाने के उद्देश्य

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत लोगों को पर्यटन का महत्व और भारतीय अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हुई थी। वैश्विक समुदायों के बीच पर्यटन और इसके सामाजिक, राजनीतिक, वित्तीय और सांस्कृतिक मूल्य के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।

भारतीय पर्यटन दिवस का प्रभाव

-भारत की जीडीपी में पर्यटन दिवस का गहरा प्रभाव है। साल भर विश्व स्तर से लोग भारत के दार्शनिक स्थल देखने आते हैं, जिससे भारत का आर्थिक स्तर बढ़ता है।

-यहां का पर्यटन भारत की संस्कृति और सभ्यता को दर्शाता है, जिसका प्रचार प्रसार विदेशों तक होता है।

-भारत के पर्यटन से लगभग 7.7 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका चला रहे हैं। इससे रोजगार मिलता है।

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 2022 की थीम

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 2022 आंध्र प्रदेश में "आजादी का अमृत महोत्सव" के रूप में मनाया जाएगा। 2021 में राष्ट्रीय पर्यटन दिवस की थीम 'देखो अपना देश' थी। 

Monday, January 24, 2022

National Girl Child Day (24 January 2022)

राष्ट्रीय बालिका दिवस


गर्ल चाइल्ड डे को मनाने के लिए 24 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इस दिन देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें लड़कियों के बचाव, उनको स्वास्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करना है। 


राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य

भारत सरकार ने समाज में समानता लाने के लिए नेशनल गर्ल चाइल्ड डे की शुरुआत की थी। इस अभियान का उद्देश्य लड़कियों को जागरूक करना और यह बताना है कि समाज के निर्माण में महिलाओं का समान योगदान है। इसमें सभी क्षेत्र के लोगों को शामिल किया गया है और उन्हें जागरुक किया गया कि लड़कियों को भी फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए। इसके अलावा लैंगिक असमानता को लेकर जागरूकता पैदा करना और यह सुनिश्चित करना कि हर लड़की को मानवीय अधिकार मिले, इस दिन को मनाने का उद्देश्य है।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस

समाज में लड़कियों की स्थिति सुधारने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद बालिकाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक करना और लोगों में लड़कियों की शिक्षा के महत्व और उनके स्वास्थ्य व पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। देश में आज भी लड़कियों को असमानता और लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, ऐसे में लोगों की सोच बदलने और उन्हें जागरुक बनाने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।

-लोगों के बीच लड़कियों के अधिकार को लेकर जागरूकता पैदा करना और लड़कियों को नया अवसर मुहैया कराना

-यह सुनिश्चित करना कि हर लड़की को मानवीय अधिकार मिले

-लैंगिक असमानता को लेकर जागरूकता पैदा करना

-बालिकाओं की समस्या का समाधान

-महिलाओं को समाज में जिन असमानताओं का सामना करना पड़ता है, उन सभी से छुटकारा


Saturday, January 22, 2022

Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti (23 January 2022)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती


भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है। इस साल भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस का पर्व 24 जनवरी के बजाए 23 जनवरी से मनाने का फैसला लिया है। अब से हर साल सुभाष चंद्र बोस की जयंती से गणतंत्र दिवस पर्व का आगाज होगा। भारत सरकार का यह निर्णय नेताजी के सम्मान और देश की स्वतंत्रता में उनके संघर्षों को याद रखने के लिए लिया गया है। इस साल भारत सुभाष चंद्र बोस की 124वीं जयंती मना रहा है। सुभाष चंद्र बोस एक वीर सैनिक, योद्धा, महान सेनापति और कुशल राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए आजाद हिंद फौज के गठन से लेकर हर भारतीय को आजादी का महत्व समझाने तक हर काम को किया। वह केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लिए प्रेरणा हैं। 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' ये वह नारा है जिसने हर भारतवासी के खून को गरम कर दिया। अंग्रेजों से लड़ने के लिए एक ऐसी ताकत दी, जिसे हम देशभक्ति का नाम दे सकते हैं। 



सुभाष चंद्र बोस का बचपन और शिक्षा

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा राज्य के कटक में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस के 7 भाई और 6 बहनें थीं। अपने माता-पिता के 14 बच्चों में वह 9 वीं संतान थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था। सुभाष चंद्र बोस ने अपनी शुरुआती शिक्षा कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए 1913 में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। यहां से साल 1915 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। उनके माता पिता चाहते थे कि सुभाष चंद्र बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाएं। सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय भेजा गया था।

प्रशासनिक सेवा में नेताजी का चौथा स्थान

ये किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं था कि अंग्रेजों के शासन में जब भारतीयों के लिए किसी परीक्षा में पास होना तक मुश्किल होता था, तब नेताजी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया। उन्होंने पद संभाला लेकिन भारत की स्थिति और आजादी के लिए सब छोड़कर स्वदेश वापसी की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। नेताजी और महात्मा गांधी के विचार कभी नहीं मिले लेकिन दोनों ही नेताओं की मंशा एक ही थी भारत की आजादी। महात्मा गांधी उदार दल के नेता थे और सुभाष चंद्र बोस क्रांतिकारी दल का नेतृत्व कर रहे थे।

आजाद हिंद फौज का गठन  

देश की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की और आजाद हिंद फौज का गठन किया। साथ ही  उन्होंने आजाद हिंद बैंक की भी स्थापना की। दुनिया के दस देशों ने उनकी सरकार, फौज और बैंक को अपना समर्थन दिया था। इन दस देशों में बर्मा, क्रोसिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान चीन), इटली, थाईलैंड, मंचूको, फिलीपींस और आयरलैंड का नाम शामिल हैं। इन देशों ने आजाद हिंद बैंक की करेंसी को भी मान्यता दी थी। फौज के गठन के बाद नेताजी सबसे पहले बर्मा पहुंचे, जो अब म्यांमार हो चुका है। यहां पर उन्होंने नारा दिया था, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'। देश आजादी की ओर था।

सुभाष चंद्र बोस की मौत का रहस्य

नेताजी की ताकत बढ़ रही थी लेकिन अचानक 18 अगस्त 1945 को सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया। कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस का हवाई जहाज मंचुरिया जा रहा था, जो रास्ते में लापता हो गया। आज तक ये नहीं पता चल सका कि सुभाष चंद्र बोस के हवाई जहाज का क्या हुआ, वह कहां गया? 

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है।

असफलताएं कभी-कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं।

हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं।

जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।

Tuesday, January 18, 2022

100 Days Reading Campaign

शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार लाने के लिये एक जनवरी 2022 से 100 दिवसीय पुस्तक पठन अभियान 'पढ़े भारत' की शुरुआत की।   इसका मकसद छात्रों में रचनात्मकता, चिंतन, शब्दावली के साथ-साथ मौखिक तथा लिखित दोनों तरह से अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करना है। 

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट किया, '' पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और यह संज्ञानात्मक भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम है।'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकों को नियमित रूप से पुस्तक पढ़ने के सुझाव से प्रेरित होकर मैं जीवन पर्यंत पुस्तक पढ़ने की आदत विकसित करने को प्रतिबद्ध हूं।

इसके तहत हमारे विधालय के छात्र और छात्राओ को भी इसमे भाग लेना है आपको घर पर रहकर पुस्तके पढ़नी है पुस्तके आप अपनी पढ़ सकते हो या फिर निचे गूगल फोर्म मे लिंक दिया है उससे भी पढ़ सकते हो और आपको अपनी रीडीग के दोरान की फोटो निचे दिये गये गूगल फोर्म मे भरकर भेजनी है ।

Click Here for गूगल फोर्म ळिंक  

Saturday, January 15, 2022

Army Indian Day 15 January 2022

   सेना दिवस                        


15 जनवरी का दिन भारत के लिए अहम दिन होता है। आज के दिन को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 15 जनवरी भारत के गौरव को बढ़ाने और सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों के सम्मान का दिन होता है। इस साल भारत का 74 वां सेना दिवस मनाया जा रहा है। 15 जनवरी को नई दिल्ली और सभी सेना मुख्यालयों पर सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस मौके पर देश थल सेना की वीरता, उनके शौर्य और कुर्बानियों को याद करता है। लेकिन सवाल ये हैं कि 15 जनवरी को ही भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है? ये दिन भारतीय सेना और भारत के इतिहास के लिए खास कैसे है? दरअसल भारतीय सेना दिवस फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं कि कौन हैं फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और सेना में उनके योगदान के बारे में, साथ ही क्यों 15 जनवरी को ही सेना दिवस मनाया जाता है?


करिअप्पा के सम्मान में हर साल मनाया जाता है सेना दिवस

15 जनवरी को आर्मी डे मनाने के पीछे दो बड़ी वजह है। पहला यह कि 15 जनवरी 1949 के दिन से ही भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हुई थी। दूसरी इसी दिन जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था। इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। केएम करियप्पा ‘किप्पर’ नाम से काफी मशहूर थे। दरअसल 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद ब्रिटिश इंडियन आर्मी दो हिस्से में बंट गई थी। एक पाकिस्तान आर्मी और दूसरा हिस्सा इंडियन आर्मी बनी थी।

28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे करिअप्पा फील्ड मार्शल के पद पर पहुंचने वाले इकलौते भारतीय हैं। फील्ड मार्शल सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया था।

करिअप्पा ने 1947 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अदम्य साहस और दमदार नेतृत्व का परिचय दिया था। पाकिस्तान के युद्ध के समय उन्हें पश्चिमी कमान का जीओसी-इन-सी बनाया गया था। उनके नेतृत्व में भारत ने जोजीला, द्रास और करगिल पर पाकिस्तानी सेना को हराया था।

15 जनवरी को ही क्यों होता है सेना दिवस

दरअसल फील्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख 15 जनवरी 1949 को बने थे। ये भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसलिए 15 जनवरी को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जब करियप्पा सेना प्रमुख बने तो उस समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। करियप्पा साल 1953 में रिटायर हो गए थे और 94 साल की उम्र में साल 1993 में उनका निधन हुआ था।करियप्पा की उपलब्धियां

करियप्पा ने भारत पाकिस्तान युद्ध 1947 का नेतृत्व किया था। रिटायरमेंट के बाद में उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया। इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का सम्मान भी मिला था।

Wednesday, January 12, 2022

National Youth Day celebrated in KV No 2 Jaipur (12 Jan 2022)

 राष्ट्रीय युवा दिवस 


12 जनवरी हर साल देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन युवाओं को इंस्पिरेशन देने वाले स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था.   केंद्रीय विधालय क्रमांक 2 जयपुर मे दिनांक 12 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया जिसमे विधालय के उप प्राचार्य श्री बाबू सिह राठौड़  तथा अन्य शिक्षकगण भी उपस्थित रहे । कार्यक्रम  मे विधार्थी अपने घर से ओंन लाईन माध्यम से जुडे हुए थे । 

Tuesday, January 11, 2022

National Youth Day (12 January 2022)

राष्ट्रीय युवा दिवस


हर साल भारत में 12 जनवरी के दिन को युवाओं के लिए समर्पित किया गया है और इस दिन ही स्वामी विवेकानंद का जन्म भी हुआ था. इस साल में भी इस दिन को पूरे भारत में युवा दिवस के साथ-साथ विवेकानंद जी की 159 वीं जन्म जयंती के रूप में मनाया जायेगा.


भारत देश की अधिकतर आबादी युवाओं की है और किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है. नई प्रतिभा के आने से देश को ना सिर्फ तरक्की मिलती है, बल्कि देश का विकास भी सही तरह से होता है. वहीं देश के युवाओं के सही मार्ग दर्शन के लिए हर साल भारत में युवा दिवस मनाया जाता है. 

भारत में युवा दिवस मनाने की शुरुआत साल 1985 से शुरू हुई थी. वहीं इस दिन को युवा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान साल 1984 में की गया था. युवा दिवस मनाने के लिए सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को चुना गया था और तब से अब तक हर साल इस दिन युवा दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद अपने विचारों और अपने आदर्शों के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. उन्होंने काफी कम उम्र के अंदर ही दुनिया में अपने विचारों के चलते अपनी एक अलग ही पहचान बनाई थी. उनके विचारों से युवाओं को सही दिशा मिल सके, इस मकसद से ही उनके जन्म दिवस को इस दिन के लिए चुना गया था.

हर साल भारत में 12 जनवरी के दिन को युवाओं के लिए समर्पित किया गया है और इस दिन ही स्वामी विवेकानंद का जन्म भी हुआ था. इस साल में भी इस दिन को पूरे भारत में युवा दिवस के साथ-साथ विवेकानंद जी की 159 वीं जन्म जयंती के रूप में मनाया जायेगा.

यहां जानें स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ीं कुछ खास बातें

1. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।

2. स्वामी विवेकानंद बचपन से ही पढ़ाई और अध्ययन में रुचि थी। 1871 में 8 साल की उम्र में स्कूल जाने के बाद 1879 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया।

3. स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रेरित होकर सिर्फ 25 साल की युवावस्था में सबकुछ छोड़कर नरेंद्रनाथ दत्त सन्यासी बन गए थे और इसी के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा।

4. विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस 1881 में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में पहली बार मिले।

5. रामकृष्ण परमहंस से मिलने पर स्वामी विवेकानंद ने उनसे सवाल किया कि क्या आपने भगवान को देखा है? तब परमहंस ने जवाब दिया कि, हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं। फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं।

6. 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण 'अमेरिका के भाईयों और बहनों' के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली।

7. स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।

8. स्वामी विवेकानंद ने शिकागो भाषण के पहले और बाद में भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का विस्तार पूरी दुनिया में किया।

9. स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्होंने 39 साल की बेहद कम उम्र में ही दम तोड़ दिया। लेकिन उन्होंने साबित कर दिया था कि युवावस्था कितनी महत्वपूर्ण होती है और इसमें क्या-क्या किया जा सकता है।

10. स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।


Friday, January 7, 2022

CSIR Innovation Award for School Children (CIASC) 2022

CIASC (CSIR Innovation Award for School Children) is an annual national competition to harness the creative and innovative spirit of school children. The competition has been started in the year 2002 on the occasion of the World Intellectual Property Day which is celebrated throughout the world on 26th April. CSIR invites students to send their original creative technological and design ideas in the form of proposal for the competition.


100 Days Reading Campaign Guidelines

Union Education Minister, Dharmendra Pradhan, launched a 100-day reading campaign titled 'Padhe Bharat'. The launch of the campaign is in alignment with the National Education Policy 2020 that lays emphasis on the promotion of joyful reading culture for children by ensuring the availability of age-appropriate reading books for children in the local/mother tongue/regional/tribal language. 

During the launch, the education minister underlined the importance of reading and how it helps in the development of the child. He also said that if the habit of reading is inculcated at an early stage, it helps in brain development and enhances imagination.



National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...