Friday, July 31, 2020

महान उपन्यासकार श्री मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म दिवस 31जुलाई

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

आज महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद जी का जन्मदिवस है। आइए आज उन्हें नमन करे तथा उनके कृतियों को याद करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करे।
  

विषयजानकारिया
नाममुंशी प्रेमचंद
पूरा नामधनपत राय
जन्म31 जुलाई 1880
जन्म स्थलवाराणसी के लमही गाँव मे हुआ था .
मृत्यु8 अक्टूबर 1936
पिताअजायब राय
माताआनंदी देवी
भाषाहिन्दी व उर्दू
राष्ट्रीयताहिन्दुस्तानी
प्रमुख रचनायेगोदान, गबन

31 जुलाई 1880 को , बनारस के एक छोटे से गाँव लमही मे, जहा प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था . प्रेमचंद जी एक छोटे और सामान्य परिवार से थे . उनके दादाजी गुर सहाय राय जोकि, पटवारी थे और पिता अजायब राय जोकि, पोस्ट मास्टर थे . बचपन से ही उनका जीवन बहुत ही, संघर्षो से गुजरा था . जब प्रेमचंद जी महज आठ वर्ष की उम्र मे थे तब, एक गंभीर बीमारी मे, उनकी माता जी का देहांत हो गया .

बहुत कम उम्र मे, माता जयजी के देहांत हो जाने से, प्रेमचंद जी को, बचपन से ही माता–पिता का प्यार नही मिल पाया . सरकारी नौकरी के चलते, पिताजी का तबादला गौरखपुर हुआ और, कुछ समय बाद पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया . सौतेली माता ने कभी प्रेमचंद जी को, पूर्ण रूप से नही अपनाया . उनका बचपन से ही हिन्दी की तरफ, एक अलग ही लगाव था . जिसके लिये उन्होंने स्वयं प्रयास करना प्रारंभ किया, और छोटे-छोटे उपन्यास से इसकी शुरूवात की . अपनी रूचि के अनुसार, छोटे-छोटे उपन्यास पढ़ा करते थे . पढ़ने की इसी रूचि के साथ उन्होंने, एक पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहा पर, नौकरी करना प्रारंभ कर दिया .

जिससे वह अपना पूरा दिन, पुस्तक पढ़ने के अपने इस शौक को भी पूरा करते रहे . प्रेमचंद जी बहुत ही सरल और सहज स्वभाव के, दयालु प्रवत्ति के थे . कभी किसी से बिना बात बहस नही करते थे, दुसरो की मदद के लिये सदा तत्पर रहते थे . ईश्वर के प्रति अपार श्रध्दा रखते थे . घर की तंगी को दूर करने के लिये, सबसे प्रारंभ मे एक वकील के यहा, पांच रूपये मासिक वेतन पर नौकरी की . धीरे-धीरे उन्होंने खुद को हर विषय मे पारंगत किया, जिसका फायदा उन्हें आगे जाकर मिला ,एक अच्छी नौकरी के रूप मे मिला . और एक मिशनरी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप मे, नियुक्त किये गये . हर तरह का संघर्ष उन्होंने, हँसते – हँसते किया और अंत मे, 8 अक्टूबर 1936 को अपनी अंतिम सास ली .

मुंशी प्रेमचंद की कार्यशैली

प्रेमचंद जी अपने कार्यो को लेकर, बचपन से ही सक्रीय थे . बहुत कठिनाईयों के बावजूद भी उन्होंने, आखरी समय तक हार नही मानी . और अंतिम क्षण तक कुछ ना कुछ करते रहे, और हिन्दी ही नही उर्दू मे भी, अपनी अमूल्य लेखन छोड़ कर गये .

  • लमही गाँव छोड़ देने के बाद, कम से कम चार साल वह कानपुर मे रहे, और वही रह कर एक पत्रिका के संपादक से मुलाकात करी, और कई लेख और कहानियों को प्रकाशित कराया .  इस बीच स्वतंत्रता आदोलन के लिये भी कई कविताएँ लिखी .
  • धीरे-धीरे उनकी कहानियों,कविताओं, लेख आदि को लोगो की तरफ से, बहुत सरहाना मिलने लगी . जिसके चलते उनकी पदोन्नति हुई, और गौरखपुर तबादला हो गया . यहा भी लगातार एक के बाद एक प्रकाशन आते रहे, इस बीच उन्होंने महात्मा गाँधी के आदोलनो मे भी, उनका साथ देकर अपनी सक्रीय भागीदारी रखी . उनके कुछ उपन्यास हिन्दी मे तो, कुछ उर्दू मे प्रकाशित हुए .
  • उन्नीस सौ इक्कीस मे अपनी पत्नी से, सलाह करने के बाद उन्होंने, बनारस आकर सरकारी नौकरी छोड़ने का निर्णय ले लिया . और अपनी रूचि के अनुसार लेखन पर ध्यान दिया . एक समय के बाद अपनी लेखन रूचि मे, नया बदलाव लाने के लिये उन्होंने सिनेमा जगत मे, अपनी किस्मत अजमाने पर जोर दिया, और वह मुंबई पहुच गये और, कुछ फिल्मो की स्क्रिप्ट भी लिखी परन्तु , किस्मत ने साथ नही दिया और, वह फ़िल्म पूरी नही बन पाई . जिससे प्रेमचंद जी को नुकसानी उठानी पड़ी और, आख़िरकार उन्होंने मुंबई छोड़ने का निर्णय लिया और, पुनः बनारस आगये . इस तरह जीवन मे, हर एक प्रयास और मेहनत कर उन्होंने आखरी सास तक प्रयत्न किये 

प्रेमचंद जी की प्रमुख रचनाओ के नाम (Munshi Premchand creations Name)

देखा जाये तो, मुंशी प्रेमचंद जी की सभी रचनाये प्रमुख थी . किसी को भी अलग से, संबोधित नही किया जा सकता . और उन्होंने हर तरह की अनेको रचनाये लिखी थी जो, हम बचपन से हिन्दी मे पढ़ते आ रहे है ठीक ऐसे ही, उनके कई उपन्यास नाटक कविताएँ कहानियाँ और लेख हिन्दी साहित्य मे दिये गये है . जैसे- सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं

Wednesday, July 29, 2020

विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई 2020



विश्व भर में 29 जुलाई 2020 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया. यह दिवस जागरूकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. अवैध शिकार और वनों के नष्ट होने के कारण विभिन्न देशों में बाघों की संख्या में काफी कमी आई है.

केन्द्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने बाघ संरक्षण के लिए सामाजिक आंदोलन प्रारंभ करने की आवश्यकता को दोहराया है. इससे पहले डॉ. हर्षवर्धन ने भारतीय चिड़ियाघरों के वन्य जीवों के स्वास्थ्य तथा पोषण प्रबंधन पर एक मैनुअल जारी किया.

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जंगली बाघों के निवास के संरक्षण एवं विस्तार को बढ़ावा देने के साथ बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. इनकी तेजी से घटती संख्या को नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी है, नहीं तो ये खत्म हो जाएंगे.

वर्तमान में बाघों की संख्या अपने न्यूनतम स्तर पर है. पिछले 100 वर्षों में बाघों की आबादी का लगभग 97 फीसदी खत्म हो चुकी है. ‘वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड’ और ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ के 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 6000 बाघ ही बचे हैं, जिनमें से 3891 बाघ भारत में हैं. वर्ष 1915 में बाघों की संख्या एक लाख थी.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाने का फैसला वर्ष 2010 में सेंट पिट्सबर्ग बाघ समिट में लिया गया था क्योंकि तब जंगली बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे. इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक वे बाघों की आबादी दुगुनी कर देंगे.

बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु कहा जाता है. बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक है. बाघ भारतीय उपमहाद्वीप का प्रतीक है और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है. पूरी दुनिया में बाघों की कई तरह की प्रजातियां मिलती हैं. इनमें 6 प्रजातियां मुख्य हैं. इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ शामिल हैं.

WWF, IFAW और Smithsonian Institute सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठन दिन में शामिल हैं।सातवां वार्षिक वैश्विक टाइगर दिवस दुनिया भर के विभिन्न तरीकों से मनाया गया था। बांग्लादेश, नेपाल और भारत के साथ-साथ इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे non-tiger-range में स्थानीय कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। कुछ हस्तियों ने भी अपनी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल तस्वीरें हटाकर भाग लिया। WWF ने रेंजरों में निवेश के माध्यम से “Double Tigers” अभियान के प्रचार को जारी रखा। जागरूकता बढ़ानेें और मदद के लिए कई कंपनियों ने WWF के साथ साझेदारी की।अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे को ग्लोबल टाइगर डे भी कहा जाता है। बाघ संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन मनाया जाता है। बाघ सबसे बड़ी बिल्ली है और यह उल्लेखनीय प्राणी है, जिसमें इसके अद्वितीय काले और नारंगी पट्टियां और आकर्षक रूप से चिह्नित चेहरे हैं, एक दिन है जो इसे समर्पित है।






Tuesday, July 28, 2020

National Level Patriotic Poem Competition organised by CCRT

NATIONAL LEVEL PATRIOTIC POEM COMPETITION 


Centre for Cultural Resources and Training (CCRT), an autonomous organization of Ministry of Culture, Govt. of India, announces National Level Patriotic Poem Competition on the occasion of Independence Day 2020.

CCRT is working in the field of linking education with culture for more than 40 years and has awarded more than 14000 scholarships till date to the young and meritorious children in the age group of 10 to 14 years.


CCRT under the initiatives/programs to be undertaken during the Independence Day 2020, on behalf of Ministry of Culture, Government of India invites entries of “Patriotic Poem” from meritorious young children in the age group of 10 to 14 years, for participation in the National Level Patriotic Poem Competition. Children whose date of birth is between 01.07.2007 and 30.06.2011 (both days inclusive) are eligible to send their entries.

The selected winners will be awarded Merit Certificate along with Cash Prize of :

1. First Prize (Rs. 15,000/-)
2. Second Prize (Rs. 7,500/-)
3. Third Prize (Rs. 5,000/-)
4. Consolation Prize (Rs. 2000/-) for each State/ Union Territory of India ( poems from which state/ Union Territory received)

The last date for submission of the Entries will be 07-08-2020, 11.30 P.M.

Saturday, July 25, 2020

कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई 2020)

कारगिल विजय दिवस 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 21वें कारगिल विजय दिवस (21st Kargil Vijay Diwas) के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर की क्विज प्रतियोगिता (Quiz Competition) का आयोजन किया है ताकि छात्रों में देशभक्ति की भावन को बढ़ावा दिया जा सके. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट किया, ‘‘ छात्रों, आप कारगिल युद्ध के बारे में कितना जानते हैं? इस कारगिल विजय दिवस पर हमने अपने योद्धाओं को समर्पित राष्ट्रीय स्तर की क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया है.’’ 

The quiz will be open for 2 days, starting on 23rd July, 2020 and will close on 27th July 2020 midnight.

  1. To take part in the Quiz, the participants have to register on mygov.in and fill in the details in the form.
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  3. Each participant will get a digital certificate of participation
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  5. Those who secure 80% or more marks, will be given merit certificate duly signed by Secretary UGC, Director NCERT and CEO MyGov
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  7. Participants can view their score after the last date of the quiz.


For Play Quiz Click Here



कारगिल विजय दिवस का महत्व

ऑपरेशन विजय की सफलता के नाम पर कारगिल विजय दिवस का नाम दिया गया। 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक प्रमुख चौकी की कमान संभाली, जो पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा हमसे छीन ली गयी थी।

कारगिल युद्ध 60 से भी अधिक दिनों के लिए लड़ा गया था, यह  26 जुलाई को खत्म हो गया और परिणामस्वरूप दोनों पक्षों, भारत और पाकिस्तान के जीवन में नुकसान के बाद, हमें कारगिल की संपत्ति फिर से हासिल हुई।

कारगिल युद्ध के नायकों के सम्मान में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह दिन कारगिल सेक्टर और राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में मनाया जाता है। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री हर साल इस दिन इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के साथ सैनिकों को श्रद्धांजलि देते है। सशस्त्र बलों के स्मरण के लिए पूरे देश में इस दिन को सम्मान के साथ उन्हें याद किया जाता है।


Monday, July 20, 2020

Quiz No 8 : on Famous Personalities.


Admission in Kendriya Vidyalaya

Admission in Kendriya Vidyalaya

Admission Process in Kendriya Vidyalaya has been stared wef 20 July 2020. Class I registration forms is available online. The admission process notice is as under :-


 For online form fill, Click here



Wednesday, July 15, 2020

World Youth Skill Day : विश्व युवा कौशल दिवस (15 July 2020)

विश्व युवा कौशल दिवस-2020

15 जुलाई (15 July) को विश्व युवा कौशल दिवस 2020 (World Youth Skill Day 2020) को पूरी दुनिया में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन को हर साल युवाओं को स्किल डेवलप करने और उसके फायदे के बारे में जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार के साथ आत्मनिर्भर बनाना है। विश्व युवा कौशल दिवस 2020 (World Youth Skill Day 2020) पर आपको इसको मनाने वजह और शुरुआत कब हुई के बारे में बता रहे हैं।

विश्व युवा कौशल दिवस कब हुई शुरुआत

विश्व युवा कौशल दिवस कब हुई शुरुआत किसी भी देश या संस्कृति को उन्नत बनाने के लिए उसमें युवाओं की भागीदारी बहुत ज्यादा महत्व रखती है। अगर वो युवा दूसरों पर निर्भर रहेंगे, तो ऐसे में किसी भी देश का तरक्की करना मुमकिन नहीं है। 15 जुलाई 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने देश की तरक्की में युवाओं के योगदान और उसके महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए पहली बार पहली बार विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skill Day) मनाने की घोषणा की। तब से हर साल वर्ल्ड यूथ स्किल डे (World Youth Skill Day) मनाया जाता है।

भारत सरकार की पहल

भारत सरकार की पहल इस समय दुनिया में भारत, सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश बन गया है। ऐसे में विश्व युवा कौशल दिवस का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा भारत सरकार ने भी हाल ही में युवा कौशल विकास नामक योजना की शुरुआत गई है। जिसमें युवाओं को अलग-अलग तरीके की स्किल्स को डेवलप करने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा उन्हें स्वरोजगार के अवसर देने के अवसर दिए जाते है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी। ... विश्व युवा कौशल दिवस ( World Youth Skills Day) के मौके पर आज (बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो संबोधन देंगे। इसके अलावा बुधवार को स्किल इंडिया मिशन की स्थापना के पांच साल भी पूरे हो रहे हैं। 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि कोरोना काल ने वर्क कल्चर और नेचर ऑफ जॉब बदलकर रख दिया है और युवा इसके मुताबिक खुद को तेजी से ढाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के युवाओं की सबसे बड़ी ताकत स्किल ही है। उनमें इसे हासिल करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में बिजनेस और व्यापार तेजी से बदल रहा है। विभिन्न सेक्टरों में लाखों स्किल्ड लोगों की जरूरत है। देश के युवाओं को इसके लिए तैयार करने की जरूरत है और स्किल इंडिया मिशन की यही कोशिश है। मोदी ने विश्व युवा कौशल दिवस और स्किल इंडिया मिशन की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधन अपने संबोधन में यह बात कही।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि तेजी से बदल रही इस दुनिया में स्किल, रिस्किल और अपस्किल ही प्रासंगिक रहने का मंत्र है। इस मंत्र को जानना, समझना और इसका पालन करना अहम है। स्किल की ताकत इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है। इंसान में हर उम्र में कुछ सीखने की ललक होनी चाहिए। सफल व्यक्ति की निशानी यही है कि वह अपने स्किल को माजने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। बल्कि हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहता है। अगर आपमें नया सीखने की ललक नहीं है तो जीवन ठहर जाता है। ऐसा व्यक्ति ने केवल अपने लिए बोझ बन जाता है बल्कि स्वजनों के लिए भी बोझ बन जाता है।

धन्यवाद 





Saturday, July 11, 2020

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 2020

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 2020

दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागररूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि विश्व के हर एक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या की ओर ध्यान दे और जनसंख्या को रोकने में अपनी भूमिका निभाए। बढ़ती जनसंख्या विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है। खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और मातृत्व स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी जाती है।

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा हुई थी। उस समय विश्व की जनसंख्या लगभग 500 करोड़ थी। तब से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है और साथ ही लोगों को जनसंख्या पर नियंत्रण रखने के लिए जागरूक किया जाता है।

इस दिवस को पहली बार 11 जुलाई 1990 को 90 से अधिक देशों में चिह्नित किया गया था। तब से कई देश के कार्यालयों, अन्य संगठनों और संस्थानों ने सरकारों और नागरिक समाज के साथ साझेदारी में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया। विश्व जनसंख्या दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें जनसंख्या वृद्धि की वजह से होने वाले खतरों के प्रति लोगों को आगाह किया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न समाजिक कार्यक्रमों व सभाओं का संचालन, प्रतियोगिताओं का आयोजन, रोड शो, नुक्कड़ नाटक अन्य कई तरीके शामिल हैं। वर्तमान में चीन और भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं।  

इस बार का थीम

इस वर्ष का विषय विशेष रूप से कोरोना महामारी के समय में दुनियाभर में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा पर आधारित है। काम पर जाने वाली महिलाएं अक्सर असुरक्षित माहौल में काम करती हैं। श्रम बाजार में भी प्राय: महिलाओं की सुरक्षा के उपायों को खास तवज्जो नहीं दी जाती। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी महिलाएं इसके आर्थिक प्रभावों से बहुत प्रभावित हुई हैं। दुनियाभर में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं अपने श्रम के माध्यम से अनौपचारिक रूप से अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं, ऐसे में उन पर पड़े आर्थिक प्रभाव की वजह से गरीबी के और बढ़ने का अधिक खतरा है।

वर्तमान में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया है, जिसके वर्ष 2050 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। दुनियाभर में बुजुर्गों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 1950 में बुजुर्गों से कहीं ज्यादा संख्या में युवा थे।

पांच सालों में 800 करोड़ हो जाएगी दुनिया की आबादी, भारत की स्थिति भी चिंताजनक हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को बढ़ती जनसंख्या के प्रति सचेत करने का है।

Quiz No : 6 Health and Food


Friday, July 3, 2020

अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस 3 जुलाई 2020

अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस 3 जुलाई 2020


आज अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस है। जागरूकता फैलाने के लिए ये दिवस तो घोषित कर दिया गया लेकिन आज बढ़ते प्रदुषण और आने वाली पीढ़ी के लिए लगातार बढ़ते खतरे को लेकर कितना सजग हुए हैं?  औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है और दुर्भाग्यवश एक प्लास्टिक को गलने में  कम से कम 1000 साल लगते हैं, साथ ही, दुनिया के महासागरों और पृथ्वी को प्रदूषित करने में सिर्फ चंद मिनट लगते हैं। अधिकांश लोग इस तथ्य से अनजान हैं कि हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है। 

बड़े-बड़े बाजारों से लेकर सब्जी मंडी में आज भी प्लास्टिक में खुलेआम सामान बेचा जा रहा है। आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदुषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह है जहां की जनसंख्या 260 मिलियन है। यह देश चीन के बाद सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला दुनिया का दूसरा देश है। जनवरी में जरनल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में ये बात कही गई है। यहां हर साल 3.2 मिलियन टन प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न होता है। जिसका निपटारा नहीं किया जाता। अध्ययन के मुताबिक इसमें से 1.29 मिलियन टन कचरा समुद्र में पहुंचता है।

1950 से 1970 तक प्लास्टिक का काफी कम उत्पादन किया जाता था इसलिए प्लास्टिक प्रदुषण का नियंत्रण करना आसान था। 1990 तक दो दशकों में प्लास्टिक के उत्पादन में तीन गुना बढ़ोतरी हुई। पिछले 40 वर्षों के मुकाबले वर्ष 2000 के दौरान प्लास्टिक का उत्पादन काफी ज्यादा हो गया। फलस्वरूप आज 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन रोजाना होता है जो करीब पूरी आबादी के वजन के बराबर है।
 
प्लास्टिक के कम इस्तेमाल के लिए सरकार प्रयास कर रही है। यहां तक कि दुकानदारों से भी कहा जा रहा है कि लोगों को प्लाटिक के थौलों में सामान न दें और देशभर के स्कूलों में बच्चों को बताया जा रहा है कि इससे क्या समस्याएं हो सकती हैं। सरकार की ओर से सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वह 2025 तक प्लास्टिक के 70 फीसदी कम इस्तेमाल करने संबंधी अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सके। यह बड़ा उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब लोग ये समझें कि प्लास्टिक हमारा दुश्मन है। 

बीते दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईवीआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा एक बैल के लाइव आपरेशन को अपनी आँखों से देखा। ऑपरेशन के दौरान बैल के पेट से पूरे 50 किलो प्लास्टिक निकली देख प्रधानमंत्री खुद हैरान रह गए। इसके बाद उन्होंने देश के हर नागरिक से पॉलिथीन से दूर रहने की अपील की।

दरअसल जब-जब प्लास्टिक के खतरनाक पहलुओं के बारे में सोचा जाता है, तो यकायक देश की उन गायों की याद जरूर आ जाती है जो पेट में प्लास्टिक जमा हो जाने के कारण अक्सर अनचाहे मौत के मुँह में चली जाती हैं। असलियत में यह सड़क पर घूमने वाले आवारा जानवरों भले वह चाहे बैल हों, सुअर हों, सांड हों, गधे हों या फिर कोई अन्य जानवर, उनके लिये तो यह प्लास्टिक काल बन चुका है। यह समस्या अकेले हमारे देश की ही नहीं, समूचे विश्व की है।

यह समूची दुनिया के लिये गम्भीर चुनौती है। सच तो यह है कि प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिये गम्भीर खतरा है। वैज्ञानिक तो बरसों से इसके दुष्परिणामों के बारे में चेता रहे हैं। अपने शोधों, अध्ययनों के माध्यम से उन्होंने समय-समय पर इससे होने वाले खतरों को साबित भी किया है और जनता को उससे आगाह भी किया है।

पर्यावरण  बचाये देश बचाये ! 
 

National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...