Thursday, December 23, 2021

किसान दिवस 23 दिसंबर 2021

किसान दिवस


भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जहां कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा खेती-किसानी के काम में मशगूल रहता है। किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करते हैं तभी वह हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को किसान दिवस के तौर पर मनाया जाता है।



भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों को आज का दिन समर्पित है। आज ही भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन भी है। जो किसानों के हितैषी थे और उनके सम्मान में ही आज के दिन को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें किसानों के मसीहा के तौर पर भी जाना जाता है।

चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवे प्रधानमंत्री थे। हालांकि उनका कार्यकाल ज्यादा दिनों का नहीं था। वह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसानों की दशा सुधारने के लिए कई नीतियां बनाईं।

किसानों के प्रति उनका प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे। उनकी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी। लेखक के तौर पर उन्होंने एबॉलिशन ऑफ जमींदारी, इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्ज सॉल्यूशंस और लीजेंड प्रोपराइटरशिप जैसी किताबें लिखी हैं।

किसानों का महत्त्व

किसान हर देश की प्रगति में विशेष सहायक होते हैं। एक किसान ही है जिसके बल पर देश अपने खाद्यान्नों की खुशहाली को समृद्ध कर सकता है। देश में राष्ट्रपिता गांधी जी ने भी किसानों को ही देश का सरताज माना था। लेकिन देश की आज़ादी के बाद ऐसे नेता कम ही देखने में आए जिन्होंने किसानों के विकास के लिए निष्पक्ष रूप में काम किया। ऐसे नेताओं में सबसे अग्रणी थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए याद किया जाता है। चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व ग़रीबों को ऊपर उठाने की थी। उन्होंने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश व प्रदेश का विकास नहीं हो सकता। चौधरी चरण सिंह ने किसानों की खुशहाली के लिए खेती पर बल दिया था। किसानों को उपज का उचित दाम मिल सके इसके लिए भी वह गंभीर थे। उनका कहना था कि भारत का संपूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मज़दूर, ग़रीब सभी खुशहाल होंगे।

जय जवान, जय किसान

किसान की उन्नति है, देश की प्रगति

किसान है अन्नदाता, यही है देश के भाग्यविधाता

देश का विकास करेगा, किसान जब सम्पूर्ण बनेगा

आओ हम शुरुआत करे, किसानो का आभार करे

Wednesday, December 22, 2021

National Mathematics Day 2021 (22 Dec 21)

National Mathematics Day

National Mathematics Day 2021: India celebrates National Mathematics Day on December 22 every year. The day marks the birth anniversary of famous mathematician Srinivasa Ramanujan. In 2012, then Prime Minister Manmohan Singh Declared the date as National Mathematics Day to honor the great man.




Here is some information about Ramanujan’s life and work that students can use in their Mathematics day speech and essay:

Srinivasa Ramanujan was born on December 22, 1887 at Erode, Tamil Nadu in a Tamil Brahmin Iyengar family. Ramanujan studied at the Government College in Kumbakonam in 1903. In college, he failed exams due to his negligence for non-mathematical subjects.

In 1912, Ramanujan started working as a clerk in the Madras Port Trust. It is in this place his genius was recognized by a colleague who was also a mathematician. The colleague referred Ramanujan to Professor GH Hardy of Trinity College, Cambridge University. Ramanujan joined Trinity College a few months before World War I began. In 1916, he received a Bachelor of Science (BSc) degree. He was elected to the London Mathematical Society in 1917.

Next year, he was elected a Fellow of the prestigious Royal Society for his research on Elliptic Functions and theory of numbers. In the same year, in October, he became the first Indian to be elected a Fellow of Trinity College. Ramanujan returned to India in 1919. A year later, he breathed his last at the age of 32.

The 2015 movie 'The Man Who Knew Infinity' was released based on Srinivasa Ramanujan’s biography. It describes the mathematician's life and journey towards establishing the famed mathematical theories. Ramanujan’s mathematical genius was such that he discovered his own theorems and independently compiled 3900 results.

As mentioned in Ramanujan's biography 'The Man Who Knew Infinity' by Robert Knaigel, GH Hardy once went to visit Ramanujan at a hospital. Mr Hardy told him that he came in a taxi with the number '1729' which seemed to be an ordinary number. Ramanujan said that it was not. 1729, later termed the Hardy-Ramanujan Number, is the smallest number which can be expressed as the sum of two different cubes in two different ways, he said.

Tuesday, December 14, 2021

Vijay Diwas (16 December 2021)

विजय दिवस


1971 का भारत-पाक युद्ध उपमहाद्वीप के इतिहास में एक निर्णायक क्षण था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश बना. इसने सेना, वायु सेना और नौसेना सहित भारतीय सशस्त्र बलों की प्रगति की स्थापना की. युद्ध 3 दिसंबर 1971 को उस समय शुरू हुआ था, जब पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष चल रहा था. यह युद्ध 13 दिन बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हो गया. बांग्लादेश आजाद हुआ. तब से इस दिन को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस (Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है.


16 दिसंबर 1971, आधुनिक हथियारों और सैन्य साजोसामान से लैस पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता के आगे घुटने टेक दिए थे और इसी के साथ ही दुनिया के मानचित्र में बांग्लादेश नाम से एक नए देश का उदय हुआ।भारत की ओर से पाकिस्तान की इतनी भारी-भरकम फौज का आत्मसमर्पण कराना आसान काम नहीं था। पाकिस्तानी फौज के कमांडर जनरल नियाजी को मनाने की तैयारी भारतीय सेना के पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर मेजर जनरल जेएफआर जैकब को दी गई थी।

वह जैकब ही थे जिन्हें मानेकशॉ ने आत्मसमर्पण की व्यवस्था करने ढाका भेजा था। उन्होंने ही जनरल नियाजी से बात कर उन्हें हथियार डालने के लिए राजी किया था। जैकब भारतीय सेना के यहूदी योद्धा थे। जब अप्रैल 1071  में बांग्लादेश से भारत आने वाले शरणार्थियों की तादाद इतनी बढ़ गई कि सीमावर्ती राज्यों ने अपने हाथ खड़े कर दिए तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ को अपने ऑफिस बुलाया। 

बैठक के बाद मानेकशॉ ने अप्रैल के शुरू में पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर मेजर जनरल जेएफआर जैकब को फोन कर कहा कि बांग्लादेश में घुसने की तैयारी करिए क्योंकि सरकार चाहती है कि हम वहां तुरंत हस्तक्षेप करें। जेएफआर जैकब ने मानेकशॉ के बताने की कोशिश की कि हमारे पास पर्वतीय डिवीजन हैं, हमारे पास कोई पुल नहीं हैं और मानसून भी शुरू होने वाला है। हमारे पास बांग्लादेश में घुसने का सैन्य तंत्र और आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं।

जैकब ने कहा कि अगर हम वहां घुसते हैं तो यह पक्का है कि हम वहां फंस जाएंगे। इसलिए उन्होंने जनरल मानेकशॉ से कहा कि इसे 15 नवंबर तक स्थगित किया जाए तब तक शायद जमीन पूरी तरह से सूख जाए। जनरल मानेकशा ने तत्काल इसकी जानकारी इंदिरा गांधी को दी और कहा कि हम पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई को बरसात के बाद करेंगे। जिसके बाद भारतीय सेना को अपनी तैयारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल गया।  जैकब के नेतृत्व में भारतीय सेना ढाका की तरफ आगे बढ़ी। 13 दिसंबर को सेना प्रमुख जनरल मानेकशॉ के आदेश के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के सभी शहरों पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया।

16 दिसंबर को मानेकशॉ ने फोन कर जैकब से कहा कि ढाका जाकर पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तैयारी करवाइए। जिसके बाद जैकब ढाका पहुंचे तो उनकी कार पर मुक्तिवाहिनी के सैनिकों ने हमला बोल दिया क्योंकि वह पाकिस्तानी सेना के अधिकारी की कार में सवार थे लेकिन जब उन्होंने उतरकर अपना परिचय दिया तब वे चले गए।

ढाका में मौजूद पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाजी ने पहले तो आत्मसमर्पण करने से मना कर दिया। भारतीय सेना ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों और आपके परिवारों के साथ से अच्छा सुलूक किया जाए और आपके साथ भी एक सैनिक जैसा ही बर्ताव किया जाएगा। 

जब नियाजी फिर नहीं माने तब जैकब ने कहा, 'मैं आपको जवाब देने के लिए 30 मिनट देता हूं। अगर आप इसको नहीं मानते तो मैं लड़ाई फिर से शुरू करने और ढाका पर बमबारी करने का आदेश दे दूंगा।' यह कहकर वह बाहर चले गए।

जब जैकब अंदर आए तब नियाजी आत्मसमर्पण करने को तैयार हो गए थे। जनरल नियाजी ने खुले मैदान में पिस्टल निकाली और पूर्वी कमान के लेफ्टनेंट जनरल जगजीत सिंह पूर्वी कमान के लेफ्टनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोडा पूर्वी कमान के लेफ्टनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोडा को दे दी। भीड़ नियाजी को मार डालना चाहती थी, लेकिन भारतीय सेना उन्हें जीप पर बैठाया और सुरक्षित जगह पर ले गई।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य…

1.पश्चिम पाकिस्तान के लोगों के साथ दुर्व्यवहार और पूर्वी पाकिस्तान में चुनाव परिणामों को कम करके बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम द्वारा संघर्ष छिड़ गया था. पूर्वी पाकिस्तान द्वारा आधिकारिक तौर पर अलगाव के लिए 26 मार्च 1971 को कदम आगे गया था. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अगले दिन अपने स्वतंत्रता संग्राम के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया.

2. मीडिया ने पाकिस्तानी सेना के हाथों बंगालियों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ व्यापक नरसंहार की सूचना दी थी, जिसने लगभग 10 मिलियन लोगों को पड़ोसी भारत में पलायन करने के लिए मजबूर किया था. भारत ने बंगाली शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएँ खोल दीं.

3. भारत-पाक युद्ध प्रभावी रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत के हवाई क्षेत्रों में पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) द्वारा पूर्वव्यापी हवाई हमलों के बाद शुरू हुआ, जिसमें आगरा अपने ऑपरेशन चंगेज़ खान के हिस्से के रूप में शामिल था. ताजमहल  को दुश्मन के विमान से छुपाने के लिए टहनियों और पत्तियों का उपयोग कर ढका गया था.

4. जवाब में भारतीय वायु सेना ने पश्चिमी मोर्चे में लगभग 4000 सामरिक उड़ानें की और पूर्व में दो हजार के करीब उड़ानें भरीं. जबकि, पाकिस्तान एयरफोर्स दोनों मोर्चों पर लगभग 2800 और 30 सामरिक उड़ानें ही कर सका था. IAF ने युद्ध के अंत तक पाकिस्तान में आगे के हवाई ठिकानों पर छापे मारना जारी रखा.

5. भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान ने 4-5 दिसंबर की रात कोडनाम ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर एक आश्चर्यजनक हमला किया.

6. पाकिस्तान ने भी पश्चिमी मोर्चे पर अपने सैनिक जुटा लिए थे. भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की और कई हजार किलोमीटर पाकिस्तानी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

7. पाकिस्तान ने लगभग 8000 मृतकों और 25,000 अधिकतम घायलों के साथ हताहत का सामना किया, जबकि, भारत ने 3000 सैनिकों को खो दिया और 12,000 घायल हो गए.

8. पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति बाहिनी गुरिल्लाओं ने पूर्व में पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ने के लिए भारतीय बलों के साथ हाथ मिलाया. उन्होंने भारतीय सेना से हथियार और प्रशिक्षण प्राप्त किया.

9. सोवियत संघ ने अपने मुक्ति आंदोलन और युद्ध में भारत के साथ पूर्वी पाकिस्तानियों का पक्ष लिया. दूसरी ओर, रिचर्ड निक्सन की अध्यक्षता में संयुक्त राज्य अमेरिका ने आर्थिक और भौतिक रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया. अमेरिका युद्ध की समाप्ति की दिशा में समर्थन के प्रदर्शन के रूप में बंगाल की खाड़ी में एक विमान को तैनात करने के लिए गया था.

10. युद्ध के अंत में, जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाज़ी के नेतृत्व में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने मित्र देशों की सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें 1972 के शिमला समझौते के हिस्से के रूप में लौटाया गया था.

11. पाकिस्तान अपनी आधी से ज्यादा आबादी छीन चुका था, क्योंकि बांग्लादेश पश्चिम पाकिस्तान की तुलना में अधिक आबादी वाला था. इसकी सेना का लगभग एक तिहाई हिस्सा कब्जा कर लिया गया था. भारत का सैन्य प्रभुत्व बता रहा था, कि इसने जीत के लिए अपनी प्रतिक्रिया में संयम बनाए रखा.


National Energy Conservation Day (14 December 2021)

                  राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस


पूरे भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों द्वारा हर साल 14 दिसम्बर को मनाया जाता है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा निष्पादित (स्थापित) किया गया। ऊर्जा दक्षता ब्यूरों एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के अंतर्गत आता है और ऊर्जा का उपयोग कम करने के लिए नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है।

भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य पेशेवर, योग्य और ऊर्जावान प्रबंधकों के साथ ही लेखा परीक्षकों को नियुक्त करना है जो ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को लागू करने और ऊर्जा, परियोजनाओं, नीति विश्लेषण, वित्त प्रबंधन में विशेषज्ञ हों।


The theme for this year is ‘Azadi ka Amrit Mahotsav: Energy Efficient India” and ‘Azadi ka Amrit Mahotsav: Cleaner Planet’.

ऊर्जा संरक्षण क्या है?

भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा के महत्व के साथ ही साथ बचत, और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना है। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए इसे बचाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की योजना की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इंसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण के क्या उपाय हैं?

  • थर्मल पर्दें, स्मार्ट खिड़कियों के अलावा खिड़कियाँ ऊर्जा का संरक्षण करने में सबसे बड़ा कारक है।
  • ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा को प्राकृतिक रोशनी और कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप या सीएफएल से (15W और अन्य साधनों के द्वारा ऊर्जा खपत का केवल 1/4वां भाग की खपत), फ्लोरोसेंट बल्ब, रैखिक फ्लोरोसेंट, सौर स्मार्ट टॉर्च, स्काई लाइट, खिड़कियों से प्रकाश व्यवस्था और सौर लाइट का प्रयोग करके बचाया जा सकता है।
  • जल संरक्षण भी बेहतर ऊर्जा संरक्षण का नेतृत्व करता है। लोगों के द्वारा हर साल लगभग हजारों गैलन पानी बर्बाद किया जाता है जिसकी विभिन्न संरक्षण के साधनों जैसे: 6 जीपीएम या कम से कम प्रवाह वाले फव्वारों, बहुत कम फ्लश वाले शौचालय, नल जलवाहक, खाद शौचालयों का प्रयोग करके बचत की जा सकती है।
  • पृथक्करण सर्दी के मौसम में थर्मल को कम करने के साथ ही गर्मियों में थर्मल प्राप्त करके भी ऊर्जा के संरक्षण में बहुत अहम भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिये, प्राकृतिक ऊन पृथक्करण, घर पृथक्करण, कपास पृथक्करण, रेशा पृथक्करण, थर्मल पृथक्करण आदि।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल एक विशेष विषय के साथ कुछ लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लोगों के बीच अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये मनाया जाता है।

  • यह लोगों के बीच जीवन के हर क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण के महत्व का संदेश भेजने के लिए मनाया जाता है।
  • ऊर्जा संरक्षण की प्रक्रिया को बढावा देने के लिये पूरे देश में बहुत से कार्यक्रमों जैसे: विचार विमर्श, सम्मेलनों, वाद-विवाद, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं का आयोजन करना।
  • अत्यधिक और फालतू ऊर्जा के उपयोग के स्थान पर कम ऊर्जा के प्रयोग के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना।
  • ऊर्जा की खपत में कमी और कुशलता पूर्वक उपयोग करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना।

ऊर्जा सुरक्षा में भारतीय नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक कुशलतापूर्वक ऊर्जा के उपयोग और भविष्य के लिये ऊर्जा की बचत के बहुत से तरीकों के बारे में जानते हैं। वो सभी नियमों, विनियमों और ऊर्जा दक्षता का समर्थन करने के लिये भारत सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों का पालन करते हैं। भारत के नागरिक 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान ऊर्जा के उपयोग को कम करने के अभियान में प्रत्यक्ष अंशदान का भुगतान कर रहे हैं। देश में सकारात्मक बदलाव लाने और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये बच्चे बहुत बड़ी उम्मीद हैं।


"Earth provides enough to satisfy every man's needs, but not every man's greed." 

by Mahatma Gandhi

Friday, December 10, 2021

Human Right Day 2021 (10 December 21)

                  मानवाधिकार दिवस


हर साल दिसंबर महीने की 10 तारीख को दुनियाभर में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। लोगों का ध्यान मानवाधिकारों की तरफ आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में घोषित किया था।  तब से लेकर आज भी पीछले 70 सालो से यह दिन 10 दिसंबर को मनाया जाता है  इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना है। 1948 में यूएन ने मानव अधिकारों की सर्वभौमिक घोषणा की जो 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं।


The theme of Human Rights Day 2021 

"Equality, Reducing inequalities, advancing human rights."

इस साल मानवाधिकार दिवस का विषय 'असमानताओं को कम करना, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना'' है। यह विषय कोरोना महामारी के मद्देनजर रखा गया है। इस मौके पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने एक वीडियो संदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रयासों, लैंगिक समानता, जनभागीदारी, जलवायु न्याय और टिकाऊ विकास में- मानवाधिकारों को केंद्रीय महत्व देने की आवश्यकता है।

ये है मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य (Purpose of Human Rights Day)

मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य दुनिया का ध्यान मानवों के अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित कराना है. इस दिन विश्वभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना और इसके पालन के प्रति सजग रहने का संदेश दिया जाता है. इस उद्देश्य है संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 10 दिसंबर, 1950 में इस दिन की घोषणा की थी. इतना ही नहीं तब मानव अधिकारों की जो घोषणा की गई थी, वो 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है. मानवाधिकार दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमें एकजुट कोशिश करनी होगी, लैंगिक समानता, जनभागीदारी की जरूरत होगी. इसके साथ ही जलवायु, और लम्बे समय तक चलने वाला टिकाई विकास करना होगा, जिसमें मानवाधिकार का महत्व भी हो.

मानवाधिकार मानदंडों का एक सेट माना जाता है जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों को चित्रित करते हैं। मानवाधिकार मूल रूप से उन अधिकारों के अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के पास इंसान होने के कारण होते हैं। यह कहा जाता है कि ये हर जगह और हर समय लागू होते हैं। ये नगरपालिका से अंतरराष्ट्रीय कानून तक के कानूनी अधिकारों के रूप में संरक्षित हैं। मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं।

National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...