Thursday, October 29, 2020

राष्ट्रीय एकता दिवस / National Unity Day (31 अक्टूबर 2020)

 राष्ट्रीय एकता दिवस

राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी धर्मों को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।


एकता का महत्त्व 
एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।

एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका 

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘रियासतों को तीन विषयों – सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।’ धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।

‘रन फॉर यूनिटी’ 

2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें। इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दिल्ली के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है। ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है।

राष्ट्रीय एकता में बल है अपार, चलो हाथ मिलाये बाटे प्यार।

सच्चे मायनों में तभी होगी देशभक्ति, जब एक होकर हम दिखायें एकता की शक्ति ।

हमारी एकता हमारी पहचान है, तभी तो हमारा देश महान है । 

Monday, October 26, 2020

Quiz No 26 : Quiz on Vigilance Awareness Week 2020

 

सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2020 (27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2020)

सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2020 (27 अक्टूबर 20 से 02 नवम्बर 20)

The theme of Vigilance Awareness Week 2020 is

 “सतर्क भारत, समृद्ध भारत" - (Satark Bharat, Samriddh Bharat) 

सतर्कता जागरूकता सप्ताह (Vigilance Awareness Week) 27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2020 तक मनाया जा रहा हैं सतर्क और जागरूक रहना ये किसी भी इंसान या समाज के विकास के लिए बहुत ही सहायक होता है। जो समाज या राष्ट्र जागरूक और सतर्क नहीं होता उसे बड़ी ही तकलीफें उठानी पड़ती हैं जिसका एक उदाहरण आप अपने देश के रूप में ले सकते हैं जो असतार्कता में सैकड़ों सालों तक गुलाम रहा और आज़ादी के लिए एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी ।


केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) के द्वारा हर साल अक्टूबर के अंतिम सप्ताह को सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को मद्देनजर रखकर “सतर्कता जागरूकता सप्ताह” के रूप में घोषित किया गया है।सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को हुआ था और भारत को एकत्रित और जागरूक करने में सरदार पटेल का बहुत बड़ा योगदान था।  पिछले साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह 28 अक्टूबर से 02 नवम्बर तक तक मनाया गया था जिसमें भ्रष्टाचार सेे मुक्ति के प्रयासों पर जोर दिया गया था। 

भारत में अशिक्षा और अस्वास्थ्य यह दो मुख्य चिंता के कारण रहें हैं और इन दोनों की कमी के कारण ही लापरवाही और अजागरुकता का जन्म होता है और सतर्कता जागरूकता सप्ताह जैसे कार्यक्रमों से समाज के ऐसे भागों में पहुचकर जागरूकता फैलाई जाती है जो उनके व्यक्तिगत अभावों के कारण समाज से कट चुके है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग 

केंद्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार से लड़ने और लोक प्रशासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के अंतर्गत देश मे आया गाय। यह केंद्र सरकार के तहत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी और केंद्र सरकार और संगठनों में विभिन्न प्राधिकरणों को सलाह देने के लिए शुरू किया गया है।

साथ ही इससे शासन में प्रणालीगत सुधार लाने के लिए उनके सतर्कता कार्य की योजना, क्रियान्वयन और समीक्षा की जा रही है। इसके अतिरिक्त, आयोग अपनी पहुंच गतिविधियों के साथ पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्राप्त करने की नीति के प्रति आम आदमी, विशेषकर युवाओं में जागरूकता पैदा करने का भी प्रयास करता है।

सतर्कता जागरूकता सप्ताह का इतिहास 

सतर्कता जागरूकता सप्ताह के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुवात सन 1999 में ही हो गई थी लेकिन 2006 में इसे मिशन मोड पर चलाने का प्रयास शुरु हुआ। आयोग का मानना ​​है कि इस विषय से समाज के सभी वर्गों खासकर युवाओं का ध्यान एक ईमानदार, गैर-भेदभावपूर्ण और भ्रष्टाचार मुक्त समाज के निर्माण करने के तरफ आकर्षित होगा और समाज को वैचारिक रूप से स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी।

आयोग ने सभी केंद्र सरकार के मंत्रालयों / संगठनों से अनुरोध किया है कि वे अपने संगठन के भीतर इस विषय से संबंधित गतिविधियों का शुरू करें। पिछले साल आयोग ने कुछ मुख्य दिशा-धाराएँ निर्मित की थी जैसे संगठन के भीतर आयोजित की जाने वाली सतर्कता और जागरूकता के कामों में सभी कर्मचारियों द्वारा वफ़ादारी की शपथ लेना, जागरूकता से जुडी बातें पैम्पलेट्स के माध्यम से फैलाना और अन्य भ्रष्टाचार विरोधी उपाय बताना इत्यादि शामिल था।

सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समय ली जानी वाली प्रतिज्ञाएँ 

सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समय व्यक्तिगत और संस्था के रूप में कुछ प्रतिज्ञाएँ ली जाती हैं जो निचे दी गई हैं। आज भ्रष्टाचार समाज और देश के विकास में एक बड़ी बाधा रही है और आज इस बुराई को अपने समाज से दूर करने के प्रयास हमें मिल जुल कर करने की जरुरत है,  कि प्रत्येक नागरिक को सतर्क और प्रतिबद्ध होना चाहिए।

  • मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में खुद को शामिल करता हूँ।
  • जीवन के सभी क्षेत्रों में कानून का पालन करना यह मेरा परम कर्तव्य है
  • मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की न मै रिश्वत लूँगा और न ही किसी और को दूंगा।
  • सभी कार्यों में इमानदार और पारदर्शी रहूँगा।
  • ऐसे कार्य करूँगा जिससे समाज और देश का कल्याण हो।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ मैं भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसीयों को सूचित करूँगा।
  • सतर्कता और जागरूकता सबसे पहले हमसे शुरू होती है।

Sunday, October 25, 2020

Wednesday, October 14, 2020

World Students Day (15 October 2020)

विश्व विद्यार्थी दिवस 2020


सन् 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर के दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति अवुल पाकिर जैनअब्दुलीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम) के जन्म दिवस के दिन मनाने की घोषणा की, यह फैसला उनके द्वारा विज्ञान और तकनीक में गये योगदान को देखते हुए लिया गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक तथा राजनेता होने के साथ ही एक उम्दा शिक्षक भी थे। यहीं कारण था कि अपने भाषणों द्वारा उन्होंने लाखो छात्रों प्रभावित किया।


डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे, तमिलानाडु के एक छोटे से गाँव से होते हुए भी वह अपने मेहनत और लगन के बलबूते पर देश के सबसे उंचे संवैधानिक पद पर पहुंचे। उनके इन्हीं उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई है।

विश्व विद्यार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है?

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कई तरह के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा अपने बचपन में वह अपने परिवार और खुद के भरण-पोषण के लिए, वह दरवाजे-दरवाजे जाकर अखबार भी बेचा करते थे।

लेकिन अपनी पढ़ाई के प्रति अपनी दृढ़-इच्छा शक्ति के कारण वह अपने जीवन में हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और अपने जीवन में हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक को प्राप्त किया। यह उनके जीवन की ऐसी कहानी है, जो उनके साथ-साथ भारत के आने वाले कई पीढ़ीयों को प्रेरित करने का कार्य करेगी।

अपने वैज्ञानिक और राजनैकित जीवन के दौरान भी डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना और छात्रों को संबोधित करना ही उनका सबसे प्रिय कार्य था। फिर चाहे वह किसी गांव के छात्र हों या फिर किसी बड़े कालेज या विश्वविद्यालय के छात्र हों। शिक्षण के प्रति उनका कुछ ऐसा रुझान था कि एक समय उन्होंने अपने जीवन में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के जैसा कैबिनेट श्रेणी का पद छोड़कर एक शिक्षक का पद चुन लिया।

अपने जीवन में डॉ कलाम ने छात्रों के कई सारे वैज्ञानिक, अकादमिक और आध्यात्मिक तरक्की पर ध्यान दिया। इस दौरान उन्होंने कई सारे भाषण दिये और किताबें लिखी तथा विश्व भर के छात्रों के तरक्की पर ध्यान दिया। उनके द्वारा वैज्ञानिक क्षेत्र और छात्रों के तरक्की के लिए किये गये इन्हीं अतुलनीय कार्यों देखते हुए उनके जन्म दिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया।

विश्व विद्यार्थी दिवस का महत्व

विश्व विद्यार्थी दिवस को मनाना हमारे लिए काफी महत्व की बात है क्योंकि इसके द्वारा हमें कई महत्वपूर्ण सीखें मिलती है। एक विद्यार्थी के लिए यह दिन और भी ज्यादे महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जीवन हमें इस बात की सीख देता है कि, जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों ना हो लेकिन शिक्षा द्वारा हम हर बाधाओं को पार करते हुए बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

निष्कर्ष

इसमें कोई संदेह नही है कि अब्दुल पाकिर जैनुलाब्दीन कलाम सच्चे मायनों में एक महानायक थे। जिस तरह की कठिनाइयां उन्होंने अपने बचपन में झेली, किसी और व्यक्ति को वह काफी आसानी से अपने रास्ते से डिगा सकती थी। पर डॉ अब्दुल कलाम इन सब कठिनाइयों का सामना शिक्षा के अस्त्र से किया और भारत के राष्ट्रपति जैसे सम्मानित पद को प्राप्त किया।

डॉ अब्दुल कलाम के विषय में की गई कोई चर्चा तब तक नही पूरी होगी जबतक उनके धर्म निरपेक्ष चरित्र की बात ना की जाये, जिसका उन्होंने सदैव अपने जीवन में पालन किया। वह एक साधरण, धर्म निरपेक्ष, शांत व्यक्ति थे और उनका व्यवहार बिल्कुल सामान्य व्यक्तियों के तरह ही था। इसके साथ ही देश के विज्ञान तथा रक्षा क्षेत्र में उनका दिया गया योगदान हम सबके लिए सदैव ही एक प्रेरक विषय रहेगा।

हमारी सबसे बढ़ी कमज़ोरी है की हम छोड़ देते हैं सफलता का एक रास्ता है की एक बार और प्रयास किया जाये |  Thomas  Edison थॉमस एडिसन

हमेशा  ध्यान  में  रखिये  की  आपका  सफल  होने  का  संकल्प  किसी  भी  और  संकल्प  से    महत्त्वपूर्ण है.  Abraham Lincoln अब्राहमलिंकन

तुम्हे सपने देखने होंगे, तभी तुम्हारे सपनें सच होंगे |

Tuesday, October 13, 2020

Saturday, October 10, 2020

World Mental Health Day (10 October 2020)

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020

हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मनाया जाता है. यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी. 



विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम एक मनोरोग चिकित्सक थे। उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति है- "बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है।" मानसिक तौर पर हमारी थकान हमें तनाव और चिंता की ओर धकेलती है और यही जब ज्यादा बढ़ जाए तो डिप्रेशन यानी अवसाद का रूप ले लेता है। शारीरिक परेशानियों की ओर तो हमारा ध्यान जाता है, लेकिन मानसिक परेशानियों को लेकर हमलोग बहुत जागरूक नहीं होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से ही हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

शारीरिक बीमारी के बारे में तो हम सारी चीजें जानते हैं और साथ ही उसका इलाज भी मिल जाता है लेकिन आज की इस जिंदगी में मानसिक बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आती है. दरअसल लोगों को मानसिक स्वास्थ्यके प्रति संवेदनशील और जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था. इसके बाद साल 1994 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव के बाद विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की गई. सन् 1994 में पहली बार “दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।” नामक थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था. ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ देशों में मानसिक रोगों से बचने और उनके नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह भी मनाया जाता है

क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

आज दुनिया में कई सारे लोग डिप्रेशन या फिर किसी ना किसी और मानसिक बीमारी के शिकार हैं. ये बीमारी आज के दौर में इतनी ज्यादा बढ़ गई है की हर दूसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त है. लोगों को मानिसक रोग की चपेट में आने से कई बाहर आत्महत्या का ख्याल भी आता है. ऐसे में विश्व को मेंटल हेल्थ के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से ये दिन मनााया जाता है.

स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम

हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के लिए हर साल अलग-अलग थीम रखी जाती है, इस साल “सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य: अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच” रखी गई है. इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

सकारात्मक सोच है, तो मानसिक बीमारी दूर है
और जो शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ हैवो सुखी जरूर है

Thursday, October 8, 2020

Quiz No 23 : Quiz on Indian Air Force Day

 

Indian Air Force Day 2020

भारतीय वायुसेना दिवस 2020


Indian Air Force Day 2020 : देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जाता है। आज भारतीय वायुसेना अपना 88 वां स्थापना दिवस मना रही है। वायुसेना दिवस के मौके पर शानदार परेड और भव्य एयर शो का आयोजन होता है। हर साल की तरह इस बार भी हिंडन बेस पर वायुसेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करेगी। वायुसेना के एक से एक विमान और जवान हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाते दिखेंगे। यहां जानें भारतीय वायुसेना दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में - 


8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी इसीलिए हर साल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस मनाया जाता है। देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।


आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के तहत ही काम करती थी। एयर फोर्स को आर्मी से 'आजाद' करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।  


गीता से लिया गया है आदर्श वाक्य 

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- 'नभ: स्पृशं दीप्तम'। यह गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है।


वायुसेना ध्वज


वायुसेना ध्वज, वायु सेना निशान से अलग, नीले रंग का है जिसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों अर्थात्‌ केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक वृत्त (गोलाकार आकृति) है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया। 


Present Air Chief Marshal of India is - Rakesh Kumar Singh Bhadauria

Thursday, October 1, 2020

मोहनदास करमचन्द गांधी (महात्मा गांधी)

मोहनदास करमचन्द गांधी


'दे दी हमें आजादी, बिना खड्‍ग बिना ढाल।
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।'


प्रस्तावना- हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया। ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। महात्मा गांधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था।

ब‍चपन एवं शिक्षा- इस महापुरुष का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। आपका पूरा नाम मोहनदास था। आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी। मोहनदास के व्यक्तित्व पर माता के चरित्र की छाप स्पष्ट दिखाई दी। प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण करने के पश्चात राजकोट से मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर आप वकालत करने इंग्लैंड चले गए। वकालत करके लौटने पर वकालत प्रारंभ की। एक मुकदमे के दौरान आपको दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां भारतीयों की दुर्दशा देख बड़े दुखी हुए। उनमें राष्ट्रीय भावना जागी और वे भारतवासियों की सेवा में जुट गए। अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए। असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया।

सिद्धांत- गांधीजी ने अंग्रेजों से विरोध को प्रकट करने के लिए सत्याग्रह को अपना प्रमुख अस्त्र बनाया। सत्य, अहिंसारूपी अस्त्रों के सामने अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए। असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया। गांधीजी के उच्चादर्शों एवं सत्य के सम्मुख उन्हें झुकना पड़ा और वे हमारा देश छोड़ चले गए। इस प्रकार हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ।

अन्य कार्य- गांधीजी ने अछूतों का उद्धार किया। उन्हें 'हरिजन' नाम दिया। भाषा, जाति और धर्म संबंधी भेदों को समाप्त करने का आजीवन प्रयत्न किया। स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर दिया। सूत कातने, सब धर्मों को आदर से देखने और सत्य, अहिंसा को जीवन में अपनाने की शिक्षा दी। गांधीजी ने विश्व को शांति का संदेश दिया।

उपसंहार- गांधीजी ने प्रेम और भाईचारे की भावना से भारत की जनता के हृदय पर राज किया। वे देश में रामराज्य स्थापित करना चाहते थे। भारत की आजादी के पश्चात देश दो टुकड़ों में विभाजित हुआ- भारत-पाकिस्तान। इस बात का उन्हें बहुत दुख पहुंचा। हमारा दुर्भाग्य था कि इस नेता का मार्गदर्शन हम स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अधिक समय तक नहीं पा सके और नाथूराम गोड़से नामक व्यक्ति की गोली से 30 जनवरी 1948 को गांधीजी की जीवनलीला समाप्त हो गई।

एक भविष्यदृष्टा, युगदृष्टा हमारे बीच से चला गया। आज गांधीजी हमारे बीच नहीं हैं, किंतु उनके आदर्श सिद्धांत हमें सदैव याद रहेंगे। उनका नाम अमर रहेगा।

2 अक्टूबर को मिलकर हम सब गाँधी जंयती मनायेंगे अपने अच्छे कर्मों से उनके सपनों का भारत बनायेंगे।

महात्मा गाँधी कोई व्यक्ति नही अपने आप में एक क्रांति है, यह बात तो सारी दुनिया ही जानती है।

ऐनक, धोती और लाठी है जिसकी पहचान, वो है हमारे बापू महात्मा गाँधी महान।

स्वच्छता का कोई विकल्प नही, इस 2 अक्टूबर को दूसरा कोई संकल्प नही।

अहिंसा के पुजारी और सत्यवादी, ऐसे थे महात्मा गाँधी ।

 

Quiz No : 22 - Quiz on Life of Mahatma Gandhi

 

National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...