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Friday, October 30, 2020
Thursday, October 29, 2020
राष्ट्रीय एकता दिवस / National Unity Day (31 अक्टूबर 2020)
राष्ट्रीय एकता दिवस
राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी धर्मों को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।
एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका
राष्ट्रीय एकता में बल है अपार, चलो हाथ मिलाये बाटे प्यार।
सच्चे मायनों में तभी होगी देशभक्ति, जब एक होकर हम दिखायें एकता की शक्ति ।
हमारी एकता हमारी पहचान है, तभी तो हमारा देश महान है ।
Monday, October 26, 2020
सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2020 (27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2020)
सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2020 (27 अक्टूबर 20 से 02 नवम्बर 20)
The theme of Vigilance Awareness Week 2020 is
“सतर्क भारत, समृद्ध भारत" - (Satark Bharat, Samriddh Bharat)
सतर्कता जागरूकता सप्ताह (Vigilance Awareness Week) 27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2020 तक मनाया जा रहा हैं सतर्क और जागरूक रहना ये किसी भी इंसान या समाज के विकास के लिए बहुत ही सहायक होता है। जो समाज या राष्ट्र जागरूक और सतर्क नहीं होता उसे बड़ी ही तकलीफें उठानी पड़ती हैं जिसका एक उदाहरण आप अपने देश के रूप में ले सकते हैं जो असतार्कता में सैकड़ों सालों तक गुलाम रहा और आज़ादी के लिए एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी ।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) के द्वारा हर साल अक्टूबर के अंतिम सप्ताह को सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को मद्देनजर रखकर “सतर्कता जागरूकता सप्ताह” के रूप में घोषित किया गया है।सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को हुआ था और भारत को एकत्रित और जागरूक करने में सरदार पटेल का बहुत बड़ा योगदान था। पिछले साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह 28 अक्टूबर से 02 नवम्बर तक तक मनाया गया था जिसमें भ्रष्टाचार सेे मुक्ति के प्रयासों पर जोर दिया गया था।
भारत में अशिक्षा और अस्वास्थ्य यह दो मुख्य चिंता के कारण रहें हैं और इन दोनों की कमी के कारण ही लापरवाही और अजागरुकता का जन्म होता है और सतर्कता जागरूकता सप्ताह जैसे कार्यक्रमों से समाज के ऐसे भागों में पहुचकर जागरूकता फैलाई जाती है जो उनके व्यक्तिगत अभावों के कारण समाज से कट चुके है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग
केंद्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार से लड़ने और लोक प्रशासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के अंतर्गत देश मे आया गाय। यह केंद्र सरकार के तहत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी और केंद्र सरकार और संगठनों में विभिन्न प्राधिकरणों को सलाह देने के लिए शुरू किया गया है।
साथ ही इससे शासन में प्रणालीगत सुधार लाने के लिए उनके सतर्कता कार्य की योजना, क्रियान्वयन और समीक्षा की जा रही है। इसके अतिरिक्त, आयोग अपनी पहुंच गतिविधियों के साथ पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्राप्त करने की नीति के प्रति आम आदमी, विशेषकर युवाओं में जागरूकता पैदा करने का भी प्रयास करता है।
सतर्कता जागरूकता सप्ताह का इतिहास
सतर्कता जागरूकता सप्ताह के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुवात सन 1999 में ही हो गई थी लेकिन 2006 में इसे मिशन मोड पर चलाने का प्रयास शुरु हुआ। आयोग का मानना है कि इस विषय से समाज के सभी वर्गों खासकर युवाओं का ध्यान एक ईमानदार, गैर-भेदभावपूर्ण और भ्रष्टाचार मुक्त समाज के निर्माण करने के तरफ आकर्षित होगा और समाज को वैचारिक रूप से स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी।
आयोग ने सभी केंद्र सरकार के मंत्रालयों / संगठनों से अनुरोध किया है कि वे अपने संगठन के भीतर इस विषय से संबंधित गतिविधियों का शुरू करें। पिछले साल आयोग ने कुछ मुख्य दिशा-धाराएँ निर्मित की थी जैसे संगठन के भीतर आयोजित की जाने वाली सतर्कता और जागरूकता के कामों में सभी कर्मचारियों द्वारा वफ़ादारी की शपथ लेना, जागरूकता से जुडी बातें पैम्पलेट्स के माध्यम से फैलाना और अन्य भ्रष्टाचार विरोधी उपाय बताना इत्यादि शामिल था।
सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समय ली जानी वाली प्रतिज्ञाएँ
सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समय व्यक्तिगत और संस्था के रूप में कुछ प्रतिज्ञाएँ ली जाती हैं जो निचे दी गई हैं। आज भ्रष्टाचार समाज और देश के विकास में एक बड़ी बाधा रही है और आज इस बुराई को अपने समाज से दूर करने के प्रयास हमें मिल जुल कर करने की जरुरत है, कि प्रत्येक नागरिक को सतर्क और प्रतिबद्ध होना चाहिए।
- मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में खुद को शामिल करता हूँ।
- जीवन के सभी क्षेत्रों में कानून का पालन करना यह मेरा परम कर्तव्य है
- मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की न मै रिश्वत लूँगा और न ही किसी और को दूंगा।
- सभी कार्यों में इमानदार और पारदर्शी रहूँगा।
- ऐसे कार्य करूँगा जिससे समाज और देश का कल्याण हो।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ मैं भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसीयों को सूचित करूँगा।
- सतर्कता और जागरूकता सबसे पहले हमसे शुरू होती है।
Sunday, October 25, 2020
National Talent Search Examination 2020 (Stage-I)
Last date of form filling: 02 November 2020
Date of Examination: 13 December 2020 (Sunday)
The form is available at this link
Friday, October 23, 2020
Monday, October 19, 2020
Thursday, October 15, 2020
Wednesday, October 14, 2020
World Students Day (15 October 2020)
विश्व विद्यार्थी दिवस 2020
सन् 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर के दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति अवुल पाकिर जैनअब्दुलीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम) के जन्म दिवस के दिन मनाने की घोषणा की, यह फैसला उनके द्वारा विज्ञान और तकनीक में गये योगदान को देखते हुए लिया गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक तथा राजनेता होने के साथ ही एक उम्दा शिक्षक भी थे। यहीं कारण था कि अपने भाषणों द्वारा उन्होंने लाखो छात्रों प्रभावित किया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे, तमिलानाडु के एक छोटे से गाँव से होते हुए भी वह अपने मेहनत और लगन के बलबूते पर देश के सबसे उंचे संवैधानिक पद पर पहुंचे। उनके इन्हीं उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई है।
विश्व विद्यार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है?
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कई तरह के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा अपने बचपन में वह अपने परिवार और खुद के भरण-पोषण के लिए, वह दरवाजे-दरवाजे जाकर अखबार भी बेचा करते थे।
लेकिन अपनी पढ़ाई के प्रति अपनी दृढ़-इच्छा शक्ति के कारण वह अपने जीवन में हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और अपने जीवन में हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक को प्राप्त किया। यह उनके जीवन की ऐसी कहानी है, जो उनके साथ-साथ भारत के आने वाले कई पीढ़ीयों को प्रेरित करने का कार्य करेगी।
अपने वैज्ञानिक और राजनैकित जीवन के दौरान भी डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना और छात्रों को संबोधित करना ही उनका सबसे प्रिय कार्य था। फिर चाहे वह किसी गांव के छात्र हों या फिर किसी बड़े कालेज या विश्वविद्यालय के छात्र हों। शिक्षण के प्रति उनका कुछ ऐसा रुझान था कि एक समय उन्होंने अपने जीवन में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के जैसा कैबिनेट श्रेणी का पद छोड़कर एक शिक्षक का पद चुन लिया।
अपने जीवन में डॉ कलाम ने छात्रों के कई सारे वैज्ञानिक, अकादमिक और आध्यात्मिक तरक्की पर ध्यान दिया। इस दौरान उन्होंने कई सारे भाषण दिये और किताबें लिखी तथा विश्व भर के छात्रों के तरक्की पर ध्यान दिया। उनके द्वारा वैज्ञानिक क्षेत्र और छात्रों के तरक्की के लिए किये गये इन्हीं अतुलनीय कार्यों देखते हुए उनके जन्म दिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया।
विश्व विद्यार्थी दिवस का महत्व
विश्व विद्यार्थी दिवस को मनाना हमारे लिए काफी महत्व की बात है क्योंकि इसके द्वारा हमें कई महत्वपूर्ण सीखें मिलती है। एक विद्यार्थी के लिए यह दिन और भी ज्यादे महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जीवन हमें इस बात की सीख देता है कि, जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों ना हो लेकिन शिक्षा द्वारा हम हर बाधाओं को पार करते हुए बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
इसमें कोई संदेह नही है कि अब्दुल पाकिर जैनुलाब्दीन कलाम सच्चे मायनों में एक महानायक थे। जिस तरह की कठिनाइयां उन्होंने अपने बचपन में झेली, किसी और व्यक्ति को वह काफी आसानी से अपने रास्ते से डिगा सकती थी। पर डॉ अब्दुल कलाम इन सब कठिनाइयों का सामना शिक्षा के अस्त्र से किया और भारत के राष्ट्रपति जैसे सम्मानित पद को प्राप्त किया।
डॉ अब्दुल कलाम के विषय में की गई कोई चर्चा तब तक नही पूरी होगी जबतक उनके धर्म निरपेक्ष चरित्र की बात ना की जाये, जिसका उन्होंने सदैव अपने जीवन में पालन किया। वह एक साधरण, धर्म निरपेक्ष, शांत व्यक्ति थे और उनका व्यवहार बिल्कुल सामान्य व्यक्तियों के तरह ही था। इसके साथ ही देश के विज्ञान तथा रक्षा क्षेत्र में उनका दिया गया योगदान हम सबके लिए सदैव ही एक प्रेरक विषय रहेगा।
हमारी सबसे बढ़ी कमज़ोरी है की हम छोड़ देते हैं सफलता का एक रास्ता है की एक बार और प्रयास किया जाये | Thomas Edison थॉमस एडिसन
हमेशा ध्यान में रखिये की आपका सफल होने का संकल्प किसी भी और संकल्प से महत्त्वपूर्ण है. Abraham Lincoln अब्राहमलिंकन
Tuesday, October 13, 2020
Critical and Creative Thinking of PISA for Class 6 to 10
CRITICAL AND CREATIVE THINKING ASSIGNMENT
OF PISA FOR CLASS 6 TO 10
(To see the book, please click on image)
Saturday, October 10, 2020
World Mental Health Day (10 October 2020)
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020
हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस मनाया जाता है. यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम एक मनोरोग चिकित्सक थे। उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति है- "बगैर मानसिक स्वास्थ्य के सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है।" मानसिक तौर पर हमारी थकान हमें तनाव और चिंता की ओर धकेलती है और यही जब ज्यादा बढ़ जाए तो डिप्रेशन यानी अवसाद का रूप ले लेता है। शारीरिक परेशानियों की ओर तो हमारा ध्यान जाता है, लेकिन मानसिक परेशानियों को लेकर हमलोग बहुत जागरूक नहीं होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से ही हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
शारीरिक बीमारी के बारे में तो हम सारी चीजें जानते हैं और साथ ही उसका इलाज भी मिल जाता है लेकिन आज की इस जिंदगी में मानसिक बीमारी एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आती है. दरअसल लोगों को मानसिक स्वास्थ्यके प्रति संवेदनशील और जागरूक करने के उद्देश्य से 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास
क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम
हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के लिए हर साल अलग-अलग थीम रखी जाती है, इस साल “सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य: अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच” रखी गई है. इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
सकारात्मक सोच है, तो मानसिक बीमारी दूर है
और जो शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ है, वो सुखी जरूर है
Thursday, October 8, 2020
Indian Air Force Day 2020
भारतीय वायुसेना दिवस 2020
Indian Air Force Day 2020 : देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया जाता है। आज भारतीय वायुसेना अपना 88 वां स्थापना दिवस मना रही है। वायुसेना दिवस के मौके पर शानदार परेड और भव्य एयर शो का आयोजन होता है। हर साल की तरह इस बार भी हिंडन बेस पर वायुसेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करेगी। वायुसेना के एक से एक विमान और जवान हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाते दिखेंगे। यहां जानें भारतीय वायुसेना दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में -
8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी इसीलिए हर साल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस मनाया जाता है। देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से "रॉयल" शब्द को हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।
आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के तहत ही काम करती थी। एयर फोर्स को आर्मी से 'आजाद' करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।
गीता से लिया गया है आदर्श वाक्य
भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- 'नभ: स्पृशं दीप्तम'। यह गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है।
Present Air Chief Marshal of India is - Rakesh Kumar Singh Bhadauria
Thursday, October 1, 2020
मोहनदास करमचन्द गांधी (महात्मा गांधी)
मोहनदास करमचन्द गांधी
National Youth Festival (NYF) 2025 The Viksit Bharat Young Leaders Dialogue is a transformative reimagining of the National Youth Festival (...